Dr Pallavi Mishra is working as an Associate Professor. NET/JRF qualified.Founder of PAcademi.com

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Wednesday, August 3, 2016

भारत में ऑनलाइन बाज़ार का बढ़ता वर्चस्व

असीमित क्षमताओं और संभावनाओं से युक्त -कॉमर्स ने हाल के वर्षों में भारतीय बाज़ार में उल्लेखनीय जगह बना ली है. पिछले दो दशकों में इंटरनेट और मोबाइल फोन की क्रांति से संचार और व्यापार की दुनिया में हुए परिवर्तन ने डिजिटल कॉमर्स की राह आसान कर दी है. देश में मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्ट फोन, -कॉमर्स की सफलता का प्रतिनिधित्व कर रहा है. भारतीय -कॉमर्स बाजार तेजी से विकसित हो रहा है और त्योहारों के मौसम के दौरान इसकी वृद्धि और अधिक स्पष्ट हो जाती है. एसोचैम (भारत के वाणिज्य एवं उद्योग एसोसिएटेड चैम्बर्स) के ताजा अध्ययन के अनुसार आकर्षक ऑफर के कारण ये उपभोगताओं को आकर्षित करने में सफल हो रहे है. त्योहार के मौसम के दौरान ऑनलाइन शॉपिंग मार्ट में 40-45 फीसदी से अधिक दर से बढ़ोतरी देखी जाती है. भारतीय संस्कृति के अनुसार त्योहारों के मौसम को खरीदने के लिए शुभ माना जाता है फिर चाहे रक्षा बंधन हो या कोई अन्य पर्व -कॉमर्स बाज़ार उपभोगताओं को लुभाने की हर कोशिश करता है. देश के राष्ट्रीय पर्व स्वत्रंता दिवस पर भी ऑनलाइन शौपिंग साइट्स उपभोगताओं को आकर्षित करने के लिए कई नए ऑफर लाती है. एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में त्योहारी सीजन में भारतीय ऑनलाइन खुदरा बिक्री में ब्रांडेड परिधान, सामान, आभूषण, उपहार और जूते के बड़ी बिक्री से -कॉमर्स के राजस्व में पांच गुना वृद्धि हुई थी. एसोचैम के अध्ययन के मुताबिक इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में -कॉमर्स पर पांच गुना से अधिक वृद्धि होने की संभावना है. फेस्टिव सीजन के दौडान ऑनलाइन शौपिंग साइट्स पर उम्मीद से अधिक सेल होने के कारण इस वर्ष -कंपनिया पहले से ही बेहतर तरीके से तैयार है. भारत के इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन और इंटरनेट मोबाइल रिसर्च ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में भारत में -कामर्स क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2014 के अंत में भारतीय डिजिटल कॉमर्स बाज़ार में 53% की दर से वृद्धि, 81,525 करोड़ रूपए पर दर्ज की गई और वही 2015 के अंत तक 33% की दर से वृद्धि हुयी जो लगभग एक लाख करोड़ रुपए के आकड़ें को पार कर गयी.  एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में ऑनलाइन शॉपिंग में 78% की वृद्धि होने की बात कही गयी है.

