Dr Pallavi Mishra is working as an Associate Professor. NET/JRF qualified.Founder of PAcademi.com

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This is Dr Pallavi Mishra, working as an Associate Professor

Wednesday, March 23, 2016

आइये जाने डिजिटल लाकर क्या है






डिजिटल इंडिया मिशन के आगाज़ के साथ कई परियोजनाओं का भी आगाज़ हुआ जिसके तहत भारत सरकार ने सभी देशवासियों को डिजिटल लाकर उपलब्ध कराने की बात कही | डिजिटल लाकर ऐसा तंत्र है जहां संबंधित व्यक्ति सभी प्रमाण पत्र तथा अन्य दस्तावेजों को सुरक्षित रख सकता है | डिजिटल लाकर एक ऑनलाइन फाइल या डिजिटल मीडिया है जो भंडारण की सेवा देता है | ये अपने अंतर्गत सभी तरह की फ़ाइलों जैसे संगीत, वीडियो, सिनेमा, खेल और अन्य मीडिया को भी एक साथ सुरक्षित रखने में सक्षम है |  ये सभी महत्वपूर्ण व्यक्तिगत दस्तावेजों को अपलोड करने तथा उसकी डिजिटल प्रतियां को संग्रहीत करने के लिए, सरकार की ओर से सभी भारतीय निवासियों को मुफ्त में दिया जाने वाला सुरक्षित भंडार है। इस व्यवस्था की सुविधा से भविष्य में  विभिन्न दस्तावेज या प्रमाण पत्र  सरकारी विभाग और अन्य एजेंसिया सीधे उपयोगकर्ता के लाकर में भेज सकेंगे | सरकार द्वारा डिजिटल लाकर उपलब्ध कराने की घोषणा करना अपने आप में ही एक साहसिक कदम है, जो व्यक्तिगत दस्तावेजों के भंडारण और निजी दस्तावेजों को सीधे प्राप्त करने की सुविधा देता है | इसके अंतर्गत प्रत्येक भारत निवासी जिसके पास आधार संख्या है, उसको डिजिटल लाकर की सुविधा उपलब्ध होगी | अभी तक भारत में लोग अपने भौतिक रूप में उपलब्ध दस्तावेजों का ही उपयोग किया करते है क्यूंकि किसी भी कार्यालय में प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए, पहले उसे अधिकारियों द्वारा सत्यापन कराना आवश्यक होता है इस कारण उसे भौतिक रूप में ही रखा जाता है | पर डिजिटल लॉकर इस सत्यापन तथा पुस्तिका सत्यापन की प्रक्रियाओं को समाप्त करने में सक्षम होगा | यह सभी उपयोगकर्ताओं को आसानी से किसी भी कंप्यूटर से अपने सरकारी कागजात का उपयोग करने की अनुमति देता है | ये  भौतिक दस्तावेजों के साथ होने वाली कुछ परेशानियों को खत्म करने की क्षमता रखता है | इससे प्रमाण पत्रों की भौतिक प्रतियों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, इस कारण ये आवश्यक दस्तावेजों की हानि या गुम हो जाने से भी बचाएगा |
जाहिर है की, डिजिटल लाकर निजी फाइलों के लिए बैंक लॉकर्स की तरह की ही सुरक्षा देगा और ये माना जा रहा है की इसका भविष्य भौतिक लॉकर्स की तुलना में अधिक सुनेहरा होगा | इससे अधिकारियों का काम दस्तावेजों को जारी करने तथा प्राप्त करने दोनों में ही आसान हो जायेगा |  इन्टरनेट की सुविधा द्वारा डिजिटल लाकर में संरक्षित दस्तावेजो तथा जरूरी फाइलों को कभी भी  डाउनलोड किया जा सकता है तथा कहीं भी भेजा जा सकता है | विशेषज्ञों का मानना है डिजिटल लाकर देशवासियों को बहुत सारी सुविधाओं को उपलब्ध कराने में कारगर साबित हो सकता है |  ये डिजिटल प्रमाण पत्रों की सुविधा देगा जिससे अधिकारी फर्जी दस्तावेजों को आसानी से पहचान सकेंगे | ये सरकारी काम आसान करेगा और इससे लोगों को भी राहत मिलेगी, इसकी सुविधा से लंबी कतारों में घंटों परेशान होने से या दस्तावेजों की जांच के लिए लम्बी प्रक्रियाओं से उन्हें छुटकारा मिलेगा |
भारत का कोई भी निवासी जिसके पास आधार संख्या है डिजिटल लाकर की सुविधा का लाभ ले सकता है | सरकार ने https://digitallocker.gov.in/ वेब पेज बनाया है जिसमें रजिस्ट्रेशन करके इसका उपयोग किया जा सकता है |  प्रारंभ में डिजिटल भंडारण के लिए 10 एमबी की जगह सीमित होगी जिसे बाद में 1 जीबी तक बढाया  जा सकता है |  इसमें फ़ाइलों को जेपीजी, पीडीएफ, बीएमपी, पीएनजी, जीआईएअफ स्वरूपों में अपलोड किया जा सकता है | हालांकि डिजिटल लाकर की इतनी सारी विशेषताएं है, लेकिन अब प्रशन ये उठता है की ये डिजिटल लाकर जो व्यक्तिगत जानकारी का भंडारण, कितना सुरक्षित होगा | इसे साइबर क्राइम के खतरे से कैसे सुरक्षित किया जा सकता है | ऐसे संवेदनशील एवं व्यक्तिगत दस्तेवाजों को सुपर हैकरों की नज़र से कैसे बचाया जायेगा, इस पर विचार करना अत्यंत आवश्यक है |


