Dr Pallavi Mishra is working as an Associate Professor. NET/JRF qualified.Founder of PAcademi.com

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Thursday, March 27, 2014

सियासत का ऑनलाइन कैंपेन संग्राम
सोलहवी लोकसभा चुनाव का संग्राम अब ऑनलाइन भी शुरू हो गया है | चुनाव के इस मौसम में जीत हासिल करने के लिए राजनितिक पार्टियां ऑनलाइन कैंपेन से भी वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती| भारत में तेजी से बढ़ते इन्टरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या ने राजनितिक पार्टियों को मतदाताओं से सीधे संपर्क स्थापित करने का अवसर प्रदान किया है | आज देश में 65 फीसदी वोटर 35 साल से कम उम्र के हैं। ऐसा पहली बार होगा की मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या इस चुनाव में बड़ी होगी । फेसबुक, ट्विटर जैसी साइटों के अलावा गूगल ऑपरेटेड तमाम और वेबसाइटों पर भी पार्टी के संदेश लगातार अपडेट किये जा रहे हैं। लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ईमेल कैंपेन आज एक आम टूल बन गया है जिसके तहत यूजर्स के इनबॉक्स में भी सन्देश भेजे जा रहे है । सभी पार्टियां सियासी बिसात पर अपना सिक्का ज़माने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। बीजेपी ने 15 सदस्यों का एक आईटी सेल बनाया है। ये सदस्य 24 घंटे पार्टी की वेबसाइट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स को अपडेट करने का काम कर रहे हैं जहां लगातार पार्टी की ई- कैम्पेनिंग की जा रही है | पार्टी की तकरीबन 150 वेबसाइट्स इन दिनों एक्टिव हैं। वही कांग्रेस भी अपनी पार्टी को युवाओं से जोड़ने के लिए अलग अलग सोशल नेटवर्किंग साइट्स का सहारा ले रही है । और कांग्रेस तो अपने कैंपेन के लिए एसएमएस को भी तरजीह दे रहा है | आम आदमी पार्टी भी स्वयं को दोनों पुरानी पार्टियों से बेहतर साबित करने के लिए ऑनलाइन कैंपेन करने में कोई असर नहीं छोड़ना चाहती | भारत में 15 करोड़ इन्टरनेट उपभोक्ता है और चुनाव आयोग के आकड़ों के अनुसार करीब 78 करोड़ मतदाता है | युवाओं और मध्यम आयु वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचने के लिए फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर ऑनलाइन कैंपेन प्रोग्राम तैयार किया गया है | इससे सीधे इस वर्ग को प्रभावित करने के लिए सम्पर्क स्थापित किया जा रहा है | राजनितिक पार्टियां ई-कम्यूनिकेशन के लिए पी2पी (पाटी टू पार्टी) पी2वी (पार्टी टू वोटर्स) और पी2एफ (पार्टी टू फ्रेंड्स) की रणनीति पर भी विचार कर रही हैं। इंटरनेट एंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स देश की 543 लोकसभा सीटों में से 160 पर असर डाल सकती हैं। नेताओं ने अपनी पार्टी के ई-कैंपेन के लिए तो सोशल मीडिया विशेषज्ञों से भी मदद लेनी शुरू कर दी है | फेसबुक और ट्विटर यूजर्स देश में नए वोटबैंक के रूप में सामने आए हैं और अब राजनेताओं को भी इस बात का एहसास हो गया है |







Sunday, March 23, 2014

यौन हिंसा
सूनसान हूँ मैं कितनी
डरावनी, भयानक, काली
मालूम हुआ आज
क्यों कहते है मुझे रात
बस अँधेरे के हूँ मैं साथ
अक्सर गुनगुनाती हवाएं
भी आज उदास है
उन्हें भी यौन हिंसा कि
पीड़ा का हुआ, एहसास है
मेरा अन्धकार बेबस लाचार
थरथरा उठा देख यौन हिंसा का अत्याचार     
संवेदनहीनता के कुरूप चेहरे से
ये ज़मीन, ये आसमान अशांत है  
रोने लगी हर आरज़ू, हर आरमान है
मन में उठता एक ही सवाल है
क्यों मानव ने हैवानियत का नकाब ओढ लिया
क्यों मानव बन गए है दानव
यौन हिंसा के दर्द से  
कभी मासूम कुमारी हुई मजबूर
कभी नादान बच्चे का कोमल हृदय हुआ चूर  
ये क्षणिक कुकृत्य
कर देता है जीवन को विकृत्य
भोग तृष्णा की अंधी अभिलाषा से  
टूटी ना जाने कितनी खूबसूरत तस्वीर   
दो पल की अशिष्टता ने
रुसवा की है ज़िन्दगी
बिन भूल मिली शर्मिंदगी
दिया शारीरिक एवं मानसिक ज़ख्म
जिसकी टीस से है पलके नम
मैं रात, भयभीत हूँ
देखकर ये घिनोनी तस्वीर
सोचती हूँ
क्या, मानवता नहीं होती भयभीत सोचकर इसकी तासीर
ऐ खुदा तू क्यों रूठ गया
कि इंसानों का

इंसानियत से नाता ही टूट गया....

Saturday, March 8, 2014

      “जीने दो” गीत का विमोचन

अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर “जीने दो” गीत का विमोचन प्रोफेसर निशि पाण्डेय, डॉ. मुकुल श्रीवास्तव एवं सुश्री अर्शाना अजमत द्वारा किया गया | गीत के बोल पल्लवी मिश्रा द्वारा लिखा गया है जिसको अंकित जैसवाल ने अपनी खूबसूरत आवाज़ दी है और मयंक तिवारी ने अपने मनोरम संगीत से सजाया है |
https://www.youtube.com/watch?v=f1L2DPj6fFU

"Jeene Do" our new Song Release Singer Ankit Jaiswal, Lyrics Pallavi Mishra Music Mayank Tiwari 

https://www.youtube.com/watch?v=f1L2DPj6fFU
Lyrics Pallavi Mishra,
Music Mayank Tewari 
Singer Ankit Jaiswal.