भारत में बहुत सारी -कॉमर्स कंपनीया जैसे फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, पेटीएम्, कुइककर, इनमोबी, बुक माय शो, ओलाकैब, मेय्न्त्रा, जबोंग, ओएलएक्स, अमेज़न आदि ने लोगों को प्रभावित किया और ये करोड़ों रूपए कमाने में कामयाब भी हुए है. -कॉमर्स की डिलवरी पर नकदी की सुविधा भारत के लोगों की सबसे पसंदीदा भुगतान विधि है. कुछ समय पहले तक भारतीय उपभोक्ता की छवि एक पारंपरिक ग्राहक के ढर्रे से बंधी थी, परंतु -कॉमर्स की सुविधा के आगमन के साथ ही गत कुछ वर्षों से भारतीय उपभोक्ता एक नई दिशा की ओर चल पड़ा है. ऑनलाइन शौपिंग साइट्स पर मिल रहे ऑफर और सुविधा के साथ अब वह घर बैठे ही चीजें खरीदना पसंद कर रहा है हालांकि इस बात में संदेह नहीं है की पारंपरिक तरीके से खरीदारी की ओर ग्राहकों का रुझान कम नहीं हुआ है लेकिन देश में -कॉमर्स या ऑनलाइन शॉपिंग की अभूतपूर्व सफलता ने अलग ही इतिहास रचा है. हाल में जब ऑनलाइन सुपरस्टोर फ्लिपकार्ट के संस्थापकों द्वारा 1 अरब डॉलर्स की राशि का निवेश करने की खबर सुर्खियों में आयी तो उसके तुरंत बाद एक अन्य वैश्विक सुपरस्टोर अमेजन ने देश में -कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए अपने स्तर पर 2 अरब डॉलर्स के निवेश की घोषणा कर दी. इससे ये साफ हो जाता है की इतने भारी-भरकम निवेश की प्रतिस्पर्धा तभी फलीभूत होती है जब उससे मिलने वाले रिटर्न्स काफी अधिक लाभ देने की संभावना रखता हो.
हाल के वर्षों में संचार और व्यापार की दुनिया में हुए उल्लेखनीय परिवर्तन से हुए डिजिटल कॉमर्स का विकास भारत के लिए काफी अनोखा है. विश्व बैंक के अनुसार 2017 तक भारत की जीडीपी में 8 फीसदी की दर से विकास होगा. और इससे आगे आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार होगा तथा विश्व बाजार में भारत प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा. भारत में तेजी से विकास की ओर अग्रसर -कॉमर्स भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है. आज भारत में बड़ी कंपनी हो या छोटी दुकानें सभी डिजिटल कॉमर्स की दुनिया में कदम रख रही है ताकि अपना ग्लोबल बाज़ार बना सके. ये डिजिटल इंडिया के सपने को नयी दिशा देने तथा भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सहायक साबित हो सकता है. भारत में बढ़ते स्मार्टफ़ोन, टेबलेट और इन्टरनेट उपभोक्ताओं के कारण टियर टू और टियर थ्री शहरों में भी -कॉमर्स बाज़ार के लिए अपार अवसर है. ऑनलाइन रिटेल वेब साइट्स ने छोटे शहरों से अधिक डिमांड के कारण तथाकथित टियर टू और टियर थ्री शहरों की ओर रुख किया है. अग्रणी ऑनलाइन शौपिंग साइट्स फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, ईबे, शॉपक्लूज, ओएलएक्स के अनुसार उनकी बिक्री का लगभग आधा आर्डर टियर और टियर शहरों से आता है. ईबे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इसके कारोबार का 50 फीसदी आर्डर टियर टू और टियर थ्री शहरों से ही आता हैं. इससे साफ़ स्पष्ट हो रहा है कि भारत का -कॉमर्स छोटे शहरों में भी अपना सुनेहरा भविष्य देख रहा है.




