Dr Pallavi Mishra is working as an Associate Professor. NET/JRF qualified.Founder of PAcademi.com

My photo
This is Dr Pallavi Mishra, working as an Associate Professor

Tuesday, July 7, 2015

भारत में निरासजनक है मजदूरों की दशा

भारत में निरासजनक है मजदूरों की दशा




हजारों मजदूर जिन्होंने ना जाने कितनों के आशियाने बनाये उनके पास खुद की छत नहीं है और जो ना जाने कितनो के अन्नदाता है उनकी ज़िन्दगी कितनी कठिन है, इसका अंदाज़ा हाल ही में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए आज़ाद भारत की आर्थिक, सामाजिक और जाति आधारित जनगणना से लगाया जा सकता है | आज़ादी के 67 साल बाद भी भारत में मजदूरों की दशा में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो पाया है | अन्य देश की तुलना में भारत में मजदूरों की दिशा असंगठित है, इस कारण उनकी मासिक आय बहुत कम है | भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर है, आकड़ों के अनुसार गाँव में निवास करने वाले लोगों में से केवल 10 प्रतिशत ही वेतनभोगी है | इस जनगणना ने साफ़ कर दिया है की मजदूरों की माली हालत बहुत खराब है | आज भी हमारे देश के मजदूरों के पास पक्के मकान नहीं है उन्हें रात खुले आकाश के नीचे या कच्चे झोपोड़ों में ही बितानी पड़ती है और इसलिए मौसम की बेरुखी इन्हें हमेशा सताती रहती है | देश के 10.69 करोड़ लोग अभावग्रस्त है इस निराशाजनक जनगणना से ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर प्रतीत होती है | भारत में अगर न्यूनतम मजदूरी की बात की जाए तो यहां न्यूनतम मजदूरी की दर अलग- अलग प्रदेशों में अलग अलग है । मनरेगा योजना के तहत यूपीए सरकार ने मजदूरों को सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से सौ दिन के काम का प्रावधान रखा है । 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी राज्यों को न्यूनतम तय मजदूरी देने का निर्देश दिया गया था और तब तत्कालीन केंद्र सरकार ने 119 रुपए देना तय किया था | मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी की दर 156 से 236 रुपए है | दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत की न्यूनतम मजदूरी की दर बहुत कम है | संविधान बनने से पहले का है, जो अभी भी लागू है। संविधान बनने से पूर्व भारत में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 लागू किया गया था जिसमें कोई सुधार नहीं हुए हैं | इस अधिनियम के तहत भी हर राज्य की न्यूनतम मजदूरी की दर अलग-अलग है | भारत में मजदूरों की दशा विचारनीय है जिसका सुधार बहुत जरूरी है |इस जनगणना रिपोर्ट ने कुछ अच्छी बातें भी सामने लायी है जो दर्शाती है की गांवो में महिलाओं की स्थिति काफी हद तक सुधरी है, लगभग 68.96 लाख परिवारों में मुखिया महिलाएं है जिनकी मासिक आय 10 हज़ार है | और ग्रामीण भारत में 68.35 परिवार ऐसे है जिनके पास मोबाइल फ़ोन है, जो प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का भारत को डिजिटल इंडिया बनाने की सोच को मजबूती देगी | 1932 के बाद जब 80 साल बाद ये जनगणना हुई तो देश की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में हुए बदलाव खुलकर सामने आये | और पता लगा की भारत के विकास की राह में अभी बहुत से पत्थर है, देश की प्रगति के लिए जिनको हटाना बहुत आवश्यक होगा | सरकार इसके लिए प्रयासरत है और इसके तहत कई योजनायें भी बनायीं जा रही है जिनमें से 2020 तक सभी को रहने के लिए आवास उपलब्ध करना अहम् है जो इन गांवो की तस्वीर बदलने में सहायक साबित हो सकती है | लेकिन इसके लिए आवश्यक है की लोग सरकार की इन योजनाओं के प्रति जागरूक रहे और इनका लाभ ले सके | प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का भारत के सुनेहरा भविष्य का सपना चुनौतीयों भरा है जब तक इन मजदूरों की आर्थिक और सामाजिक दशा में सुधार नहीं होगा भारत का पूर्ण विकास संभव नहीं होगा |