Saturday, March 1, 2014

सोशल मीडिया पर एडवरटाइजिंग पॉलिटिक्स



सोलहवी लोकसभा के लिए बीछी सियासी बिसात पर अपना सिक्का ज़माने के लिए सभी पार्टियां पुरजोर कोशिश कर रही हैसभी पार्टियां स्वयं को काबिज़ कराने के लिए इलेक्शन कैंपेन और पार्टी एडवरटाइजिंग में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है | सूचना प्रद्योगिकी के इस युग में चुनाव प्रचार लगातार हाईटेक होता जा रहा है और पहली बार लोकसभा चुनाव की एडवरटाइजिंग सोशल मीडिया पर की जा रही है | दरसल भारत में इंटरनेट सेवा प्रयोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, इन्टरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत में इंटरनेट यूजर की संख्या दस करोड़ को पार कर गई है और इस कारण इस  बार चुनाव प्रचार का असली रंग सोशल मीडिया पर दिख रहा है। लगभग सभी पार्टियां युवा पीढ़ी और कामकाजी लोगों से जुड़ने के लिए तथा अपनी पार्टी को बेहतर साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर एडवरटाइजिंग पॉलिटिक्स कर रही हैं । इस तरीके ने प्रचार का खर्च तो कम किया ही हैसाथ ही प्रत्याशियों और मतदाताओं के बीच पारस्परिक संवाद की राह भी खोल दी है। जहां बीजेपी सोशल मीडिया चुनावी कैंपेन के लिए ऐडवर्टाइजिंग प्रफेशनल की एक क्रीम टीम से सोशल मीडिया विज्ञापन करा रही है वही कांग्रेस भी कई बड़ी पब्लिक रिलेशन कंपनियों को अपने चुनावी प्रचार की ज़िम्मेदारी सौप रही है आम आदमी पार्टी भी सोशल मीडिया से लोगों को प्रभावित करने की जुगत में तत्पर्य है फेसबुकट्विटरई-मेलएसएमएसव्हाट्स एपबीबीएमयू-ट्यूब जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से सभी  राजनैतिक दल स्वयं को सरलता से लोगों से जोड़ रहे है । ऐसे में सभी पार्टियों ने सोशल मीडिया सेल बनाया है ताकि जनता को  लुभाया जा सके और ज्यादा से ज्यादा लोगों से वोट डालने की अपील भी की जा सके |                          यही नहींकम पैसों में चुनाव लड़ने के मकसद से भी इन ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल किया जा रहा है। फेसबुक और ट्विटर पर भी लोगों से समर्थन की अपील की जा रही है। प्रत्याशियों का प्रोफाइल बनाकर उनकी तस्वीर समेत तमाम जानकारियां दी जा रही हैं। ये बताने की कोशिश की जा रही है कि उनकी पार्टी दूसरे पार्टियों से कैसे अलग हैं। जनता के सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं और घोषणा पत्र बनाने में लोगों के सुझाव भी मांगे जा रहे हैं। दरअसल पार्टियों के सामने युवा पीढ़ी या फिर कामकाजी लोगों से संवाद का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं है। जाहिर हैसोशल मीडिया ने एक माध्यम के तौर पर अपनी उपयोगिता साबित कर दी है और जिस तरह से सोशल मीडिया का प्रभाव बढा हैउसने राजनैतिक दलों को लोगों से जुड़ना आसान कर दिया है। इसने लोगों को अपने नेताओं के बारे में बेहतर समझने का मौका भी दिया है। बाजार में सस्ते स्मार्टफोन आने के बाद सोशल मीडिया के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी है और एक सर्वे के मुताबिक इस वर्ष देश में इसकी संख्या 10 करोड़ को पार कर गयी है । दरसल स्मार्टफोन उपयोग करने वाले अधिकतर युवा हैं और राजनीतिक पार्टियां इन युवा उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने के लिए मोबाइल एप का सहारा लिया जा रहा हैं। भाजपा ने तो मोदी रन के बाद इंडिया 272+ नाम से एप भी लांच किया है, जिसके जरिये पार्टी अधिक से अधिक स्मार्टफोन यूजर तक पहुंच सके | कांग्रेस भी मतदाता को पार्टी से जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रही है और इस माध्यम से हर वर्ग के मतदाता तक अपनी बातनीतिसोचविचारधाराकार्यक्रमवायदे आदि पहुंचाने की कोशिश की जा रही है | देश के चुनावों में ऐसा पहली बार हो रहा है। दरअसलइंटरनेट और सोशल मीडिया के आने के बाद हमारे बीच एक बहुत बड़ा बदलाव आया है। जिसका नतीजा ये है कि आज विभिन्न पार्टियां लोगों से सीधे सवाल पूछ रहे हैं और उनसे उनके सुझाव मांग रहे है | हाल ये है कि जनसभा करने के बजाए उम्मीदवार मतदाताओं को घर बैठे इंटरनेट के जरिए संबोधित कर रहे हैं। जाहिर है कि प्रचार का तरीका पूरा बदल चुका है और ये माना जा रहा है की पिछले दस साल में एक बड़ा बदलाव है |


विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व

 https://pratipakshsamvad.com/women-dominate-the-science-technology-engineering-and-mathematics-stem-areas/  (अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस)  डॉ ...