Sunday, May 15, 2016

भारत के गावों की तस्वीर दिखाता रूरल टूरिज्म


भारत का दिल उसके गांवों में बस्ता है, गौरतलब है कि 2011 के जनगणना के अनुसार आज भी भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवो में निवास करती है | इन आकड़ों ने साफ़ कर दिया है कि देश की आधी से ज्यादी आबादी की आजीविका का प्रमुख साधन खेत से होकर निकलता है | राष्ट्रीय आय में लगभग एक तिहाई योगदान ग्रामीण भारत से आता है | उल्लेखनीय है भारत का शहर और गाँव दोनों ही प्रकृति के सौन्दर्यता से लबरेज़ है | अतुल्य भारत की खूबसूरत तस्वीर को सिर्फ शहरी पर्यटन से ही नहीं बल्कि ग्रामीण पर्यटन से भी अनुभव किया जा सकता है | भारत में पर्यटन तीसरा सबसे बड़ा निवल विदेशी मुद्रा का अर्जक है जिसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है | यह राष्‍ट्र की विकास योजना के सामाजिक आर्थिक लक्ष्‍य को हासिल करने में मुख्‍य भूमिका निभाता है | बरहाल अब ग्रामीण भारत में बरसों से छिपे ग्रामीण पर्यटन के महत्व को पहचाना जा रहा है जो देश के लिए कई अर्थों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है और इससे विश्‍व पर्यटन बाजार में भारत को अलग पहचान मिल सकती है | ग्रामीण पर्यटन भारत के गांवों की वास्तविक संस्कृति से रूबरू होने के अवसर देगा जिससे यहाँ के पुरातात्विक कलाकृतियों के बेजोड़ संगम को अनुभव किया जा सकता है | केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा ग्रामीण पर्यटन की परियोजनाओ के विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है | हाल के वर्षों में भारत में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित कर कई भारतीय गांवों को पर्यटन के नक्शे पर स्थान मिला है | 
 ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण करने पर यहां शहरी चमक-दमक तो नहीं पर शांति और अनुकूलता का अनुपम संगम देखने को मिलता है | भारत के गांव हमेशा अपनी कला के माध्यम से जाने जाते है, इसके ग्रामीण क्षेत्रों में विरासत, कला एवं संस्‍कृति, धार्मिक एवं आध्‍यात्मिक पर्यटन, साहसिक एवं प्राकृतिक पर्यटन तथा परंपरागत पर्यटन आदि के भरपूर अवसर मिलते हैं | ग्रामीण पर्यटन को संगठित कर विदेशी एवं घरेलू आगंतुकों को आकर्षित किया जा सकता है | ग्रामीण पर्यटन के द्वारा भारत के गावों में बसी लोकगीत और लोक नृत्य की कला को भी अलग अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है | पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों का रुझान ग्रामीण पर्यटन की तरफ बढ़ा है | इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन विकास को लेकर कई योजनायें  प्रस्तावित हुई है | यहां की संस्कृति,लोक गीत स्थानीय नृत्य मेलों और त्योहारों को ध्यान में रखते हुए, ग्रामीण पर्यटन की परियोजनाओं की रचना की जा रही है | पर्यटन विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटकों की सुविधा हेतु कई योजनाओं पर कार्यरत है जिसमें पेइंग गेस्ट हाउस तथा फार्म हाउस प्रमुख है |
कुम्बलंगी एकीकृत पर्यटन गाँव परियोजना की स्थापना के बाद से गांव के पर्यटन और समुद्री गतिविधियों को बहुत प्रोत्साहन मिला है | यह भारत की पहली परियोजना थी जिसका उद्देश्य कुम्बलंगी को एक आदर्श मछली पकड़ने वाले गाँव और पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित किया गया | पर्यटक यहाँ की सैर कर मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हैं और साथ ही साथ नौका सवारी का अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करते है |आगंतुक इस द्वीप पर की जाने वाली मत्स्य पालन, नारियल की जटा की कताई और अन्य कई समुद्री गतिविधियों का आनंद लेते है | इस परियोजना के एक भाग में बैकवॉटर टूर्स (जिसमें दिन में नाव की सवारी और पूरी रात नाव की सवारी के पैकेज आते हैं) और सांस्कृतिक कार्यक्रमों  का आयोजन किया जाता हैं |
ग्रामीण पर्यटन का प्रोत्साहन करने हेतु हिमाचल में, पर्यटकों को वहाँ की संस्कृति और जीवन शैली से रूबरू कराने तथा घर जैसा माहौल उपलब्ध कारने के लिए प्रदेश सरकार ने “होम स्टे” नाम की योजना शुरू की है | ऐसे ही हरियाणा ने भी ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए फार्म हाउस टूरिज्म को विकसित करने की पहल की है ताकि देशी और विदेशी पर्यटक राज्य की ग्रामीण जीवन शैली, रीतिरिवाजों और खेतखलिहानों की झलक पाकर देश के अनूठे रंग से वाकिफ हो सकें। हरियाणा पर्यटन निगम नेफार्म हॉलिडेऔर विलेज सफारीपर्यटन की योजनाएं शुरू की है | म्हारा गांवनाम की योजना से पर्यटकों को हरियाणा के लोक संस्कृति से जोड़ने की बेहतरीन कोशिश की जा रही है | सूरजकुंड में हर साल होने वाला मेला देशीविदेशी पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश की ओर आकर्षित कर रहा है |
रूरल टूरिज्म की ओर पर्यटकों का रुझान देखते हुए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय अब विलेज दूरिज्म की संभावनाओं को तलाश रहा है | इस कड़ी में पर्यटन विभाग कुछ चुनिंदा गांवों को विलेज टूरिज्म की तर्ज पर बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है ताकि रूरल टूरिज्म द्वारा विदेशी व देशी पर्यटकों को गांवों की संस्कृति से जोड़ा जा सके | विलेज टूरिज्म का उचित कार्यान्वयन देश के लिए कई अर्थों में एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है |  
हाल के वर्षों में भारत के ग्रामीण पर्यटन बाजार में हुए विकास से कई भारतीय गांवों को पर्यटन के नक्शे पर जगह मिली है | इतना ही नहीं यह आय का एक बहुत आवश्यक अतिरिक्त स्रोत है जो ग्रामीणों को आय का एक नया स्त्रोत प्रदान करने के साथ साथ गाव वासियों को आगंतुकों के साथ बातचीत कर नयी जानकारी हासिल करने के भी अवसर प्राप्त कराएगी |