Thursday, April 9, 2015

Guilty for my name “Terrorism”




Feeling deep in my heart
Why am I being a part?
Of such a monstrous misdeed
Invisibly engaged indeed
My name is Terrorism
Generally perceived for Criticism
I just hate myself
Desire to drive away from the blood flow thyself 
Dislike violence
Me too love Peace and Silence
I don’t understand
Yuk! What is a few people’s stance?
Is it me? Or some individuals,
That created sorrowful visuals
Flesh and blood, blood and flesh
Trapped in this mess
Oh God! Please help me out
Give me a voice to yell and shout
I abhor blasts and bombing
That had turned lives into ashes burning
Perhaps, me not too smart
To explore the motives of terrorists mart
But as my name is being used for this heinous act
So here I go, you listen to facts
It ruins the lives of innocent civilians
Give me a chance to save the lives of millions
Lord let go my reaction
Of this bloody explosive terrorist action
Wish! I had a magic wand
To cast love and serenity on this land

Monday, December 8, 2014

नैनो तकनिकी में सिमटती दुनिया


दुनिया की नवीनतम संस्कृति में शुमार हो चुकी नैनो तकनीकी विश्व की अद्भुत तकनीकी के रूप में उभरी है | आज हमारी दुनिया नैनो तकनीकी के इर्द गिर्द घूम रही है | कंप्यूटर से लैपटॉप और लैपटॉप से स्मार्ट फ़ोन की नैनो तकनिकी से हम सभी परिचित है | स्मार्ट फोन तो नैनो तकनीकी का सबसे उत्तम रूप है, जिसमें अनेकों सुविधाएं उपलब्ध है | पुराने ज़माने के लकड़ी के बक्सेनुमा कैमरे की जगह आज छोटे डिजिटल मोबाइल कैमरे हमारे जीवन का हिस्सा बन गए है | मीडिया के तो सभी क्षेत्र नैनो तकनीकी से प्रभावित है | बरहाल जहां मीडिया का क्षेत्र पूरी तरह नैनो तकनीकी से प्रभावित हो चुका है | वही चिकित्सा में भी नैनो तकनीकी से गंभीर रोगों का निदान किया जा सकता हैं | चिकित्सकों का मानना है की नैनो सेंसर के द्वारा बीमारी की जांच करना बहुत ही सरल हो रहा है और ये निश्चित रूप से चिकित्सा उपचार को आसान और सस्ता कर रही है | मेडिकल में नैनो तकनीकी तो बड़े पैमाने पर आनुवंशिक चिकित्सा देने तथा स्वास्थ्य सुधार करने में भी सक्षम है | नैनो तकनीक से हमारे शरीर के अन्दर उपस्थित ब्लड सैल में कोई भी छोटी चिप ट्रान्सफर की जा सकती है, जो कैंसर जैसी बीमारियों से निपटने में भी कारगर है। चाहे साइंटिफिक हो या इंजीनियरिंग नैनो तकनीकी का असर सभी क्षेत्रों में है | यहाँ तक की सिनेमा जगत पर भी नैनो तकनीकी का असर देखा जा रहा है | पुराने ज़माने की तीन से चार घंटे की लम्बी फिल्मों की तुलना में आज की फिल्मे छोटी हो गयी है | नैनो तकनीकी ने नैनो कल्चर को जनम दे दिया है जिसने कहीं ना कहीं हमारे भाषा पर भी असर डाला है | मोबाइल सन्देश आदान प्रदान की कला ने हमें बड़े बड़े वाक्यों को कम शब्दों में तथा शब्दों को भी उनके संकुचित रूप में बयान करने का  चलन तो अब आम हो चुका है | नैनो तकनीकी एक ऐसी तकनीकी है जो वर्तमान समय की भारी भरकम तकनीक से आगे बढ़कर हल्के रूप में विज्ञान के हर अविष्कार को नियंत्रित कर रही है | वैज्ञानिकों का मानना है की आगे आने वाले समय में नैनो तकनीक विश्व का भाग्य विधाता होगा। यह सच भी है, क्योंकि बड़ी से बड़ी चीजों को समेटकर एक छोटी एवं शक्तिशाली तकनीकी की डिवाइस विज्ञान के हर प्रयोग और आविष्कार को सम्भव बना रही है। यह तकनीकी आगामी दिनों में विकास की नयी परिभाषा लिखेगी जिसके बिना आम आदमी के जीवन का विकास संभव नहीं होगा ।


