स्मोकिंग की लत समाज को खोखला करती जा रही है, ध्रूमपान उन्मूलन के
लिए वैज्ञानिक लगातार
कई विशेष प्रयोग कर रहे है | ई सिगरेट भी इन्ही शोधों का एक परिणाम है, होन लिक नाम
के चीनी फार्मासिस्ट ने 2003 में इसका ईजाद
किया था, लेकिन ध्रूमपान से मुक्ति दिलाने में ये कितना कारगर है ये कह पाना अभी
संभव नहीं है | दरअसल ई
सिगरेट बैटरी से चलने वाली ऐसी सिगरेट होती है जिसमें निकोटीन की कुछ
मात्रा होती है। यह उपकरण वास्तविक सिगरेट जैसा दिखता है लेकिन इसमें तम्बाकू का
इस्तेमाल नहीं होता है। ई-सिगरेट के प्रत्येक कश के साथ निकोटीन की बहुत थोड़ी
मात्रा ही शरीर में पहुँचती है। इसमें निकोटीन का प्रयोग बहुत कम होता है या इसकी
जगह गैर-निकोटीन का वैपोराइज लिक्विड प्रयोग किया जाता है जो सिगरेट जैसा
स्वाद देता है और इसकी लम्बाई थोड़ी ज्यादा
होती है। ई सिगरेट में उक कार्टेंज लगी होती है जिसमें निकोटीन और प्रॉपेलिन ग्लाइकोल
का तरल पदार्थ होता है बीच के हिस्से में एटमाइजर होता है और सफेद वाले
हिस्से में बैटरी लगी होती है जब कोई ई सिगरेट प्रयोग करता है तो सैंसर
में हवा का प्रभाव पड़ते ही एटमाइज़र निकोटीन और प्रॉपलीन ग्लाइकोल
को छोटी-छोटी बूंदो को हवा में फेंक देता है जो वाष्प का धुंआ तैयार कर
देता है जिसे व्यक्ति बाद में निकाल देता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि जब कोई
सिगरेट की 15 कश लेता है तो उसके अंदर 1 से 2 मिलीग्राम निकोटिन जमा होता है, जबकि ई-सिगरेट में 16 मिलीग्राम निकोटिन वाले कार्टेज
का इस्तेमाल करने से इतनी ही कश लेने पर 0.15 मिलीग्राम निकोटिन जमा होता है । स्वास्थ
के लिहाज से यह तरीका भी सही नहीं है क्योंकि इसके जरिए भी निकोटिन तो शरीर में
जाता ही है। बस ई सिगरेट में तम्बाकू से
तैयार होने वाला हानिकारक तत्व नहीं बनता | दुनिया भर के छियासठ प्रतिशत पुरुष और
चालीस प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू सेवन में लिप्त पाए जाते है और दुनिया में लगभग चौवन
लाख लोग साल भर में और भारत में नौ लाख लोग की तम्बाकू सेवन के कारण समय से पहले सासें
थम जाती है | तम्बाकू का जहर तकरीबन पूरे भारत में फैला हुआ है और इसका इस्तेमाल
करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है | वर्तमान समय में बढ़ता जा रहा मानसिक तनाव
तम्बाकू सेवन का एक कारण माना जाता है, वही कुछ युवा इसे आधुनिकता की निशानी मानते
है | ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार भारत में दस प्रतिशत लड़कियों ने
सिगरेट पीने की बात स्वीकारी, भारतीय बाजार में ई सिगरेट ने 2011 में प्रवेश किया था लेकिन ये तम्बाकू युक्त ध्रूमपान रोकने या कम
करने में प्रभावी है या इसका स्वास्थ्य पर अनुकूल असर होता है ये मानना सही नहीं
होगा | भारत
सरकार को इस वर्ष तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज पर लगभग चालीस हजार
करोड़ रूपये खर्च करने पड़े हैं | बरहाल यूरोपीय संघ और ब्रिटेन दोनों दवाइयों
की तरह ही ई सिगरेट के नियमन के उपायों पर काम कर रहे हैं |
Dr Pallavi Mishra is working as an Associate Professor. NET/JRF qualified.Founder of PAcademi.com
- Dr Pallavi Mishra
- This is Dr Pallavi Mishra, working as an Associate Professor
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