Sunday, May 8, 2016

मोहब्बत का दरिया “माँ”

लम्हा लम्हा हर पल गुजरा..
जिसके आँचल में बचपन गुजरा ..
सवांरने में हमारी ज़िन्दगी जिसके ज़िन्दगी का सफ़र गुजरा..
रात रात भर जाग जाग कर नींदों का कारवां चला  ..
जिसके ख्वाबों में भी मेरा ही चेहरा रहा ..
जिसके सुबह शुरू होती मुझसे ..
जिसके शाम में भी मैं ही थी शामिल ...
वो हसाती भी है मेरे दर्द में डूब जाती भी है ...
भर गयी जो अश्कों से आखें मेरी ..
उसकी आखें भी नम हो जाती  ..
एक “माँ” ही तो है जो पास रहकर ...
और दूर होकर भी हर पल साथ निभाती है   ...
वो साथ हो या ना हो अपने होने के एहसास कराती है ...
जब कभी ज़िन्दगी से चोट मिली ..
लब पर तेरा ही नाम आया ..
तेरे ही हौसलों से बुने मैंने ख्वाब मेरे ..
तेरे ही इरादों ने दी पंखों को उड़ान मेरे ..
जब कभी लड़खादाएं कदम..
तूने संभाल लिया ..   
मेरे हर गम को अपने दामन में थाम कर ..
मेरी फिक्र को भी अपना ही नाम दिया  ..
“माँ” एक शब्द नहीं, एक पूरा “जहां” है..
जिसकी ममता से सींचता एक ज़िन्दगी का फलसफा है ...



