भारत गांवों की धरती है और ग्रामीण भारत, राष्ट्रीय आय में लगभग एक तिहाई
योगदान देता है वही पर्यटन
तीसरा सबसे बड़ा निवल विदेशी मुद्रा का अर्जक है जिसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78%
योगदान है. यह राष्ट्र की विकास योजना के
सामाजिक आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने में मुख्य भूमिका निभाता है
और
अब ग्रामीण भारत भी ग्रामीण पर्यटन का साक्षी बनकर देश के लिए कई आर्थों में
महत्वपूर्ण साबित हो रहा है जिससे विश्व पर्यटन बाजार में भारत को अलग पहचान मिल सकती है.
भारत गांवों
की धरती है जिसकी वास्तविक
संस्कृति गांवों में बसती है जहां पुरातात्विक कलाकृतियों का बेजोड़ संगम देखने को मिलता है. केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा ग्रामीण
पर्यटन की परियोजनाओ के विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है . हाल
के वर्षों में भारत में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित कर कई भारतीय गांवों को पर्यटन के नक्शे पर स्थान मिला.
ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण करने पर
यहां शहरी चमक-दमक तो नहीं पर शांति और अनुकूलता का अनुपम संगम देखने को मिलता है. भारत के गांव हमेशा अपनी कला
के माध्यम से जाने जाते
है और इसके ग्रामीण
क्षेत्रों में विरासत, कला एवं संस्कृति, धार्मिक
एवं आध्यात्मिक
पर्यटन, साहसिक
एवं प्राकृतिक पर्यटन तथा परंपरागत पर्यटन आदि के
भरपूर अवसर उपलब्ध हैं जो विदेशी एव घरेलू आगंतुकों को आकर्षित कर रहे
है. पिछले कुछ सालों में
पर्यटकों का रुझान ग्रामीण पर्यटन की तरफ बढ़ा है. इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में
पर्यटन विकास को लेकर कई योजनायें प्रस्तावित हुई है. यहां की संस्कृति,लोक गीत स्थानीय नृत्य मेलों और
त्योहारों को ध्यान
में रखते हुए, ग्रामीण पर्यटन की परियोजनाओं की
रचना होती है.पर्यटन
विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटकों की
सुविधा हेतु कई योजनाओं पर कार्यरत है जिसमें पेइंग गेस्ट हाउस तथा फार्म हाउस प्रमुख
है.
कुम्बलंगी
एकीकृत पर्यटन गाँव परियोजना की स्थापना के बाद से गांव के पर्यटन और समुद्री गतिविधियों को बहुत
प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है. यह भारत की पहली परियोजना थी जिसका उद्देश्य कुम्बलंगी
को एक आदर्श मछली
पकड़ने वाले गाँव और पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित किया गया. पर्यटक यहाँ की सैर
कर मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हैं और साथ ही साथ नौका सवारी का भी अविस्मरणीय
अनुभव का लुफ्त उठाते है. आगंतुक इस द्वीप पर की जाने वाली मत्स्य पालन, नारियल की जटा की कताई और अन्य कई समुद्री
गतिविधियों का आनंद लेते है.इस परियोजना के एक भाग में बैकवॉटर टूर्स (जिसमें दिन में नाव की
सवारी और पूरी रात नाव की सवारी के पैकेज आते हैं) और सांस्कृतिक कार्यक्रमों
का आयोजन किया जाता हैं.
ग्रामीण
पर्यटन का प्रोत्साहन करने हेतु हिमाचल में, पर्यटकों को वहाँ की संस्कृति और जीवन
शैली से
रूबरू कराने तथा घर जैसा माहौल उपलब्ध कारने के लिए प्रदेश सरकार ने “होम स्टे”
नाम की योजना शुरू की है. ऐसे ही हरियाणा ने भी ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए फार्म हाउस
टूरिज्म को विकसित करने की पहल की है ताकि देशी और विदेशी पर्यटक राज्य की ग्रामीण जीवन
शैली, रीति—रिवाजों और खेत—खलिहानों की झलक पाकर देश के अनूठे रंग से वाकिफ
हो सकें। हरियाणा पर्यटन निगम ने ‘फार्म
हॉलिडे’ और ‘विलेज सफारी’ पर्यटन की योजनाएं शुरू की है.‘म्हारा गांव’ नाम की योजना से पर्यटकों को हरियाणा के
लोक संस्कृति
से जोड़ने की बेहतरीन कोशिश की जा रही है. सूरजकुंड में हर साल होने वाला मेला देशी—विदेशी पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश की
ओर आकर्षित कर रहा है.
रूरल
टूरिज्म की ओर पर्यटकों का रुझान देखते हुए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय अब विलेज दूरिज्म
की संभावनाओं को तलाश रहा है.इस कड़ी में पर्यटन विभाग कुछ चुनिंदा गांवों को
विलेज टूरिज्म की तर्ज पर बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है ताकि रूरल
टूरिज्म द्वारा विदेशी व देशी पर्यटकों को गांवों की संस्कृति से जोड़ा जा सके. विलेज
टूरिज्म का उचित कार्यान्वयन
देश के लिए कई अर्थों में एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.
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