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Monday, March 12, 2018

महिला सशक्तिकरण मजबूत करेगा देश कि अर्थव्यवस्था







महिला सशक्तीकरण एक सार्वभौमिक मुद्दा है, जहां महिला सशक्तिकरण महिलाओं को उनके समान-अधिकार को सुनिश्चित करने, उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं कानूनी पहलुओं को बेहतर रूप देने कि कोशिश करता है वही राष्ट्र कि उन्नति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | किसी भी देश कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में पुरुष और महिला दोनों का योगदान आवश्यक है | देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बहुत मायने रखती है। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार एशियाई देशों की दृष्टि से भारत और पाकिस्तान में महिलाओं का श्रम सबसे कम है |  किसी भी प्रकार के व्यवसाय तथा काम में महिलाओं की भागीदारी उस समाज की स्थिति को स्पष्ट करता है | भारत में महिलाओं की भागीदारी देश के आर्थिक उत्थान में अपेक्षाकृत बहुत कम है, यह कहना उचित होगा कि आज भी देश का आर्थिक मॉडल पुरुषों पर ही निर्भर है | यहाँ इस मुद्दे पर प्रकाश डालना उचित होगा कि भारत का आर्थिक मॉडल किस हद तक महिला केंद्रित है |
 भारत में गृहिणियों सहित कामकाजी महिलाएं उसकी अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाती हैं | दुनिया में सबसे बड़े कर्मचारियों की संख्या में गृहिणियां भी शामिल हैं | दरसल समाज में महिलाओं को उत्पादक कार्यों में संलग्न होने के अवसर और स्वतंत्रता कम मिलने के कारण उनका देश के आर्थिक विकास में योगदान कम है, इसके अलावा महिलाओं द्वारा अवैतनिक श्रम के रूप में किए गए विशाल कार्य भी सर्वेक्षण में शामिल नहीं होता है इस कारण भी उनके द्वारा किया जा रहा आर्थिक योगदान में शामिल नहीं हो पाता है | 
औपचारिक श्रमिक बल की तुलना में अधिक महिलाएं बिना दस्तावेज या 'प्रच्छन्न' मजदूरी के भी काम में शामिल हो जाती है जिससे देश उनका आर्थिक योगदान नज़र अंदाज़ हो जाता है | अनुमान है कि 90 प्रतिशत से अधिक महिला कर्मचारी अनौपचारिक क्षेत्र में शामिल हैं और आधिकारिक आंकड़ों (विश्व बैंक के आकड़ों) में शामिल नहीं हैं | अनौपचारिक क्षेत्र में घरेलू नौकर, छोटे व्यापार, कारीगरों, या एक परिवार के खेत पर मजदूरी  जैसे रोजगार शामिल हैं |
तथाकथित "ब्रिक्स" देशों का एक सदस्य, भारत अपने तेजी से अर्थव्यवस्था का विस्तार कर रहा है, हाल के दशकों में भारत निश्चित रूप से अधिक समृद्ध हुआ है, लेकिन अभी भी महिला केन्द्रित आर्थिक मॉडल के सपने ही जैसा ही प्रतीत होता है |
हालाँकि महिलाओं ने देश कि अर्थव्यवस्था में भागीदारी करनी शुरू कर दी है, वर्ष 2012 में  स्लाइडशेयर की संस्थापक रश्मि सिन्हा को फास्ट कंपनी द्वारा वेब 2.0 में विश्व की टॉप 10 वोमेन इन्फ्लूएंसर के रूप में नामित किया गया | कई अन्य महिला व्यवसायिओं ने भी इस  सूची में अपना नाम दर्ज कराया है और इसी के साथ दुनिया में यह धारणा मजबूत होती जा रही है कि आने वाले समय में महिला उद्यमी भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक जबरदस्त प्रभाव छोड़ने में सफल होगी |
ऐसा देखा जा रहा ही कि महिलाओं द्वारा उद्यमशीलता को अपनाने की प्रवृति बढ़ती रही है। लेकिन अगर इतिहास पर नजर डालें तो भारत में महिलाओं द्वारा पापड़ और अचार को तैयार करके बेचने का चलन बहुत पुराने समय से चला आ रहा है | भारत में व्यापक रूप से प्रशंसित शाहनाज हुसैन है, जो स्वस्थ देखभाल उत्पादों की सबसे बड़ी उपभोक्ता हैं |

आर्थिक सहयोग और विकास संस्थान (ओईसीडी) की रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत विकास समर्थक और लिंग-समर्थक नीतियां अपनाता है तो उसकी अर्थव्यवस्था की वार्षिक दर में 2.4 प्रतिशत तक कि बढोतरी होगी | इसके लिए भारत को यह सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि शिक्षा और प्रशिक्षण,  मानव संसाधन और उत्पादन जैसी बुनियादी कौशल कार्यशालाओं में महिलाओं की बराबर कि भागीदारी हो |
देश में  महिलाओं को भारतीय अर्थव्यवस्था में पूरी तरह से भाग लेने के लिए कई संरचनात्मक और सामाजिक अवरोधों को परिष्कार करना भी आवश्यक होगा | पिछले कुछ वर्षों में कामकाजी महिलाओं कि संख्या बढ़ी है लेकिन दुनिया कि तुलना में ये बहुत कम है |
दरसल देश कि आर्थिक व्यवस्था में महिलाओं कि भागीदारी को बढ़ाने के कुछ ज़मीनी परिवर्तन करना आवयशक होगा | कई शोधों से यह स्पष्ट होता है कि यदि महिलाओं को काम करने के अवसर प्राप्त होते है तो वो इन्हें सहर्ष स्वीकार कर लेती है | मनरेगा इसका स्पष्ट उदहारण है, चूँकि मनरेगा के माध्यम से 45%ऐसी महिलाओं को वैतनिक श्रम उपलब्ध कराया जा सका है, जो उन्हें पहले कहीं नहीं मिला था | लेकिन मनरेगा में सम्पूर्ण  वर्ष रोज़गार के अवसर नहीं मिलते है इस कारण ये इन महिलाओं को कृषि-कर्म से गैर कृषि-कर्म में रोज़गार के अवसर प्राप्त कराये जाए |
भारतीय समाज में महिलाओं के काम करने को लेकर संकुचित दृष्टिकोण को भी बदलना भी बहुत आवयशक है | भारत कि आर्थिक व्यवस्था में महिलाओं के योगदान को बढाने के लिए  घरेलू कामों और बच्चों की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी महिला और पुरुष को साझा करना जरूरी होगा | महिलाओं का सशक्तिकरण देश कि आर्थिक व्यवस्था को सुनिश्चित रूप  मजबूत कर साकता है |







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