Monday, May 2, 2016

प्रवासी मजदूरों की दयनीय दशा


उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए आज़ाद भारत की आर्थिक, सामाजिक और जाति आधारित जनगणना ने साफ़ कर दिया है कि आज़ादी के 67 साल बाद भी भारत में मजदूरों की दशा में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो पाया है | ये जनगणना भारतीय समाज के मजदूरों की दशा को आईना दिखाते हुए स्पष्ट कर रहा है कि  भारत में मजदूरों की माली हालत ठीक नहीं है | उनकी मासिक आय बहुत कम है और इसका एक मूल कारण ये है कि यहाँ मजदूरों की दिशा असंगठित है | भारत में मजदूरों की दशा विचारणीय है लेकिन प्रवासी भारतीय मजदूरों की स्थिति यहाँ के मजदूरों की तुलना में बहुत अधिक दयनीय है | भारत में अगर न्यूनतम मजदूरी की बात की जाए तो यहां न्यूनतम मजदूरी की दर अलग- अलग प्रदेशों में अलग अलग है । मनरेगा योजना के तहत यूपीए सरकार ने मजदूरों को सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से सौ दिन के काम का प्रावधान रखा है | 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी राज्यों को न्यूनतम तय मजदूरी देने का निर्देश दिया गया था और तब तत्कालीन केंद्र सरकार ने 119 रुपए देना तय किया था | मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी की दर 156 से 236 रुपए है | दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत की न्यूनतम मजदूरी की दरबहुत कम है | संविधान बनने से पूर्व भारत में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 लागू किया गया था जिसमें अभी भी कोई सुधार नहीं हुआ हैं | इस अधिनियम के तहत भी हर राज्य की न्यूनतम मजदूरी की दर अलग-अलग है | बरहाल भारत में मजदूरों की दशा विचारनीय है  और  देश के मजदूरों को एक संगठित दिशा देने के लिए सरकार प्रयासरत है |  उल्लेखनीय है कि सरकार भारतीय मजदूरों के लिए कई योजनायें बना रही  है जिनमें से 2020 तक सभी को रहने के लिए आवास उपलब्ध करना अहम् है जो इन मजदूरों की ज़िन्दगी  बदलने में सहायक साबित हो सकती है | बरहाल अगर प्रवासी मजदूरों की बात की जाए तो उनकी दशा बहुत दयनीय है, उनकी  आर्थिक और सामाजिक स्थिति विचारनीय है | खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय मजदूर की स्थिति बहुत खराब है | लगभग 7 करोड़ से अधिक भारतीय सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, कतर और बहरीन के तेल समृद्ध खाड़ी देशों में काम करते हैं | इंडिया स्पीड द्वारा किये गये सर्वेक्षण से ये बात सामने आयी कि सऊदी अरब या कुवैत में रहने वाले भारतीय मजदूरों की ज़िन्दगी पर हमेशा मौत का खतरा बना रहता है | खूबसूरत दुबई में छुपी इन प्रवासी मजदूरों की स्थिति भी बहुत गंभीर है | सुनहरे भविष्य का सपना लिए जब भारतीय मजदूर इन खाड़ी देशों में कदम रखता है तो उन्हें पता नहीं होता कि उनके सुनहरे भविष्य का सपना चुनौतियों भरा है | सयुंक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार वहां कार्यरत मजदूरों के पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है और भीषण गर्मी में उन्हें बहुत लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता हैं |  लगभग 50 डिग्री की भीषण तापमान में प्रवासी मजदूर आमतौर पर 14 घंटे काम करते हैं  | इसके विपरीत, पश्चिमी देशों के पर्यटकों को गर्मियों में पांच मिनट के लिए भी बाहर न जाने की सलाह दी जाती है |  हालांकि सरकार के नियमों के अनुसार तापमान अधिक होने पर काम बंद करने का प्रावधान है ताकि किसी को स्वास्थ्य की कोई तकलीफ ना हो, लेकिन ऐसे नियम होने के बावजूद ये प्रवासी मजदूर भीषण गर्मी में काम करते है |  संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार लगभग  35 लाख भारतीय प्रवासी इन खाड़ी देशों में रहते है और  उनमें से आधे से अधिक महिलाएं हैं |  इनमे ज्यादातर महिलाएं कम कुशल और अविवाहित है | संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट साफ़ करती है कि ये महिलाएं घरेलू कामगारों का काम करती है जिन्हें  अल्प मजदूरी, भुगतान न मिलना सहित शारीरिक, यौन और भावनात्मक शोषण का सामना करना पड़ता है | हालांकि भारतीय महिलाओं के अधिकारों का अन्य देश में हनन ना हो इसके लिए भारत में विशेष दिशा निर्देश है और इन वर्ग के लोगों को विदेश में मजदूरी करने से पहले उन्हें समझना आवश्यक है | भारतीय मजदूरों एवं कामगारों को विदेश में मजदूरी करने से पहले सरकार की इन योजनाओं के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है ताकि उनके अधिकारों का हनन ना हो | 

