आर्थिक उदारीकरण के
तीन दशक
बाद भारतीय समाज में हो रहा परिवर्तन ग्लोबल पैमाने पर हो रही भारत की
समृधि को साफ़ स्पष्ट कर रहा है | एक ओर जहां देश में
ऑनलाइन शौपिंग का बाज़ार अपने पैर फैला रहा है वही दूसरी तरफ कैशलेस ट्रांज़ैक्शन की
तरफ भारतीय उपभोक्ताओं का झुकाव भी बढ़ रहा है | क्रेडिट
कार्ड, डेबिट कार्ड तथा नेट बैंकिंग जैसे आभासी भुगतान
की दिशा में भारत धीरे धीरे ही सही लेकिन आगे बढ़ रहा है | केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2015 में भारत में पारंपरिक भुगतान की अपेक्षा आभासी
भुगतान अधिक हुआ है | भारत सरकार भी देश में कैशलेस लेनदेन को
प्रोत्साहित कर रही है और हाई-टेक फंड ट्रांसफर करने के तरीकों को प्रोत्साहित
करने की योजना को मजबूत करने के पक्ष में है | भारत ने जब सभ्यता की ओर कदम रखा था तो शायद ही कोई ये सोच सकता था कि
हमारी अर्थव्यवस्था प्रणाली में इतना बड़ा परिवर्तन होगा | भारत में उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच
वित्तीय विनिमय को सुचारू बनाने के लिए 6 वीं
शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास सिक्के की शुरूआत हुई | वित्तीय विनिमय को अधिक सुविधजनक बनाने के उद्देश्य से 1770 में कागज के पैसे चलन में आये | इसके बाद 1861 पेपर
करेंसी एक्ट पारित हो जाने के बाद कागज़ी मुद्रा लेनदेन और आसान हो गया | पिछले 340 सालों
में उपभोक्ता भुगतान बाजार में पेपर करेंसी का ही बोलबाला रहा लेकिन पिछले 10 वर्षों में प्रौद्योगिकी विकास ने भारत के
उपभोक्ताओं का कैशलेस लेनदेन की झुकाव बढ़ा है | हालांकि भारत में अभी आभासी भुगतान प्रणाली को अपनाने वालों का
प्रतिशत बहुत कम है और एक ख़ास वर्ग ही इसका प्रयोग कर रहा है | वास्तव में इस समूह का एक बड़ा वर्ग शहरी कामकाजी
आबादी है जो क्रेडिट, डेबिट कार्ड तथा नेट बैंकिंग का उपयोग करते
है | बरहाल प्रधानमंत्री की जन धन योजना के आने के बाद, देश भर में 11 करोड़ से
अधिक खाते खुल चुके है जो निश्चित ही भारत में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने में
सकारात्मक संकेत दे रहे है | भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा मास्टरकार्ड, वीजा और अमेरिकन एक्सप्रेस कार्ड की तरह घरेलू
प्रतिद्वंदी “रुपे” कार्ड
लांच किया गया है जिसका उद्देश्य भी आभासी लेनदेन को बढ़ावा देना है | “रुपे” दो
शब्दों रुपया और भुगतान के संयोजन से बना है जो डेबिट कार्ड का भारतीय संस्करण है | रूपे सभी भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों में
इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की सुविधा प्रदान करता है | भारत अब
घरेलू भुगतान गेटवे प्रणाली के लिए दुनिया का छठा देश बन गया है |
भारतीय रिजर्व बैंक
की अप्रैल 2015 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में क्रेडिट कार्ड से
लगभग 75% लेनदेन एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई
बैंक, इंडसइंड बैंक, कोटक
महिंद्रा बैंक के ग्राहक करते है | इंटरनेट और स्मार्ट
फ़ोन के विकास ने भी कागज रहित लेनदेन को और अधिक आसान बनाने में महतवपूर्ण भूमिका
निभायी है |
पिछले दो दशकों में
इंटरनेट और मोबाइल फोन की क्रांति ने देश में डिजिटल कॉमर्स के लिए दरवाज़े खोले है | स्मार्टफोन, इंटरनेट
की पहुंच और ई-कॉमर्स का तेजी से विकास इस कैशलेस भुगतान का पूरक है | रेल टिकेट बुक करना हो या फ्लाइट टिकेट, या अन्य तरह के बिल जमा करना हो ऑनलाइन
ट्रांज़ैक्शन इस तरह के रोजमर्रे के कामों को आसान बनाने में सक्षम है | कैशलेस अर्थव्यवस्था का असर फ्रांस, बेल्जियम, स्वीडन, नॉर्वे, आइसलैंड
जैसे छोटे देशों में भी साफ़ दिखाई दे रहा हैं | हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था इन देशों से अधिक मजबूत एवं सकारात्मक
विकास के पथ पर है | बरहाल धीरे धीरे ही सही लेकिन सरकार और भारतीय
रिज़र्व बैंक देश में कैशलेस लेनदेन को प्रोत्साहित कर रही है | भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के “रूपे” और
आईएमपीएस (तत्काल भुगतान सेवा) देश में कैशलेस लेनदेन प्रणाली को सफल बनाने में
प्रयासरत है | भारत का भविष्य कैशलेस ट्रांज़ैक्शन की दिशा में
है जो निश्चित ही देश की प्रगति के पथ का संकेत दे रहे है |
http://www.humsamvet.in/humsamvet/?p=3361
