मंजुल है तस्वीर यहाँ की
पुण्य भूमि, पुण्य आत्मा
एक आँचल के फूल हैं हम,
एक उपवन के सुमन
भिन्न है बोली, भिन्न है भाषा
भिन्न हैं रीति रिवाज़
बे नज़ीर हैं हर रंग
भिन्न परम्पराएं रहती हैं संग
एक डोर से बंधी है भारत की संस्कृति
भावनात्मक एकता की है प्रकृति
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
हर ओर दीखते रूप नए, नए हैं ढंग
विशिष्ट तस्वीर करती विभक्त
पर होता है एक ही आत्मा से मिलन
झूमती धरती, गाता आकाश
नृत्य है यहाँ के इतने ख़ास
वो कथक का है रूप अनोखा
भरतनाट्यम कुचिपुड़ी, गरबा, घुम्मर
भांगरा का मिलन है चोखा
सदियों से फैला है यहाँ संगीत का इतिहास
मुग्ध मोहित कर देती शास्त्रीय संगीत की मिठास
लोक गीत, भजन, गजल, कवाल्ली,
फिल्मी गाने, रीमिक्स गीत, फ्यूजन
है यहाँ की संस्कृति की शान
वो दिवाली की रौनक, होली के रंग,
ईद-उल-फ़ित्र, पोंगल, रक्षाबंधन, ओणम
हर त्यौहार में है ख़ास उमंग
लफ़्ज़ों में ना होगी बयान
इस भारत संस्कृति की दास्तान
मेरे देश की संस्कृति महान
रहेंगे सदा इसके निशाँ………!!
- पल्लवी मिश्रा
शोधार्थी, गीतकार, फ्रीलांसर
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