झूमते बादलों में अंगराई लेता मन...
सहलाती ठंडी हवाएं देती रही सुकून ..
मौसम के आगोश में..
कुछ इस तरह बैठे ..
सुकून की बारिश में भींगते रहे ..
अरमानों का काफिला शांत हो गया ..
इस इठलाते बलखाते बादलों को ...
टकटकी भर निहारती रही ..
ना जाने क्या ढूंढ रही थी मैं ..
जब बारिश की बूंदे गिरी..
ऐसे लगा खुद से प्यार हो गया
ये सुकून की बारिश थी ...
खिली लबों पर मुस्कान ..
ख्वाहिशो से परे.. हर मंज़र से दूर ..
हो रहे थी खुद से रूबरू ...
सुकून की बारिश का था असर...
पलकों के सिरहाने में बसे आसूं भी भींग गए ...
इस बारिश ने मन के सागर में ऐसा डूबोया ...
की दिल में बहता तूफ़ान भी शांत हो गया ...
बारिश बहा ले गया सारे आसूं...
दिल को हुआ सुकून ..
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