Monday, July 7, 2014

ऐसा देश है मेरा.....http://roobaruduniya.com/?p=1331

मंजुल है तस्वीर यहाँ की
पुण्य भूमि, पुण्य आत्मा
एक आँचल के फूल हैं हम,
एक उपवन के सुमन
भिन्न है बोली, भिन्न है भाषा
भिन्न हैं रीति रिवाज़
बे नज़ीर हैं हर रंग
भिन्न परम्पराएं रहती हैं संग
एक डोर से बंधी है भारत की संस्कृति
भावनात्मक एकता की है प्रकृति
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
हर ओर दीखते रूप नए, नए हैं ढंग
विशिष्ट तस्वीर करती विभक्त
पर होता है एक ही आत्मा से मिलन
झूमती धरती, गाता आकाश
नृत्य है यहाँ के इतने ख़ास
वो कथक का है रूप अनोखा
भरतनाट्यम कुचिपुड़ी, गरबा, घुम्मर
भांगरा का मिलन है चोखा
सदियों से फैला है यहाँ संगीत का इतिहास
मुग्ध मोहित कर देती शास्त्रीय संगीत की मिठास
लोक गीत, भजन, गजल, कवाल्ली,
फिल्मी गाने, रीमिक्स गीत, फ्यूजन
है यहाँ की संस्कृति की शान
वो दिवाली की रौनक, होली के रंग,
ईद-उल-फ़ित्र, पोंगल, रक्षाबंधन, ओणम
हर त्यौहार में है ख़ास उमंग
लफ़्ज़ों में ना होगी बयान
इस भारत संस्कृति की दास्तान
मेरे देश की संस्कृति महान
रहेंगे सदा इसके निशाँ………!!

- पल्लवी मिश्रा
 शोधार्थी, गीतकार, फ्रीलांसर 

Monday, June 23, 2014

जीने दो अब मुझे



नगर में संचालित एक बंद के सदस्यों द्वारा अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर गीतों द्वारा सामाजिक मुद्दों को उठाकर जनता को जागरूक किया जा रहा है | वर्तमान बैंड के सदस्य अंकित जैसवाल, पल्लवी मिश्रा और मयंक तिवारी इसी दिशा में कार्य कर रहे है | अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इनकी टीम ने कन्या भ्रूण हत्या जैसे संवेदनशील मुद्दे पर एक खूबसूरत गीत बनाया  जिसका शीर्षक है “जीने दो अब मुझे”, जो समाज में हो रहे कन्या भ्रूण हत्या के मामले पर सोचने को विवश करता है | इससे पूर्व भी इनकी टीम ने “ज़िन्दगी कुछ खफा हो गयी” गीत बनाया है जिसके द्वारा बलात्कार से होने वाले दर्द की दास्ता बयान करने की कोशिश की गयी है | इनकी टीम द्वारा बनाये गए ये गीत “ज़िन्दगी कुछ खफा हो गयी”, “जीने दो अब मुझे” दिल को छू जाते है और सोचने पर विवश कर देते है | इन गीतों को अपनी खूबसूरत आवाज़ देने वाले अंकित जैसवाल ने बताया की गाने हमेशा दिल को छू जाते है इस कारण हम गीतों के ज़रिये अपनी बातों को लोगों तक पहुचाने की कोशिश करते है | वही गीत लेखिका पल्लवी मिश्रा कहती है की हम युवा ही देश का भविष्य है इस कारण हम लोगों को अपने गीतों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर जागरूक करने का प्रसास कर रहे है | संगीतकार मयंक तिवारी ने बताया की हम सोशल मीडिया पर भी अपने गीतों के माध्यम से लोगों से जुड़ कर उनको प्रभावित करने कोशिश कर रहे है | इनकी ये मुहीम काबिले तारीफ़ है जहां ये लोगों को अपने गीतों द्वारा भावविभोर कर, इन सामाजिक मुद्दों पर सोचने पर विवश कर रहे है |


