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Wednesday, October 9, 2013



                                    
Music is the Therapy of Life
“If music be the food of love, play on.”
        Shakespeare
                             
“थोडा है थोड़े की ज़रुरत है ज़िन्दगी फिर भी यहाँ खूबसूरत है“ या “ज़िन्दगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है” ऐसे हजारों नगमे है जो हमारे अन्दर पैशन, जोश जगाने के साथ साथ स्ट्रेस बस्‍‍टर का भी करते है. म्यूजिक लाइफ का  रिदम है ये तो सबने सुना होगा लेकिन क्या आप जानते है ये एक अच्छे थेरेपिस्ट का भी काम करता है. व्यवसायिक और प्रतिस्पर्धा के इस युग में अवसाद ग्रस्त होना आम बात है.आज दुनिया भर में करोडो लोग डिप्रेशन के शिकार है जो सुर के सागर में डूब कर स्ट्रेस से बाहर निकल सकते है. अमेरिकी संगीत थेरेपी एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार स्ट्रैस बस्टर में म्यूजिक थेरेपी का बहुत असर देखने को मिल रहा है. रिसर्च बताता है कि शरीर में ट्राइटोफन नामक केमिकल पाए जाते हैं जो संगीत के माध्यम से अवसाद को दूर करते है. म्यूजिक शरीर और मन से जुड़ी साइकोसोमेटिक तथा सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिये भी एक बेहतर विकल्प है. ऑटिज्म, क्लिनिकल डिप्रैशन, हार्ट प्रॉब्लम, हाई लो ब्लड प्रैशर के इलाज में म्यूजिक थेरेपी के सकारात्मक प्रभाव देखे गए है, म्यूजिक थेरेपिस्ट्स म्यूजिक को सेडेटिव की जगह देने लगे है और  इसे एक असरदार ट्रैंक्वलाइजर की तरह देखा जाने लगा है. शोध दर्शाते हैं कि म्यूजिक लोगों में भावनाओं को जगाकर एंडोर्फिन हार्मोन का स्त्राव करता है जो दर्द निवारक, तनाव कम करने वाला और मूड को अच्छा करने वाला होता है. संगीत न केवल तनाव दूर करता है, आत्मशांति भी प्रदान करता है तो बस म्यूजिक सुनो सुनाओ और टेंशन को दूर भगाओ.“जब लाइफ हो आउट आफ कण्ट्रोल होठों को करके गोल सिटी बजा के बोल आल इज वेल”. मनोचिकित्सक का मानना है की संगीत मरीज में मोटिवेशन और सकारात्मक भावनाओं को बढ़ाता है और अगर इसका प्रयोग पारंपरिक उपचार के साथ किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद है, स्ट्रोक पेशेंट्स के लिए म्यूजिक थेरेपी अच्छा उपाय है और जल्दी रिकवर करने में सहायता करती है. इसके अलावा कम्युनिकेशन स्किल विकसित करने और आत्मविश्वास बढाने में भी म्यूजिक की अहमियत कम नहीं है. “अभी अभी हुआ यकीन की आग है मुझमे कहीं” ऐसे नगमें हमें प्रेरणा प्रदान कर हमारे सकारात्मक सोच को बढाते है.सारेगामा” में वह शक्ति है कि यह प्रसव वेदना भी कम करता है और सेन्ट्रल नर्वस डिसआर्डर से भी निजात पंहुचा सकता है.
वैसे संगीत चिकित्सा का इतिहास काफी पुराना है, कहा जाता है कि अकबर के दरबार में जब तानसेन गाते थे, तो दीपक खुद--खुद जल उठते थे. संगीत की इसी शक्ति को अब वैज्ञानिकों द्वारा पुष्टि मिल चुकी है और म्यूजिक थेरेपी लोगों को स्ट्रेस से निकलने, मन को हल्का करने और मूड रिलैक्स करने में बहुत कारगर साबित हो रहा है तो बस गुनगुनाते रहिये मुस्कुराते रहिये और स्ट्रेस मुक्त रहिये. “अल्लाह के बन्दे हँस दे अल्लाह के बन्दे”
  

Pallavi Mishra
Research Scholar
University of Lucknow

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