Tuesday, April 26, 2016

खतरनाक होता सेल्फी एडिक्शन


देश में पिछले एक वर्ष में सेल्फी के क्रेज में जान गवां रहे युवाओं की बढती घटनाओं ने ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इस तरह कि खतरनाक सेल्फी का जूनून हमें किस राह लेकर जा रहा है | ये युवा महज़ लोगों को एक अनोखी सेल्फी से प्रभावित करने के लिए, इस खूबसूरत ज़िन्दगी को मौत का न्योता दे बैठते है | हाल ही में हुई घटना ने फिर सेल्फी की सनक को स्पष्ट किया, जब यूपी में दौड़ती ट्रेन के साथ सेल्फी लेने के चक्कर में दो  लोग मौत का शिकार हो गए | इसके आलावा सहारनपुर क्षेत्र के रेलवे क्रासिंग के पास एक अन्य छात्र भी रेल की पटरी पर सेल्फी लेने के चक्कर में ट्रेन की चपेट में आकर मौत की नींद सो गया | इससे पहले भी इसी वर्ष 11वी क्लास में पढने वाला एक छात्र तेज़ रफ्तार ट्रेन के साथ सेल्फी खींचने की कोशिश में हादसे का शिकार हो गया था | मुंबई में भी सेल्फी क्रेज की वजह से कुछ लडकियां समुद्र में गिर गयी थी जिसमे से एक की मौत हो गयी थी | मथुरा में भी 3 कॉलेज के छात्र तेज रफ्तार ट्रेन के साथ सेल्फी लेते समय जान गवां बैठे थे | पिछले वर्ष मुंबई में एक 14 वर्षीय स्कूल छात्र की भी सल्फी लेने के चक्कर में तब मौत हो गयी थी जब वह एक खड़ी ट्रेन के डिब्बे के ऊपर सेल्फी लेने की कोशिश कर रहा था और बिजली का झटका लग गया था | भारत में ऐसे और भी कई हादसे हुए है जिसमें लोग सेल्फी लेने के चक्कर में अपनी जान से हाथ धो बैठे है  | सेल्फी से हो रही मौत का आकंडा भारत में लगातार बढ़ रहा है लेकिन फिर भी लोग इन हादसों से सबक नहीं ले रहे है | वाशिंगटन पोस्ट की 2015 रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में लोगों ने सेल्फी लेने के दौडान अपनी जान गवाई है | इससे साफ़ हो रहा है कि भारत में लोगों कि सेल्फी सनक कम नहीं हो रही है | ऐसे तो मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे सामाजिक संपर्क में रहने की आवश्यकता है | टेक्नोलॉजी विकास ने जब सेल्फी संस्कृति को जन्म दिया तो इसने लोगों को काफी प्रभावित किया | ये स्वाभाविक भी है की हर मनुष्य को स्वयं को कमरे में कैद करना और लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलना अच्छा लगता  है | ये अटेंशन सीकिंग बिहेवियर है और सामाजिक रूप से स्वीकार्य है | हालांकि अगर व्यक्ति ज़रुरत से ज्यादा ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश करता है तो वो अटेंशन सीकिंग बिहेवियर डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है | मनोचिकित्सक मानते है कि बहुत ज्यादा सेल्फी की लत, सेल्फी सिंड्रोम को जन्म देती है जिसे अटेंशन सीकिंग बिहेवियर डिसऑर्डर कहा जाता है | बरहाल हमें ये समझना आवश्यक है कि टेक्नोलॉजी का विकास सिर्फ हमारी सुविधा के लिए हुआ है और हमें इससे इतना अधिक प्रभावित नहीं होना चाहिए कि हम किसी विकृति का शिकार हो जाए या स्वयं की ज़िन्दगी से हाथ धो बैठे |   