आर्थिक उदारीकरण के तीन दशक
बाद भारतीय समाज में हो रहा परिवर्तन ग्लोबल पैमाने पर हो रही भारत की समृधि को साफ़ स्पष्ट कर रहा है | एक ओर जहां देश में ऑनलाइन शौपिंग का बाज़ार अपने पैर फैला रहा है वही दूसरी तरफ कैशलेस ट्रांज़ैक्शन की तरफ भारतीय उपभोक्ताओं का झुकाव भी बढ़ रहा है | क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड तथा नेट बैंकिंग जैसे आभासी भुगतान की दिशा में भारत धीरे धीरे ही सही लेकिन आगे बढ़ रहा है | केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2015 में भारत में पारंपरिक भुगतान की अपेक्षा आभासी भुगतान अधिक हुआ है | भारत सरकार भी देश में कैशलेस लेनदेन को प्रोत्साहित कर रही है और हाई-टेक फंड ट्रांसफर करने के तरीकों को प्रोत्साहित करने की योजना को मजबूत करने के पक्ष में है | भारत ने जब सभ्यता की ओर कदम रखा था तो शायद ही कोई ये सोच सकता था कि हमारी अर्थव्यवस्था प्रणाली में इतना बड़ा परिवर्तन होगा | भारत में उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच वित्तीय विनिमय को सुचारू बनाने के लिए 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास सिक्के की शुरूआत हुई | वित्तीय विनिमय को अधिक सुविधजनक बनाने के उद्देश्य से 1770 में कागज के पैसे चलन में आये | इसके बाद 1861 पेपर करेंसी एक्ट पारित हो जाने के बाद कागज़ी मुद्रा लेनदेन और आसान हो गया | पिछले 340 सालों में उपभोक्ता भुगतान बाजार में पेपर करेंसी का ही बोलबाला रहा लेकिन पिछले 10 वर्षों में प्रौद्योगिकी विकास ने भारत के उपभोक्ताओं का कैशलेस लेनदेन की झुकाव बढ़ा है | हालांकि भारत में अभी आभासी भुगतान प्रणाली को अपनाने वालों का प्रतिशत बहुत कम है और एक ख़ास वर्ग ही इसका प्रयोग कर रहा है | वास्तव में इस समूह का एक बड़ा वर्ग शहरी कामकाजी आबादी है जो क्रेडिट, डेबिट कार्ड तथा नेट बैंकिंग का उपयोग करते है | बरहाल प्रधानमंत्री की जन धन योजना के आने के बाद, देश भर में 11 करोड़ से अधिक खाते खुल चुके है जो निश्चित ही भारत में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने में सकारात्मक संकेत दे रहे है | भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा मास्टरकार्ड, वीजा और अमेरिकन एक्सप्रेस कार्ड की तरह घरेलू प्रतिद्वंदी “रुपे” कार्ड लांच किया गया है जिसका उद्देश्य भी आभासी लेनदेन को बढ़ावा देना है | “रुपे” दो शब्दों रुपया और भुगतान के संयोजन से बना है जो डेबिट कार्ड का भारतीय संस्करण है | रूपे सभी भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की सुविधा प्रदान करता है | भारत अब घरेलू भुगतान गेटवे प्रणाली के लिए दुनिया का छठा देश बन गया है |
भारतीय रिजर्व बैंक
की अप्रैल 2015 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में क्रेडिट कार्ड से
लगभग 75% लेनदेन एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई
बैंक, इंडसइंड बैंक, कोटक
महिंद्रा बैंक के ग्राहक करते है | इंटरनेट और स्मार्ट
फ़ोन के विकास ने भी कागज रहित लेनदेन को और अधिक आसान बनाने में महतवपूर्ण भूमिका
निभायी है |
पिछले दो दशकों में
इंटरनेट और मोबाइल फोन की क्रांति ने देश में डिजिटल कॉमर्स के लिए दरवाज़े खोले है | स्मार्टफोन, इंटरनेट
की पहुंच और ई-कॉमर्स का तेजी से विकास इस कैशलेस भुगतान का पूरक है | रेल टिकेट बुक करना हो या फ्लाइट टिकेट, या अन्य तरह के बिल जमा करना हो ऑनलाइन
ट्रांज़ैक्शन इस तरह के रोजमर्रे के कामों को आसान बनाने में सक्षम है | कैशलेस अर्थव्यवस्था का असर फ्रांस, बेल्जियम, स्वीडन, नॉर्वे, आइसलैंड
जैसे छोटे देशों में भी साफ़ दिखाई दे रहा हैं | हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था इन देशों से अधिक मजबूत एवं सकारात्मक
विकास के पथ पर है | बरहाल धीरे धीरे ही सही लेकिन सरकार और भारतीय
रिज़र्व बैंक देश में कैशलेस लेनदेन को प्रोत्साहित कर रही है | भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के “रूपे” और
आईएमपीएस (तत्काल भुगतान सेवा) देश में कैशलेस लेनदेन प्रणाली को सफल बनाने में
प्रयासरत है | भारत का भविष्य कैशलेस ट्रांज़ैक्शन की दिशा में
है जो निश्चित ही देश की प्रगति के पथ का संकेत दे रहे है |
http://www.humsamvet.in/humsamvet/?p=3361
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