क्या “नोटा” लाएगा कोई नया बदलाव
सोलहवी लोकसभा चुनाव से पूर्व कई बदलाव देखे जा
रहे है | इस बार जहां एक ओर दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक नयी पार्टी “आप” सियासत
के अखाड़े में आई वही आगामी चुनाव में 100 फीसदी मतदान सुनिश्चित करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राप्त हुए
“राईट टू रिजेक्ट” के अधिकार ने जनता को भ्रष्ट और अनैतिक चरित्र के उम्मीदवार को अस्वीकार
करने का अधिकार भी दिया | अब ये देखना है की मतदाताओं को चुनाव में उम्मीदवार को
नकारने का ये अधिकार कितना कारगर होता है | पिछले चुनावों में ये पाया गया है की
मतदाताओं के अनुसार नैतिक उमीदवार ना होने के कारण वो मतदान देने से परहेज़ करते
थे | पर इस बार चुनाव में उम्मीदवार ना समझ आने पर मताधिकार “नोटा” का बटन दबाकर
अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते है | जो मतदाता ये कहते थे की “सभी तो एक जैसे है
तो हमारे लिए किसी को भी चुनना मुश्किल है” ऐसे मतदाता क्या इस बार अपने अधिकार का
प्रयोग करेंगे ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा | फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र के
मतदाताओं को अभी इस अधिकार के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं है और यहाँ तक की शहर
में निवास कर रहे लोगों में भी इस अधिकार की जागरूकता कम है | वही निरक्षर मतदाता
जो सिर्फ चुनाव चिन्ह देखकर वोट देते है उन्हें भी अभी इस अधिकार की कोई ख़ास
जानकारी नहीं है | वैसे सरकार द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए ‘राईट टू
रिजेक्ट’ के अधिकार का विज्ञापन किया जा रहा है और ईवीएम मशीन पर उपलब्ध “नोटा” के
विकल्प के बारे में भी जानकारी दी जा रही है | और कई एनजीओ भी नोटा के बारे में
जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे है | बरहाल ये देखना है की कितने प्रतिशत लोग बैलट मशीन में नोटा यानी 'इनमें से कोई नहीं' का बटन दबाकर अपने मताधिकार का प्रयोग
करते है | लेकिन “नोटा” वाकई कोई नया बदलाव लाने में कितना सक्षम होगा ये तो चुनाव
के बाद ही पता चलेगा |
No comments:
Post a Comment