Tuesday, April 19, 2016

ऑड इवन का सियासी ड्रामा

दिल्ली में चल रहा ऑड इवन का फॉर्मूला प्रदुषण कम करने में कितना कारगर होगा ये तो आने वाले वक़्त ही बताएगा लेकिन लोगों की जेब कतरने में ये ख़ासा सफल हो रहा है दिल्लीवासी दोहरी मार का शिकार हो रहे है, एक तरफ तो इस ऑड इवन फॉर्मूले का उल्लंघन करने पर 2000 का जुर्माना भरना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ दिल्ली की सबसे बड़ी टैक्सी सर्विस ओला और उबेर  कंपनियों  ने ऑफिस टाइम में अपने दरों में तीन गुना वृद्धि कर दी है |  दिल्लीवासी इस ऑड इवन स्कीम को सफल बनाने के लिए भले ही हर मुमकिन कोशिश कर रहे हो लेकिन सियासी लोग इस पर अपनी रोटी सकने से पीछे नहीं हट रहे है | इस नियम का उल्लघन करने का एलान कर चुके बीजेपी के संसद विजय गोयल को गुलाब के फूल की पेशकश करते हुए दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने समझाने की कोशिश की लेकिन कुछ घंटे के बाद ही विजय गोयल ने इस योजना का उल्लंघन कर दिल्ली पुलिस को 2000 रुपये का जुर्माना दिया | हालांकि विजय गोयल का कहना था की उन्होंने इस योजना का उलंघन ऑड इवन फोर्मुले को गलत साबित करने के लिए नहीं बल्कि सरकार द्वारा इस योजना के प्रचार प्रसार पर करोड़ों रूपए खर्च किये जाने के विरोध में किया है | इससे सियासी जंग ने नया मोड़ ले लिया और केंद्रीय सरकार पर स्वच्छ भारत अभियान के प्रचार प्रसार में किये गए खर्चे की जानकारी मांगी गयी | बरहाल देश किसी भी गंभीर समस्या से जूझ रहा हो लेकिन सियासत में बैठे लोग समस्या को सुलझाने के बजाये एक दुसरे पर छीटा कशी से पीछ्ते नहीं हटते | देश में बढ़ता प्रदुषण एक बहुत बड़ी समस्या है, दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है | हम सभी को एकजुट होकर प्रदुषण कम करने के लिए किसी अच्छे विकल्प के बारे में सोचना चाहिए | ऑड इवन प्रदुषण को कम करने के लिए एक इमरजेंसी विकल्प हो सकता है लेकिन ये एकमात्र विकल्प नहीं है | ऑड इवन को सफल एवं सुचारू बनाने के लिए पहले लोगों के आने जाने की सुविधाओं का उचित प्रबंध करना आवश्यक है | प्रदुषण के अन्य कारकों को भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता | ऑड इवन की योजना के अंतर्गत ज्यादा प्रदूषण करने वाले वाहनों को नहीं रखा गया है ये भी इस योजना की एक कमज़ोर व्यवस्था को प्रदर्शित करता है | फक्ट्रियों से होने वाले प्रदुषण के बारे में भी सोचना बहुत जरूरी है | प्रदुषण देश की एक गंभीर समस्या है और इससे निपटने के लिए सभी कारकों को समझने के साथ साथ ये भी आवश्यक होगा की इस गंभीर समस्या को सियासत के मुद्दे से दूर रखा जाए |

Monday, April 18, 2016

सोशल मीडिया पर लहराता हिंदी भाषा का परचम





सूचना प्रद्योगिकी के क्षेत्र में इन्टरनेट ने सोशल मीडिया रूपी साइबरस्पेस की एक अनोखी दुनिया के रूप में पदार्पण करके हिंदी भाषा को नए आयाम से जोड़ा है | भारतीय संस्कृति और परंपरा संपूर्ण विश्व में अद्वितीय है और आज हिंदी भाषा के बढ़ते वैभव को  हम जीवंत कर रहे हैं | किसी भी समाज के निर्माण में संचार की विशेष भूमिका है तथा मानव की सामाजिक व सांस्कृतिक परम्पराओं के स्थानांतरण की प्रक्रिया में संचार का विशेष योगदान रहा हैं | ऐसे में हिंदी जो दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, संचार की निरंतरता को बनाये रखने के लिए टेक्नोलॉजी की दुनिया में  इसको नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता था | हिंदी भाषा दुनिया भर में 8000 लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है |

