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Friday, April 18, 2014

बहुत कुछ कहता है आपका मतदान

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 बहुत कुछ कहता है आपका मतदान



कभी आपने सोचा है की अगर हमारा ये अंगूठा ना होता तो हमारा जीवन कैसा होता | नहीं ना, लेकिन सच में अंगूठे का हमारी ज़िन्दगी में बहुत अधिक महत्व है | आप को याद होगा कि अर्जुन की अलौकिक प्रतिष्ठा की सुरक्षा के लिए गुरूदेव द्रोणाचार्य को अपने एकलव्य नामक शिष्य से गुरूदक्षिणा में मानसिक शक्ति का प्रेरक तथा इच्छा, विचार तीनों के प्रतीक अंगूठे को मांगना पड़ा था | ये बात   वास्तव में अंगूठे की हमारी ज़िन्दगी में महत्व को दर्शाती है | हमारी ज़िन्दगी में इसकी भूमिका काफी अहम् है, अनपढ़ इसका प्रयोग दस्खत करने के लिए तो पढ़े-लिखे कलम पकड़ के अपनी पहचान बनाने के लिए करते है | तो आप चाहे पढ़े लिखे हो या ना हो, देश के भविष्य में आपके मत का महत्त्वपूर्ण योगदान होगा | जिस तरह आपके हाथ की उँगलियों में अंगूठे सबसे ख़ास होता है जिसके सहियोग के बिना आप अधिकतर कार्य नहीं कर सकते होंगे, शायद लिख भी ना सकते हो | उसी तरह आपका वोट बहुत ख़ास है इसलिए अपना अनमोल वोट ज़रूर दें और देश के प्रति अपने कर्त्तव्य को निभाएं | पहले लोग अंगूठे का प्रयोग ठेंगा दिखने के लिए करते थे तो जो उम्मीदवार आपको बेहतर नही लगता है उसे ठेंगा दिखाए | और आज अंगूठे का चिन्ह फेसबुक पर “लाईक” देने का काम कर रहा है तो जो प्रत्याशी सही लगता है उसे अपना वोट दे | और हाँ अगर कोई भी प्रत्याशी सही नहीं लगता है तब भी अपने अधिकार का प्रयोग जरूर करें और “नोटा” का बटन दबाये, पर वोट ज़रूर डाले क्योंकि वोट देना हमारी ज़िम्मेदारी है |  

Sunday, April 13, 2014

मतदाताओं में दिख रहा जोश

मतदाताओं में दिख रहा जोश  
सोलहवी लोकसभा चुनाव के मतदान का सिलसिला प्रारंभ हो चुका है |  विभिन्न राज्यों में वोट डालने की प्रक्रिया जारी है | पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है, नौ चरण के मतदान की प्रक्रिया 16 मई को मतगणना के साथ संपन्न हो जायेगी और उस दिन मालूम होगा कि कौन सी पार्टी केंद्र की सत्ता पर काबिज होती है | बरहाल जहां देश के भविष्य के फैसले के लिए अभी इन्तेजार करना होगा वही पिछले बार की तुलना में वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या में वृद्धि, मतदाताओं के अपने कर्त्तव्य की ओर सकारात्मक सोच को दर्शाती दिखाई दे रही है | देश में पहली बार 65 प्रतिशत मतदाता 35 साल से कम उम्र के है जो देश को नयी दिशा और दशा दे सकते है | बढे हुए वोट प्रतिशत के आकड़ें इस बात का प्रमाण दे रहे है की भारत के लोग जाग चुके है | ये माना जा रहा है की आज के मतदाता बहुत स्मार्ट हो चुके है और उन्हें पता है की देश के भविष्य हमें ही को तय करना है | इसलिए बाद में पछताने से उत्तम है की अपने अधिकार का प्रयोग करें | और देश के इस राष्ट्रीय पर्व को इमानदारी से मनाया जायेगा तभी हम एक सुनहरे भविष्य की कामना कर सकते है | यही नहीं इस बार फ़िल्मी जगत के कई बड़े सितारों ने भी अपने व्यस्त दिनचर्या से वक्त निकालकर अपना वोट डाला है | जिसने उनके फैन को देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने सन्देश देने का काम किया है | आज पूरी दुनिया की नज़रें हमारे देश के भविष्य पर टिकी हुई है | दुनिया ग्लोबल हो चुकी है इस कारण इस लोकसभा चुनाव के नतीजे पर पूरी दुनिया नज़र गराए बैठी है, ऐसे में मतदाताओं का जोश और पिछले चुनाव की तुलना में इस बार उनकी संख्या में वृद्धि, दुनिया के समक्ष देश की अच्छी छवि बना रही है | लेकिन अभी भी जहां मतदान नहीं हुआ है वहां के सभी मतदाताओं को अपना मत देने की कोशिश करनी चाहिए ताकि परिणाम एक के नहीं वरण सभी के हित के अनुसार हो | महिला वोटरों में भी इस बार काफी उत्साह दिखाई दे रहा है | शहर एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्र में महिला मतदाताओं की भी संख्या में वृद्धि देखी जा रही है |


Saturday, April 5, 2014

pallavimedia.com: चुनावी सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट

pallavimedia.com: चुनावी सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट: चुनावी सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट सोशल मीडिया पे चुनाव का बुखार छाया हुआ है | फेसबुक पोस्ट हो, ट्विटर पर ट्वीट या ब्लॉग का अपडेट हर जग...

