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Saturday, May 31, 2014

नैनो तकनीकी में सिमटती दुनिया


नैनो तकनीकी में सिमटती दुनिया

दुनिया की नवीनतम संस्कृति में शुमार हो चुकी नैनो तकनीकी विश्व की अद्भुत तकनीकी के रूप में उभरी है | आज हमारी दुनिया नैनो तकनीकी के इर्द गिर्द घूम रही है | कंप्यूटर से लैपटॉप और लैपटॉप से स्मार्ट फ़ोन की नैनो तकनिकी से हम सभी परिचित है | स्मार्ट फोन तो नैनो तकनीकी का सबसे उत्तम रूप है, जिसमें अनेकों सुविधाएं उपलब्ध है | पुराने ज़माने के लकड़ी के बक्सेनुमा कैमरे की जगह आज छोटे डिजिटल मोबाइल कैमरे हमारे जीवन का हिस्सा बन गए है | मीडिया के तो सभी क्षेत्र नैनो तकनीकी से प्रभावित है | बरहाल जहां मीडिया का क्षेत्र पूरी तरह नैनो तकनीकी से प्रभावित हो चुका है | वही चिकित्सा में भी नैनो तकनीकी से गंभीर रोगों का निदान किया जा सकता हैं | चिकित्सकों का मानना है की नैनो सेंसर के द्वारा बीमारी की जांच करना बहुत ही सरल हो रहा है और ये निश्चित रूप से चिकित्सा उपचार को आसान और सस्ता कर रही है | मेडिकल में नैनो तकनीकी तो बड़े पैमाने पर आनुवंशिक चिकित्सा देने तथा स्वास्थ्य सुधार करने में भी सक्षम है | नैनो तकनीक से हमारे शरीर के अन्दर उपस्थित ब्लड सैल में कोई भी छोटी चिप ट्रान्सफर की जा सकती है, जो कैंसर जैसी बीमारियों से निपटने में भी कारगर है। चाहे साइंटिफिक हो या इंजीनियरिंग नैनो तकनीकी का असर सभी क्षेत्रों में है | यहाँ तक की सिनेमा जगत पर भी नैनो तकनीकी का असर देखा जा रहा है | पुराने ज़माने की तीन से चार घंटे की लम्बी फिल्मों की तुलना में आज की फिल्मे छोटी हो गयी है | नैनो तकनीकी ने नैनो कल्चर को जनम दे दिया है जिसने कहीं ना कहीं हमारे भाषा पर भी असर डाला है | मोबाइल सन्देश आदान प्रदान की कला ने हमें बड़े बड़े वाक्यों को कम शब्दों में तथा शब्दों को भी उनके संकुचित रूप में बयान करने का  चलन तो अब आम हो चुका है | नैनो तकनीकी एक ऐसी तकनीकी है जो वर्तमान समय की भारी भरकम तकनीक से आगे बढ़कर हल्के रूप में विज्ञान के हर अविष्कार को नियंत्रित कर रही है | वैज्ञानिकों का मानना है की आगे आने वाले समय में नैनो तकनीक विश्व का भाग्य विधाता होगा। यह सच भी है, क्योंकि बड़ी से बड़ी चीजों को समेटकर एक छोटी एवं शक्तिशाली तकनीकी की डिवाइस विज्ञान के हर प्रयोग और आविष्कार को सम्भव बना रही है। यह तकनीकी आगामी दिनों में विकास की नयी परिभाषा लिखेगी जिसके बिना आम आदमी के जीवन का विकास संभव नहीं होगा ।



Thursday, May 15, 2014

सत्ता को लेकर सटटा

सत्ता को लेकर सटटा




बढ़ते पारे के साथ चुनाव परिणाम में भी गर्मी बढती जा रही है | जहां एक ओर हर एक न्यूज़ चैनल एग्जिट पोल पर लगातार चर्चा कर रहा है वही दूसरी ओर सट्टा बाजार में भी चुनाव परिणाम को लेकर माहौल बहुत गरम होता जा रहा है | अभी आईपीएल का नशा सट्टा कारोबार पर चढ़ा ही था की सट्टे बाज़ार में चुनाव नतीजों को लेकर भी हलचलें बढ़ गयीं हैं। हालाकि चुनाव परिणाम आने का काउंटडाउन शुरू हो चूका है और आईपीएल अभी चल ही रहा है इसलिए खिलाड़ी आईपीएल पर ज्यादा भाव लगा रहे हैं। बरहाल चुनाव नतीजों को लेकर सट्टा बाज़ार में काफी जोश दिख रहा है । इस समय सट्टे बाज़ार में कांग्रेस या बीजेपी किसकी सरकार बनेगी ये सट्टे का अहम् विषय है | हालाकि सटोरी इस चुनाव में भाजपा का जीतना तय मान रहे है और ऐसे में सबसे ज्यादा सट्टे का खेल इस बात पर लगा है कि किसको कितनी सीटें मिलेंगी | केवल इस मुद्दे पर करीब डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये का सट्टा लगाया जा रहा है | सट्टेबाजों का मानना है की इस बार मोदी की लहर है इसलिए भाजपा की जीत पर ही सट्टा लगाना समझदारी होगी । ऐसे में सट्टा बाजार आम चुनाव में भाजपा को ही बड़ा दल मानकर चल रहा है। साथ ही जनपद की तीनों सीटों से भी भाजपा की जीत की उम्मीद जताई जा रही है | यही वजह है कि सट्टा बाजार में भाजपा प्रत्याशियों की जीत का भाव मात्र आठ पैसे से अधिक नहीं है | जहां एक ओर भारत के चुनाव नतीजों का बेसब्री से इंतज़ार कर रही दुनिया और देश की जनता सभी के चर्चा का विषय “इस बार किसकी सरकार” इसी मुद्दे के इर्द गिर्द घूम रही है वही सट्टेबाज़ भी इस चुनाव परिणाम से अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की जुगत में लगे हुए है | मतगणना को लेकर प्रशासनिक तैयारियां चरम सीमा पर है और सट्टे कारोबार में भी रौनक बढती जा रही है | सटोरियों का मानना है कि इस बार भाजपा को 250 से अधिक सीटें मिलेंगी और कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी पार करने की स्थिति में नहीं हैं | उसे विपक्ष में बैठने के लिए भी अलायंस का सहारा लेना पड़ेगा | लोकसभा चुनाव के नतीजे भले ही 16 मई को घोषित होंगे पर सट्टा बाजार ने एक फैसला पहले ही सुना दिया है | प्रदेश के सटोरियों के मुताबिक नरेंद्र मोदी ही देश के अगले पीएम होंगे | वहीं राहुल गांधी को इस पद के लिए सटोरियों ने भी सिरे से खारिज कर दिया गया है | यहां तक कि सटोरियों ने अब राहुल के नाम पर बोली लगाना भी बंद कर दिया है |















