भारतीय स्वास्थ्य नीति और स्वास्थ्य संचार ने देश में पनप रहे रोगों के बोझ को कम करने में विशेष भूमिका निभाई है। लेकिन, वैश्विक महामारी कोरोना के कारण संपूर्ण मानवता संकट के दौर से गुजरी रही है। ऐसे में स्वास्थ्य संचार की संज्ञानात्मक और भावनात्मक रूप से भूमिका बढ़ जाती है। बेशक, पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य संचार सेवाओं ने भारत की स्थिति को सुधारने में योगदान दिया, लेकिन कोरोना ने नई चुनौती पैदा कर दी है। कोरोना के टीके को लेकर फैल रही भ्रांतियों
ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी इस महामारी के प्रति हम ना तो सजग हुए हैं ना ही जागरूक। ऐसी स्थिति में कोरोना से बचाव केसंदेशों को गांव -गांव तक पहुंचाने की आवश्यकता है। दरअसल, अभी भी भारत में सेहत को लेकर स्थिति ठीक नहीं है। इसमें सुधार के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। हालांकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार स्वास्थ्य नीति में प्रगति के लिए प्रयासरत हैं और इसके लिए विश्व पटल पर सराहना भी मिल रही है, लेकिन इसे अभी पर्याप्त नहीं माना जा सकता। कोविड-19 ने भारत को स्वास्थ्य नीति के पुनरुत्थान का संकेत दिया है।दुनिया के तमाम विकसित देश अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लगातार नए अनुसंधान कर रहे हैं। उसी तरह भारत में भी स्वास्थ्य संचार की प्रक्रिया जारी है। अखबार, रेडियो, टीवी, नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से साक्षरता दर बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में हेल्थ कम्युनिकेशन की स्वास्थ्य सुधार में अहम भूमिका रही है। उदाहरण केतौर पर पोलियो उन्मूलन की सफलता हासिल करने में हेल्थ कम्युनिकेशन का प्रयास सराहीय रहा है। स्वास्थ्य संचार ने लोगों के जीवन को खासा प्रभावित किया है। इस कोरोना काल में सरकार अपनी तरफ से स्वास्थ्य संचार को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। इस डिजिटल युग में मोबाइल संदेशों, आरोग्य सेतु एप, ब्लॉग्स, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स से लोगों तक स्वस्थ्य संबंधी जानकारी दी जा रही है।ऐसे में स्वास्थ्य बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा अन्य स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को नागरिकों तक प्रसार करना बहुत ही अहम हो गया है। ताकि, नागरिक सरकार की इन सुविधाओं का लाभ ले सकें। हालांकि आजादी के बाद से मलेरिया, टीबी, कुष्ठ रोग, उच्च मातृ एवं शिशु मृत्यु दर और एचआईवी के बारे में लोगों को जानकारी देने की सरकार की कोशिश सराहनीय रही है, लेकिन ताजे आकड़ों के अनुसार आज भी मातृ एवं शिशु मृत्यु दर एचआईवी, स्वाइन फ्लू और अन्य संक्रामक रोग भारत की स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी तनाव बनाए हुए हैं। ऐसे में कोरोना वायरस ने स्थिति को अधिक गंभीर बना दिया है। देश में लगातार चेतावनियों के बावजूद भारत की कोरोना की रैंकिंग में गिरावट आई है या वृद्धि हुई है इसे ताजा हालात से समझा जा सकता है। हाल के आंकड़ों से स्पष्ट हो गया है कि स्वास्थ्य के प्रति हम कितने बेपरवाह हैं। इसलिए देश के ग्रामीण तथा शहरी दोनों ही नागरिकों को स्वस्थ्य जीवन और आवश्यक पोषण के प्रति जानकारी देना जरूरी है। सरकार हेल्थ कम्युनिकेशन के द्वारा समाज को स्वास्थय के प्रति सूचना और ज्ञान उपलब्ध कराने के साथ-साथ सामूहिक रूप से स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए सचेत कर रही है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने के लिए सही पोषण, साफ पेयजल, आसपास साफ. सफाई रखना तथा अन्य सामाजिक निर्धारकों को भी समझना जरूरी है। बढ़ती जनसंख्या ने साफ कर दिया है कि देश को स्वास्थ्य संचार के जरिए जनसंख्या स्थिरीकरण, लिंग भेद की मानसिकता के प्रति उनकी सोच बदलना बहुत आवश्यक हो गया है।