Saturday, May 31, 2014

नैनो तकनीकी में सिमटती दुनिया


नैनो तकनीकी में सिमटती दुनिया

दुनिया की नवीनतम संस्कृति में शुमार हो चुकी नैनो तकनीकी विश्व की अद्भुत तकनीकी के रूप में उभरी है | आज हमारी दुनिया नैनो तकनीकी के इर्द गिर्द घूम रही है | कंप्यूटर से लैपटॉप और लैपटॉप से स्मार्ट फ़ोन की नैनो तकनिकी से हम सभी परिचित है | स्मार्ट फोन तो नैनो तकनीकी का सबसे उत्तम रूप है, जिसमें अनेकों सुविधाएं उपलब्ध है | पुराने ज़माने के लकड़ी के बक्सेनुमा कैमरे की जगह आज छोटे डिजिटल मोबाइल कैमरे हमारे जीवन का हिस्सा बन गए है | मीडिया के तो सभी क्षेत्र नैनो तकनीकी से प्रभावित है | बरहाल जहां मीडिया का क्षेत्र पूरी तरह नैनो तकनीकी से प्रभावित हो चुका है | वही चिकित्सा में भी नैनो तकनीकी से गंभीर रोगों का निदान किया जा सकता हैं | चिकित्सकों का मानना है की नैनो सेंसर के द्वारा बीमारी की जांच करना बहुत ही सरल हो रहा है और ये निश्चित रूप से चिकित्सा उपचार को आसान और सस्ता कर रही है | मेडिकल में नैनो तकनीकी तो बड़े पैमाने पर आनुवंशिक चिकित्सा देने तथा स्वास्थ्य सुधार करने में भी सक्षम है | नैनो तकनीक से हमारे शरीर के अन्दर उपस्थित ब्लड सैल में कोई भी छोटी चिप ट्रान्सफर की जा सकती है, जो कैंसर जैसी बीमारियों से निपटने में भी कारगर है। चाहे साइंटिफिक हो या इंजीनियरिंग नैनो तकनीकी का असर सभी क्षेत्रों में है | यहाँ तक की सिनेमा जगत पर भी नैनो तकनीकी का असर देखा जा रहा है | पुराने ज़माने की तीन से चार घंटे की लम्बी फिल्मों की तुलना में आज की फिल्मे छोटी हो गयी है | नैनो तकनीकी ने नैनो कल्चर को जनम दे दिया है जिसने कहीं ना कहीं हमारे भाषा पर भी असर डाला है | मोबाइल सन्देश आदान प्रदान की कला ने हमें बड़े बड़े वाक्यों को कम शब्दों में तथा शब्दों को भी उनके संकुचित रूप में बयान करने का  चलन तो अब आम हो चुका है | नैनो तकनीकी एक ऐसी तकनीकी है जो वर्तमान समय की भारी भरकम तकनीक से आगे बढ़कर हल्के रूप में विज्ञान के हर अविष्कार को नियंत्रित कर रही है | वैज्ञानिकों का मानना है की आगे आने वाले समय में नैनो तकनीक विश्व का भाग्य विधाता होगा। यह सच भी है, क्योंकि बड़ी से बड़ी चीजों को समेटकर एक छोटी एवं शक्तिशाली तकनीकी की डिवाइस विज्ञान के हर प्रयोग और आविष्कार को सम्भव बना रही है। यह तकनीकी आगामी दिनों में विकास की नयी परिभाषा लिखेगी जिसके बिना आम आदमी के जीवन का विकास संभव नहीं होगा ।