Sunday, May 4, 2014




क्या संभव है ऑनलाइन वोटिंग 
अपने देश में मतदान की प्रक्रिया जारी है और इस बार मतदाताओं में भी जोश दिख रहा है | पिछली बार की तुलना में इस बार सभी जगह पर वोट देने वाले मतदाताओं के प्रतिशत में बढ़त दिखाई दे रही है | लेकिन प्रवासी भारतीयों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए एक ही विकल्प है, भारत आकर अपने मताधिकार का प्रयोग करना | भारत में ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा अभी उपलब्ध नहीं है| ऑनलाइन वोटिंग नई संभावनाओं को खोलता है और मतदान प्रक्रिया के लिए एक अनूठा अनुभव देता है | ऑनलाइन मतदान, मतदाता को भौगोलिक सीमा से परे मतदान करने की सुविधा उपलब्ध कराता है | ई–वोटिंग इलेक्ट्रॉनिक वोट कास्टिंग में सहायक है | इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में मूल रूप से ऑप्टिकल स्कैन मतदान प्रणाली, पंच कार्ड या विशेष मतदान कियोस्क का प्रयोग होता है | इसमें टेलीफोन के जरिये, निजी कंप्यूटर नेटवर्क या इन्टरनेट के द्वारा भी वोटिंग किया जा सकता है | इंटरनेट वोटिंग सिस्टम आज कई देशों में लोकप्रियता हासिल कर चुका है | यूनाइटेड किंगडम, एस्टोनिया स्विट्जरलैंड के चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम को शामिल किया गया | साथ ही कनाडा में नगर निगम के चुनावों और संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस में पार्टी के प्राथमिक चुनावों में भी ई- वोटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया | बरहाल वर्तमान में, प्रवासी भारतीय केवल अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ही मतदान कर सकते हैं | भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव में ई-वोटिंग की व्यवस्था अभी नहीं है जिस कारण भारतीय प्रवासी जो विदेश में है उन्हें भारत आकर ही अपने मताधिकार का प्रयोग करना होगा | भारत में अभी इन्टरनेट वोटिंग की संभावना प्रतीत नहीं हो रही है | ऐसा माना जा रहा है की मतदान को उच्च तकनीकी से करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को असुरक्षित कर सकता है | लेकिन चुनाव आयोग इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और ऐसी संभावना की तलाश कर रहा है जिसके द्वारा भविष्य में आने वाले चुनावों में प्रवासी भारतीयों को विदेश में इन्टरनेट के माध्यम से आम चुनावों में मतदान करने का मौका मिल सके | चुनाव आयोग प्रवासी भारतीय को विदेशों से अपने वोट कास्ट करने के विभिन्न विकल्पों की भी जांच कर रहा है | चुनाव आयोग का दुनिया में कहीं भी रह रहे भारतीयों को उनका मताधिकार प्रदान करने का ये विचार  वाकई प्रशंशनीय है | लेकिन ऑनलाइन वोटिंग में वोटिंग की प्रक्रिया इन्टरनेट द्वारा होती है इस कारण इसके सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही  पक्ष होंगे | तो चुनाव आयोग के लिए ऐसी व्यवस्था लाना वाकई एक चुनौतीपूर्ण काम होगा | ऑनलाइन वोटिंग व्यवस्था प्रवासी मतदाताओं को अपना मताधिकार प्रयोग करने में ज़रूर ही सहायक हो सकती है | पर क्या भारत के चुनावों में सुरक्षित ऑनलाइन वोटिंग व्यवस्था संभव हो पायेगी ये कहना अभी मुश्किल है | इसका उत्तर तो आने वाला वक़्त ही देगा |   



विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व

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