चुनावी सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट



सोशल मीडिया पे चुनाव का बुखार छाया हुआ है | फेसबुक पोस्ट हो, ट्विटर पर ट्वीट या ब्लॉग का अपडेट हर जगह चुनाव विज्ञापन की बयार चल रही है | जहां एक ओर कांग्रेस का “हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की” के पोस्ट अपडेट हो रहे है तो वहीं भाजपा के फेसबुक चुनाव विज्ञापन का स्लोगन “अबकी बार मोदी सरकार” के पोस्ट लगातार शेयर किये जा रहे है | वही आम आदमी पार्टी का “झाड़ू चलाओं बेईमानी भगाओ” का स्लोगन भी सोशल मीडिया की दुनिया में छाया हुआ है | और अब तो सोशल मीडिया यूजर पर भी लोकसभा चुनाव के प्रचार का खुमार पूरी तरह छा गया है | लोगों का फेसबुक ट्विटर अपडेट भी कांग्रेस, भाजपा या “आप” के इर्द गिर्द ही घूम रहा है | भाजपा के स्लोगन पर तो नए-नए स्लोगन बनाकर स्टेटस अपडेट किया जा रहे है | जैसे “ना रात को चैन है ना दिन को करार अबकी बार मोदी सरकार” या “दो एकं दो दो दुनी चार अबकी बार मोदी सरकार” इस तरह के पोस्ट तो फेसबुक पर आम हो चले है | इस तरह जहां एक ओर लोग पार्टियों के स्लोगन के साथ अपना सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट कर रहे है, वही दूसरी ओर इस बार कौन सी सरकार बनेगी इस बात पर भी बहस छिड़ी हुई है | सोशल मीडिया पर कई पोस्ट ऐसे भी है जो लोगों का ओपिनियन पोल मांग रहे है की “बताइए इस बार कौन सी सरकार बनेगी”, इस तरह के स्टेटस भी लगातार शेयर किये जा रहे है | इस तरह सीजन के फ्लेवर चुनाव के नशे में सोशल मीडिया यूजर पूरी तरह डूबे हुए है|    

क्या “नोटा” लाएगा कोई नया बदलाव

क्या “नोटा” लाएगा कोई नया बदलाव
सोलहवी लोकसभा चुनाव से पूर्व कई बदलाव देखे जा रहे है | इस बार जहां एक ओर दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक नयी पार्टी “आप” सियासत के अखाड़े में आई वही आगामी चुनाव में 100 फीसदी मतदान सुनिश्चित करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राप्त हुए “राईट टू रिजेक्ट” के अधिकार ने जनता को भ्रष्ट और अनैतिक चरित्र के उम्मीदवार को अस्वीकार करने का अधिकार भी दिया | अब ये देखना है की मतदाताओं को चुनाव में उम्मीदवार को नकारने का ये अधिकार कितना कारगर होता है | पिछले चुनावों में ये पाया गया है की मतदाताओं के अनुसार नैतिक उमीदवार ना होने के कारण वो मतदान देने से परहेज़ करते थे | पर इस बार चुनाव में उम्मीदवार ना समझ आने पर मताधिकार “नोटा” का बटन दबाकर अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते है | जो मतदाता ये कहते थे की “सभी तो एक जैसे है तो हमारे लिए किसी को भी चुनना मुश्किल है” ऐसे मतदाता क्या इस बार अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा | फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं को अभी इस अधिकार के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं है और यहाँ तक की शहर में निवास कर रहे लोगों में भी इस अधिकार की जागरूकता कम है | वही निरक्षर मतदाता जो सिर्फ चुनाव चिन्ह देखकर वोट देते है उन्हें भी अभी इस अधिकार की कोई ख़ास जानकारी नहीं है | वैसे सरकार द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए ‘राईट टू रिजेक्ट’ के अधिकार का विज्ञापन किया जा रहा है और ईवीएम मशीन पर उपलब्ध “नोटा” के विकल्प के बारे में भी जानकारी दी जा रही है | और कई एनजीओ भी नोटा के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे है | बरहाल ये देखना है की कितने प्रतिशत लोग बैलट मशीन में नोटा  यानी 'इनमें से कोई नहीं' का बटन दबाकर अपने मताधिकार का प्रयोग करते है | लेकिन “नोटा” वाकई कोई नया बदलाव लाने में कितना सक्षम होगा ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा | 




Friday, April 4, 2014

मेरा वोट ही मेरी आवाज़ है
देश का सबसे बड़ा उत्सव आया
चुनाव का मौसम लाया
ईद, दिवाली, होली
तो मनाते है हर साल
चुनाव जो है देश का सबसे बड़ा पर्व
आता है पांच साल में एक बार  
हर ओर गूंज रहा चुनाव का साज़ है
कहीं भाषण में, कहीं विज्ञापन में
हर ओर चुनाव का ही राग है  
अब देश की जानता को देना अपना जवाब है
और उसका वोट ही उसकी आवाज़ है  
तो इस उत्सव में तभी जमेगा रंग
जब हर नागरिक का होगा संग
देश के हर व्यसक का है ये अधिकार
तो देकर अपना वोट मनाये ये त्यौहार ...



विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व

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