Thursday, May 15, 2014

सत्ता को लेकर सटटा

सत्ता को लेकर सटटा




बढ़ते पारे के साथ चुनाव परिणाम में भी गर्मी बढती जा रही है | जहां एक ओर हर एक न्यूज़ चैनल एग्जिट पोल पर लगातार चर्चा कर रहा है वही दूसरी ओर सट्टा बाजार में भी चुनाव परिणाम को लेकर माहौल बहुत गरम होता जा रहा है | अभी आईपीएल का नशा सट्टा कारोबार पर चढ़ा ही था की सट्टे बाज़ार में चुनाव नतीजों को लेकर भी हलचलें बढ़ गयीं हैं। हालाकि चुनाव परिणाम आने का काउंटडाउन शुरू हो चूका है और आईपीएल अभी चल ही रहा है इसलिए खिलाड़ी आईपीएल पर ज्यादा भाव लगा रहे हैं। बरहाल चुनाव नतीजों को लेकर सट्टा बाज़ार में काफी जोश दिख रहा है । इस समय सट्टे बाज़ार में कांग्रेस या बीजेपी किसकी सरकार बनेगी ये सट्टे का अहम् विषय है | हालाकि सटोरी इस चुनाव में भाजपा का जीतना तय मान रहे है और ऐसे में सबसे ज्यादा सट्टे का खेल इस बात पर लगा है कि किसको कितनी सीटें मिलेंगी | केवल इस मुद्दे पर करीब डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये का सट्टा लगाया जा रहा है | सट्टेबाजों का मानना है की इस बार मोदी की लहर है इसलिए भाजपा की जीत पर ही सट्टा लगाना समझदारी होगी । ऐसे में सट्टा बाजार आम चुनाव में भाजपा को ही बड़ा दल मानकर चल रहा है। साथ ही जनपद की तीनों सीटों से भी भाजपा की जीत की उम्मीद जताई जा रही है | यही वजह है कि सट्टा बाजार में भाजपा प्रत्याशियों की जीत का भाव मात्र आठ पैसे से अधिक नहीं है | जहां एक ओर भारत के चुनाव नतीजों का बेसब्री से इंतज़ार कर रही दुनिया और देश की जनता सभी के चर्चा का विषय “इस बार किसकी सरकार” इसी मुद्दे के इर्द गिर्द घूम रही है वही सट्टेबाज़ भी इस चुनाव परिणाम से अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की जुगत में लगे हुए है | मतगणना को लेकर प्रशासनिक तैयारियां चरम सीमा पर है और सट्टे कारोबार में भी रौनक बढती जा रही है | सटोरियों का मानना है कि इस बार भाजपा को 250 से अधिक सीटें मिलेंगी और कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी पार करने की स्थिति में नहीं हैं | उसे विपक्ष में बैठने के लिए भी अलायंस का सहारा लेना पड़ेगा | लोकसभा चुनाव के नतीजे भले ही 16 मई को घोषित होंगे पर सट्टा बाजार ने एक फैसला पहले ही सुना दिया है | प्रदेश के सटोरियों के मुताबिक नरेंद्र मोदी ही देश के अगले पीएम होंगे | वहीं राहुल गांधी को इस पद के लिए सटोरियों ने भी सिरे से खारिज कर दिया गया है | यहां तक कि सटोरियों ने अब राहुल के नाम पर बोली लगाना भी बंद कर दिया है |