Friday, March 4, 2016

कैशलेस ट्रांज़ैक्शन की ओर बढ़ता भारत


आर्थिक उदारीकरण के तीन दशक 
बाद भारतीय समाज में हो रहा परिवर्तन ग्लोबल पैमाने पर हो रही भारत की समृधि को साफ़ स्पष्ट कर रहा है | एक ओर जहां देश में ऑनलाइन शौपिंग का बाज़ार अपने पैर फैला रहा है वही दूसरी तरफ कैशलेस ट्रांज़ैक्शन की तरफ भारतीय उपभोक्ताओं का झुकाव भी बढ़ रहा है | क्रेडिट कार्डडेबिट कार्ड तथा नेट बैंकिंग जैसे आभासी भुगतान की दिशा में भारत धीरे धीरे ही सही लेकिन आगे बढ़ रहा है | केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2015 में भारत में पारंपरिक भुगतान की अपेक्षा आभासी भुगतान अधिक हुआ है | भारत सरकार भी देश में कैशलेस लेनदेन को प्रोत्साहित कर रही है और हाई-टेक फंड ट्रांसफर करने के तरीकों को प्रोत्साहित करने की योजना को मजबूत करने  के पक्ष में है | भारत ने जब सभ्यता की ओर कदम रखा था तो शायद ही कोई ये सोच सकता था कि हमारी अर्थव्यवस्था प्रणाली में इतना बड़ा परिवर्तन होगा | भारत में उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच वित्तीय विनिमय को सुचारू बनाने के लिए 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास सिक्के की शुरूआत हुई | वित्तीय विनिमय को अधिक सुविधजनक बनाने के उद्देश्य से 1770 में कागज के पैसे चलन में आये | इसके बाद 1861 पेपर करेंसी एक्ट पारित हो जाने के बाद कागज़ी मुद्रा लेनदेन और आसान हो गया | पिछले 340 सालों में उपभोक्ता भुगतान बाजार में पेपर करेंसी का ही बोलबाला रहा लेकिन पिछले 10 वर्षों में प्रौद्योगिकी विकास ने भारत के उपभोक्ताओं का  कैशलेस लेनदेन की झुकाव बढ़ा है |  हालांकि भारत में अभी आभासी भुगतान प्रणाली को अपनाने वालों का प्रतिशत बहुत कम है और एक ख़ास वर्ग ही इसका प्रयोग कर रहा है |  वास्तव में इस समूह का एक बड़ा वर्ग शहरी कामकाजी आबादी है जो क्रेडिटडेबिट कार्ड  तथा नेट बैंकिंग का उपयोग करते है | बरहाल प्रधानमंत्री की जन धन योजना के आने के बाद,  देश भर में 11 करोड़ से अधिक खाते खुल चुके है जो निश्चित ही भारत में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने में सकारात्मक संकेत दे रहे है | भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा मास्टरकार्डवीजा और अमेरिकन एक्सप्रेस कार्ड की तरह घरेलू प्रतिद्वंदी “रुपे” कार्ड लांच किया गया है जिसका उद्देश्य भी आभासी लेनदेन को बढ़ावा देना है | “रुपे” दो शब्दों रुपया और भुगतान के संयोजन से बना है जो डेबिट कार्ड का भारतीय संस्करण है | रूपे सभी भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की सुविधा प्रदान करता है | भारत अब घरेलू भुगतान गेटवे प्रणाली के लिए दुनिया का छठा देश बन गया है |
भारतीय रिजर्व बैंक की अप्रैल 2015 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में क्रेडिट कार्ड से लगभग  75% लेनदेन एक्सिस बैंकएचडीएफसी बैंकआईसीआईसीआई बैंकइंडसइंड बैंककोटक महिंद्रा बैंक के ग्राहक करते है | इंटरनेट और स्मार्ट फ़ोन के विकास ने भी कागज रहित लेनदेन को और अधिक आसान बनाने में महतवपूर्ण भूमिका निभायी है |
पिछले दो दशकों में इंटरनेट और मोबाइल फोन की क्रांति ने देश में डिजिटल कॉमर्स के लिए दरवाज़े खोले है | स्मार्टफोनइंटरनेट की पहुंच और ई-कॉमर्स का तेजी से विकास इस कैशलेस भुगतान का पूरक है |  रेल टिकेट बुक करना हो या फ्लाइट टिकेटया अन्य तरह के बिल जमा करना हो ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन इस तरह के रोजमर्रे के कामों को आसान बनाने में सक्षम है | कैशलेस अर्थव्यवस्था का असर फ्रांसबेल्जियमस्वीडननॉर्वेआइसलैंड जैसे  छोटे देशों में भी साफ़ दिखाई दे रहा हैं | हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था इन देशों से अधिक मजबूत एवं सकारात्मक विकास के पथ पर है | बरहाल धीरे धीरे ही सही लेकिन सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक देश में कैशलेस लेनदेन को प्रोत्साहित कर रही है | भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के “रूपे” और आईएमपीएस (तत्काल भुगतान सेवा) देश में कैशलेस लेनदेन प्रणाली को सफल बनाने में प्रयासरत है | भारत का भविष्य कैशलेस ट्रांज़ैक्शन की दिशा में है जो निश्चित ही देश की प्रगति के पथ का संकेत दे रहे है |




http://www.humsamvet.in/humsamvet/?p=3361



विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व

 https://pratipakshsamvad.com/women-dominate-the-science-technology-engineering-and-mathematics-stem-areas/  (अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस)  डॉ ...