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Wednesday, May 9, 2018

महिला सुरक्षा के बिना कैसे विकसित होगा देश ?





एनसीआरबी द्वारा भारत में अपराध रिपोर्ट 2016 के मुताबिक, भारत में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 39 अपराध दर्ज किए गए जो कि 2007 के आकड़ों के अनुसार 21 अपराध प्रति घंटे थे | इन आकड़ों से ये स्पष्ट होता है कि देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाये जा रहे हरसंभव कदम निष्फल  साबित हो रहे हैं | आए दिन देश में रही रेप कि खबरे, समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए की जाने वाली हर कोशिश पर पानी फेरती नज़र रही है  | जहां एक ओर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है वही दूसरी ओर इस तरह के हादसे समाज में हो रहे आर्थिक, सामाजिक एवं अन्य प्रकार के विकास को भी खोखला कर दे रही है |
हाल ही में हुए कठुआ तथा उन्नाव बलात्कार केस पुनः देश कि सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहे है | देश में आये दिन हो रही इस तरह कि शर्मसार घटनाएं चींख कर पूँछ रही है देश किस ओर अग्रसर है ? क्या वाकई हम विकास कि ओर बढ़ रहे है ? या अभी भी हम वही खड़े है जहां महिलाओं को स्वतंत्रता जैसा मूलभूत अधिकार भी शायद प्राप्त नहीं हुआ है |
दरसल, महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा महत्वपूर्ण सामाजिक तंत्रों पर प्रश्नचिन्ह है और बलात्कार जैसी लिंग आधारित घटनाएं अभी भी देश में पुरुषों और महिलाओं के बीच व्याप्त असमानता को दर्शाती है  |  भारत में ही नहीं अपितु अधिकांश देशों में लिंग आधारित हिंसा एक गंभीर दीर्घकालिक समस्या है। हर साल हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार और मनोवैज्ञानिक रूप से दुर्व्यवहार होता है | महिलाओं के मौलिक मानवाधिकारों के खिलाफ हो रहे हमलों के कारण महिलाएं अप्रत्याशित स्थिति में रहती हैं |
बलात्कार महिलाओं के स्वास्थ्य, गरिमा सुरक्षा और स्वायत्तता के साथ समझौता है | यौन उत्पीड़न, बलात्कार, घरेलू हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और  महिलाओं की तस्करी,  मानव अधिकारों के उल्लंघन की एक विस्तृत श्रृंखला को स्पष्ट करती है | इस तरह की हिंसाओं  को जाति वर्ग, क्षेत्र या धर्म की सीमाओं से ऊपर रखकर देखा जाना चाहिए | बलात्कारियों का कोई धर्म और जाति नहीं होती उनके सिर्फ एक अपराधी कि तरह देखा जाना चाहिए | और इस तरह के अपराधों को राजनीती से दूर रखना जरूरी है ताकि मानव अधिकारों का हनन ना हो |
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार महिलाओं के साथ हो रही हिंसा उन पर गंभीर मनोवैज्ञानिक निशान छोड़ देती है साथ ही उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाती है जिससे उनके प्रजनन और यौन क्षमता कमजोर हो जाती है | यौन हिंसा का अर्थ केवल अश्लील व्यवहार से महिलाओं की गरिमा को लूटना, बल्कि यह बलात्कार का चरम रूप भी  है | दरसल, बलात्कार को लेकर सबसे गलत धारणाओ में से एक यह है कि "अपराधी" और "पीड़ित" दोनों ही निश्चिद होते है अर्थात  एक "निश्चित" प्रकार का आदमी ही बलात्कार करता है और एक "निश्चित" प्रकार की महिला से ही बलात्कार होता है औरअक्सर "निश्चित" परिस्थितियों में, जबकि इस तरह कि सोच काफी गलत  हैं।


नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो कि रिपोर्ट के अनुसार 2015 में बलात्कार के 34,651 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2016 में बढ़कर 38,947 हो गए। इसके विपरीत, 2016 में महिलाओं के खिलाफ कुल अपराध 3,29,243 से बढ़कर 2016 में 3,38,954 हो गए | यह देश में व्याप्त बीमार सोच को साफ़ स्पष्ट कर रहा है | जहां एक ओर भारतीय महिलाएं देश विदेश में नाम रोशन कर रही है वही दूसरी ओर उनके साथ इस तरह कि घटनाएं समाज में उनको मिलने वाली स्वतंत्र पहचान, गरिमा, आत्म सम्मान और गौरव सभी पर सवाल खड़े कर रही  है | बरहाल देश के सामाजिक तंत्र को दुरुस्त करने के लिए का