 आज सोशल मीडिया की नीव पर निर्मित ग्लोबल गाँव जिसकी कोई परिभाषित सीमा नहीं है, हिंदी भाषा का विस्तार करने में सक्षम है | कंप्यूटर की दुनिया में हिंदी भाषा के आगमन ने हिंदी भाषा का वैश्वीकरण किया | 80 के दशक में कंप्यूटर की दुनिया में हिंदी भाषा ने डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (डॉस) के जमाने में अक्षर, शब्दरत्न आदि जैसे वर्ड प्रोसैसरों के रूप में कदम रखा | बाद में विण्डोज़ का पदार्पण होने पर 8-बिट ऑस्की फॉण्ट जैसे कृतिदेव, चाणक्य आदि के द्वारा वर्ड प्रोसैसिंग, डीटीपी तथा ग्राफिक्स अनुप्रयोगों में हिन्दी भाषा में मुद्रण संभव हुआ | लेकिन तब हिंदी भाषा केवल मुद्रण के काम तक ही सीमित रही | गूगल ने 2007 में अपने हिंदी भाषा अनुवादक का प्रारंभ किया और इसके बाद यूनिकोड फॉण्ट का विकास हुआ जिसको माइक्रोसॉफ्ट के विण्डोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम में विण्डोज़ 2000 का समर्थन मिला | इस तरह हिंदी भाषा का टेक्नोलॉजी की दुनिया में विस्तार हुआ | इससे अंग्रेजी और अन्य यूरोपीय भाषाओं की तरह कम्प्यूटर पर सभी ऍप्लिकेशनों में हिन्दी भाषा का प्रयोग सम्भव हो गया |  सोशल मीडिया पर हिंदी भाषा के विकास ने भारतीयों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स की ओर आकर्षित किया है | आज फेसबुक, ट्विटर, ब्लॉग, व्हाटस एप्प या कोई अन्य नेटवर्किंग साइट् सभी पर हिंदी भाषा की सुविधा उपलब्ध है | हिंदी भाषा के कम्प्यूटरीकरण के बाद सोशल मीडिया प्रयोगकर्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है | आज भारत में 2000 लाख से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता है | गूगल इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2018 तक लगभग आधा देश इंटरनेट के माध्यम से जुड़ जाएगा भारत में बढ़ते इन्टरनेट उपभोताओं के कारण सोशल मीडिया का वर्चस्व भी मजबूत हो रहा बल्कि विशेषज्ञों का मानना है की सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए उपभोगता इन्टरनेट का प्रयोग कर रहे है | वर्तमान में, भारत तीसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपभोगताओं वाला देश है फेसबुक, मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं की रैंकिंग में सबसे आगे है जहां हिंदी में संवाद एवं आलेख देना संभव है और वही चैट एप्प में व्हाटस एप्प बहुत सक्रिय है, ये भी हिंदी भाषा का समर्थन करता है | हिंदी ब्लॉग्गिंग की बात की जाये तो यहाँ ब्लॉग केवल पत्रकारिता का दायित्व निर्वाह नहीं करता अपितु रचनाकारों की रचनाओं को  अभिव्यक्त करने का माध्यम प्रदान करता है | विदित है कि हिंदी भाषा ने सोशल मीडिया पर अपना वर्चस्व स्थापित किया है और आगे आने वाले समय में हिंदी इन्टरनेट पर लोकप्रिय भाषाओं में से एक होंगी | जहां सोशल मीडिया सूचना क्रांति के नवीनतम साधन के रूप में विकसित हुई है वही हिंदी भाषा ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपना स्थान बना लिया है | इससे साफ़ होता है कि हिंदी के महत्व को विश्व में कितनी गंभीरता से अनुभव किया जा रहा है। आज हिंदी ने कंप्यूटर के क्षेत्र में अंग्रेजी के वर्चस्व पर प्रभाव डाला है और करोड़ों की आबादी वाले हिंदी भाषी लोग कंप्यूटर का प्रयोग अपनी भाषा में कर रहे हैं |
मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम में हिन्दी का प्रवेश वर्ष 2005 के बाद शुरु हुआ। पिछले 8 वर्षों में हिंदी बोलने वालों की संख्या में 50% की वृद्धि हुई है | भारत के अतिरिक्त नेपाल, मॉरिशस, फिजी, यूगांडा, दक्षिण अफ्रीका, कैरिबियन देशों, ट्रिनिडाड एवं टोबेगो और कनाडा जैसे देशों में भी हिंदी बोलने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है | इसके आलावा इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वाले अच्छे-खासे लोग हैं | वैश्वीकरण और भारत के बढ़ते रूतबे के साथ पिछले कुछ सालों में हिन्दी के प्रति विश्व के लोगों की रूचि खासी बढ़ी है। यह एक तथ्य है की किसी भी मीडिया की लोकप्रियता उसके प्रयोगकर्ताओं की संख्या पर ही निर्भर करती है | इससे साफ़ होता है कि सोशल मीडिया पर हिंदी भाषा का वैभव लगातार बढ़ रहा है |


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