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Sunday, April 5, 2020

बोगार्डस का सोशल डिस्टेंस स्केल





हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा संकट कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सामाजिक दूरी तथा स्व-संगरोध जैसी अवधारनाओं का अनुसरण करने की अपील हुई | दरअसल सामाजिक दूरी अंतर्राष्ट्रीय समाजशास्त्र की सबसे सफल अवधारणाओं में से एक है | जातीय, वर्ग, लिंग, स्थिति और कई अन्य प्रकार के संबंधों के अध्ययन में आज व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है |  सामाजिक दूरी को अक्सर बोगार्डस सोशल डिस्टेंस स्केल के अनुसार मापा जाता है | आज इस सामाजिक अवधारणा को देश दुनिया में लागू कर कोविड-19 वायरस को फैलने से रोकने की कोशिश निरंतर जारी है |
हालांकि सामाजिक दूरी कि उत्पति 1910 और 1920 के दशक में अमेरिका के उत्तरी औद्योगिक शहरों में ग्रामीण दक्षिण से काले अमेरिकियों के प्रवास के समय हुआ था | 1910 के दशक के दौरान शिकागो की काली आबादी दोगुनी हो गई, उसी समय अश्वेत लोग भी पश्चिमी राज्यों, विशेषकर कैलिफ़ोर्निया में जाने लगे थे | प्रथम विश्व युद्ध का इस सामूहिक प्रवास में बड़ा प्रभाव पड़ा था तभी से सामाजिक संरचना का संतुलन बनाये रखने के लिए सामाजिक दूरी कि अवधारणा को अपनाया गया था |
दरअसल सामाजिक दूरी बनाये रखने से ये माना जाता है कि  अन्य लोगों से कम से कम छह फीट की दूरी पर रहने से आपके कोविड-19 वायरस के फैलने की संभावना कम हो जाती है। हालांकि सामाजिक दूरी के कारण राष्ट्रीय तथा अन्तराष्ट्रीय खेल कार्यक्रम, परिभ्रमण, त्योहार और अन्य समारोहों पर इनका असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है लेकिन इसका उद्देश्य   बीमारी के प्रसार को रोकना या कम करना है | ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजशास्त्र कि इसी अवधारणा के तहत लोगों से अपील कर जनता कर्फ्यू का आवाहन किया था और लोगों को ताली थाली बजाकर उन लोगों को प्रोत्साहित करने को कहा था जो दिन रात इस जंग से निपटने के लिए तत्पर है | देश में जो नज़ारा दिखा वो वाकई काबिले तारीफ था, दिन भर सड़क पर सन्नाटा पसरा रहा | जनता कर्फ्यू का पालन कर लोगों ने अपने धैर्य का परिचय देकर कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने में अपना पूर्ण समर्थन दिया  | इसके साथ ही लोगों ने घरों में रहकर ताली और थाली बजाकर उन लोगों का आभार भी जताया, जो कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए मोर्चा थामे हुए हैं | शाम पांच बजे से ही देश के कोने-कोने में लोगों ने अपने घरों में पीएम की अपील के बाद ताली, थाली और शंख नाद से आभार जताया |
दरअसल, सनातन धर्म-संस्कृति में करतल ध्वनि, घंटा ध्वनि, शंख ध्वनि का अपना महत्व है | मंदिर हों या घर, इन ध्वनियों का पूजा पद्धति में विशेष स्थान है | आयुर्वेद में इनके चिकित्सकीय महत्व का वर्णन भी है | दरअसल घंटियां जब ध्वनि उत्पन्न करती हैं तो यह हमारे दिमाग के बाएं और दाएं हिस्से में एक एकता पैदा करती हैं | जिस क्षण हम घंटा-घंटी बजाते हैं, यह एक तेज और स्थायी ध्वनि उत्पन्न करती हें, जो प्रतिध्वनि मोड में न्यूनतम 7 सेकंड तक रहती है | हालांकि प्रधानमन्त्री ने लोगों से यह अपील नागरिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स, नगरपालिका के कर्मचारियों और स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से चौबीसों घंटे काम करने वाले लोगों को प्रोत्साहित कर अपना आभार व्यक्त करने के लिए की थी | इस अपील को देश के ना सिर्फ आम जनता लेकिन बॉलीवुड सेलिब्रिटीज ने भी पूर्णतः पालन किया | अमिताभ बच्चन एवं उनका परिवार, करण जौहर तथा अन्य बॉलीवुड हस्तियों ने भी अपनी बालकनियों से ताली बजाकर सैनिकों, डॉक्टरों, पुलिस तथा इस जंग को मात देने के लिए चौबीस घंटे तत्पर सभी सक्रिय कार्यकर्ता को आभार व्यक्त किया |
इतिहास में पता चला है कि नस्लवादी आवास नीतियों के माध्यम से सामाजिक दूरी जैसे कि रंग के आधार पर समुदायों में दूरी, तबके, शिक्षा एवं सामाजिक स्तर के आधार पर सामाजिक दूरी मानी जाती है | कोविड-19 में सामाजिक दूरी बनाये रखने कि अवधारणा किसी प्रकार के भेदभाव को नहीं अपितु महामारी के प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशीलता को प्रकट करती है |


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