नूनी सहायता नेटवर्क मजबूत करने के साथ साथ दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना भी अत्यंत आवयशक है |
एनसीआरबी वर्ष 2016 के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के बलात्कार की घटनाओं में 12% की वृद्धि हुई है | महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों के बीच महिला सशक्तिकरण भी एक छलावा सा ही प्रतीत होता है | दरसल महिला सशक्तिकरण का मूल अर्थ यह है कि उसे भी समानता से जीने कि स्वतंत्रता प्राप्त हो और वह अपने जीवन का प्रभारी बनने में सक्षम हो |
 महिला सशक्तिकरण की अवधारणा कोई नई नहीं है, इसका इतिहास बहुत पुराना है, दरसल इसकी कहानी कुछ इस प्रकार है - एक पड़ोसी साम्राज्य ने राजा आर्थर पर हमला कर उन्हें कैद कर लिया था फिर पड़ोसी साम्राज्य ने राजा आर्थर के समक्ष स्वतंत्रता की पेशकश की और कहा कि अगर वह एक कठिन सवाल का जवाब देते  है तो उससे मुक्त किया जा सकता है और एक वर्ष की निर्दिष्ट अवधि के भीतर ही उन्हें इस सवाल का उत्तर प्राप्त करना होगा | उनका प्रशन था कि  "महिलाएं वास्तव में क्या चाहती हैं?"
यह एक ऐसा सवाल था तो ज्यादा जानकार व्यक्ति को परेशान करता था और युवा आर्थर को इसका उत्तर प्राप्त करना असंभव प्रतीत हो रहा था | पर चूंकि यह मृत्यु से बेहतर था, इसलिए आर्थर ने राजा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया | वह अपने राज्य में लौट आया और राजकुमारियों, पुजारियों, बुद्धिमान पुरुषों, अदालतों और वेश्याओं से इसका उत्तर प्राप्त करने कि कोशिश कि पर कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया  फिर  अधिकांश लोगों ने उसे 'पुरानी चुड़ैल' से परामर्श करने को कहा | अब चूँकि दी गयी  समय अवधि भी समाप्त होने वाली थी इसलिए आर्थर के पास चुड़ैल से बात करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था | चुड़ैल ने प्रश्न का उत्तर देने में सहमती जताई पर साथ में आर्थर के समक्ष एक शर्त रखी कि वह तभी इसका उत्तर देगी अगर उनके मित्र ग्वेन उससे विवाह करते है | युवा आर्थर भयभीत हो गए, उस चुड़ैल का केवल एक दांत था, सीवेज जल की तरह बदबू आती थी और अक्सर अश्लील आवाज़ें निकलती थी |
आर्थर ने अपने मित्र से उसकी शादी कराने से इंकार कर दिया |  इस तरह  के प्रस्ताव के बारे में पता चलने पर गवेन ने राजा आर्थर के जीवन बलिदान की तुलना में इस प्रस्ताव को बहुत छोटा मानते हुए विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया | शादी की घोषणा की गई और चुड़ैल ने आर्थर के सवाल का जवाब दिया कि "एक औरत वास्तव में अपने जीवन का प्रभारी बनने में सक्षम होना चाहती हैऔर सभी ने स्वीकार किया कि चुड़ैल ने एक महान सच्चाई व्यक्त की |
पड़ोसी राजा ने आर्थर द्वारा दिए गए उत्तर से संतुष्ट होकर उन्हें पूरी तरह आजादी दे दी। दरसल यह किसी कहानी का अंत नहीं था, लेकिन महिलाओं के सशक्तिकरण पर सुंदर और सुगम विचार कि शुरुआत थी | लेकिन आये दिन महिलाओं के खिलाफ होते अपराध उनकी सामाजिक आजादी और भौतिक अधिकारों का हनन कर रही है | दरसल महिला सशक्तिकरण कुछ नहीं अपितु उन्हें समाज में समानता प्राप्त कराना है |  उन्हें स्वतंत्रता एवं सुरक्षा प्राप्त करना आवयशक है |  देश के सामाजिक तंत्र का पुनर्गठन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि समानतावादी मूल्यों द्वारा महिलाओं को पुरुषों कि ही तरह समाजिक स्वतंत्रता प्राप्त हो सके | देश में व्याप्त बीमार मानसिकता,  बलात्कारियों के लिए कड़ी सजा के बारे में पुनः विचार करना चाहिए कि महिलाएं समाज में खुल कर जीवन व्यतीत कर सके | 













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