Sunday, May 4, 2014




क्या संभव है ऑनलाइन वोटिंग 
अपने देश में मतदान की प्रक्रिया जारी है और इस बार मतदाताओं में भी जोश दिख रहा है | पिछली बार की तुलना में इस बार सभी जगह पर वोट देने वाले मतदाताओं के प्रतिशत में बढ़त दिखाई दे रही है | लेकिन प्रवासी भारतीयों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए एक ही विकल्प है, भारत आकर अपने मताधिकार का प्रयोग करना | भारत में ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा अभी उपलब्ध नहीं है| ऑनलाइन वोटिंग नई संभावनाओं को खोलता है और मतदान प्रक्रिया के लिए एक अनूठा अनुभव देता है | ऑनलाइन मतदान, मतदाता को भौगोलिक सीमा से परे मतदान करने की सुविधा उपलब्ध कराता है | ई–वोटिंग इलेक्ट्रॉनिक वोट कास्टिंग में सहायक है | इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में मूल रूप से ऑप्टिकल स्कैन मतदान प्रणाली, पंच कार्ड या विशेष मतदान कियोस्क का प्रयोग होता है | इसमें टेलीफोन के जरिये, निजी कंप्यूटर नेटवर्क या इन्टरनेट के द्वारा भी वोटिंग किया जा सकता है | इंटरनेट वोटिंग सिस्टम आज कई देशों में लोकप्रियता हासिल कर चुका है | यूनाइटेड किंगडम, एस्टोनिया स्विट्जरलैंड के चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम को शामिल किया गया | साथ ही कनाडा में नगर निगम के चुनावों और संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस में पार्टी के प्राथमिक चुनावों में भी ई- वोटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया | बरहाल वर्तमान में, प्रवासी भारतीय केवल अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ही मतदान कर सकते हैं | भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव में ई-वोटिंग की व्यवस्था अभी नहीं है जिस कारण भारतीय प्रवासी जो विदेश में है उन्हें भारत आकर ही अपने मताधिकार का प्रयोग करना होगा | भारत में अभी इन्टरनेट वोटिंग की संभावना प्रतीत नहीं हो रही है | ऐसा माना जा रहा है की मतदान को उच्च तकनीकी से करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को असुरक्षित कर सकता है | लेकिन चुनाव आयोग इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और ऐसी संभावना की तलाश कर रहा है जिसके द्वारा भविष्य में आने वाले चुनावों में प्रवासी भारतीयों को विदेश में इन्टरनेट के माध्यम से आम चुनावों में मतदान करने का मौका मिल सके | चुनाव आयोग प्रवासी भारतीय को विदेशों से अपने वोट कास्ट करने के विभिन्न विकल्पों की भी जांच कर रहा है | चुनाव आयोग का दुनिया में कहीं भी रह रहे भारतीयों को उनका मताधिकार प्रदान करने का ये विचार  वाकई प्रशंशनीय है | लेकिन ऑनलाइन वोटिंग में वोटिंग की प्रक्रिया इन्टरनेट द्वारा होती है इस कारण इसके सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही  पक्ष होंगे | तो चुनाव आयोग के लिए ऐसी व्यवस्था लाना वाकई एक चुनौतीपूर्ण काम होगा | ऑनलाइन वोटिंग व्यवस्था प्रवासी मतदाताओं को अपना मताधिकार प्रयोग करने में ज़रूर ही सहायक हो सकती है | पर क्या भारत के चुनावों में सुरक्षित ऑनलाइन वोटिंग व्यवस्था संभव हो पायेगी ये कहना अभी मुश्किल है | इसका उत्तर तो आने वाला वक़्त ही देगा |   



विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व

 https://pratipakshsamvad.com/women-dominate-the-science-technology-engineering-and-mathematics-stem-areas/  (अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस)  डॉ ...