Dr Pallavi Mishra is working as an Associate Professor. NET/JRF qualified.Founder of PAcademi.com

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Friday, May 5, 2017

स्ट्रेस कम करती म्यूजिक थेरेपी


संगीत उस प्रेमी जैसा है जो अपनी आगोश में लेकर हर दर्द को भुला देता है इसकी पुष्टि अब अमेरिकी संगीत थेरेपी एसोसिएशन ने भी कर दी है । वैज्ञानिको का मानना है की संगीत एक अच्छे थेरेपिस्ट का काम करता है, वही म्यूजिक थेरेपिस्ट म्यूजिक को सेडेटिव की तरह देखते है। आज के प्रतिस्पर्धा के इस युग में अवसाद ग्रस्त होना आम बात है । दुनिया में ऐसे अनगिनत लोग है जो अवसाद से ग्रषित है । संगीत हृदय को स्पर्श कर रूह में उतरकर निर्मल आनंद की अनुभूति कराता है । रिसर्च बताता है कि शरीर में ट्राइटोफन नामक केमिकल पाए जाते हैं जो संगीत के माध्यम से अवसाद को दूर करने में सहायक होते है । मनोचिकित्सक मानते है की डिप्रेशन के शिकार लोग सुर के सागर में डूब कर स्ट्रेस से बाहर निकल सकते है । म्यूजिक शरीर और मन से जुड़ी साइकोसोमेटिक तथा सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी विभिन्न बीमारियों के इलाज में भी लाभकारी साबित हो रहा है ।  म्यूजिक थेरेपिस्ट ऑटिज्म, क्लिनिकल डिप्रैशन, हार्ट प्रॉब्लम, हाई लो ब्लड प्रैशर जैसी स्थिति में भी म्यूजिक थेरेपी की प्रक्रिया को कारगर मानते है। इसे एक असरदार ट्रैंक्वलाइजर की तरह देखा जा रहा है । मानव शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन होते है जो दर्द से निवारण पहुचाने, तनाव कम करने और मूड को अच्छा करने में सहायक होते है। औरे संगीत की शक्ति हमारे दिल को स्पर्श कर भावनाओं को जगाने का काम करती है जिससे इस हर्मोन का स्त्राव होता है ।संगीत न केवल तनाव दूर करता है, बल्कि आत्मशांति भी प्रदान करता है । ज़िन्दगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है या अभी अभी हुआ यकीन की आग है मुझमें कहीं ऐसे हजारों नगमे है जो हमारे अन्दर पैशन, जोश जगाने के साथ साथ स्ट्रेस बस्‍‍टर का भी करते है। स्ट्रोक पेशेंट्स के लिए भी म्यूजिक थेरेपी एक अच्छा उपाय साबित हो रहा है । ये मरीज को जल्दी रिकवर करने में कारगर है । इसके अलावा कम्युनिकेशन स्किल विकसित करने और आत्मविश्वास बढाने में भी म्यूजिक की अहमियत कम नहीं है । च्च्रुक जाना नहीं तू कही हार केज्ज् गाना हो या इकबाल फिल्म का च्च्आशाएं खिले दिल की ये गाने प्रेरणा प्रदान कर हमारे सकारात्मक सोच को बढाते है ।  हालाकि संगीत की महिमा का इतिहास काफी पुराना है कहा जाता है कि अकबर के दरबार में जब तानसेन गाते थे, तो दीपक खुद-ब-खुद जल उठते थे।  संगीत चिकित्सक मानते है की च्च्सारेगामा शक्ति प्रसव वेदना कम करने में भी सक्षम है और सेन्ट्रल नर्वस डिसआर्डर से भी निजात दिलाने में सहायक है ।  तो म्यूजिक ज़िन्दगी का रिदम है और अगर म्यूजिक थेरेपी का प्रयोग पारंपरिक उपचार के साथ किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद सिद्ध होगा । और इस तरह म्यूजिक थेरेपी लोगों को स्ट्रेस से निकलने, मन को हल्का करने और मूड रिलैक्स करने में कारगर साबित हो रहा है । तो म्यूजिक सुनते रहिये, गुनगुनाते रहिये, मुस्कुराते रहिये और तनाव मुक्त रहिये।

Thursday, April 27, 2017

महिलाओं को सुरक्षित करने में असफल साबित हो रही देश कि मजबूत कानून व्यवस्था

देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाये जा रहे हरसंभव कदम निष्फल  साबित हो रहे हैं | महिलाओं के लिए बनाए गए अधिकार एवं उनकी सुरक्षा से सम्बंधित कानून भी उनको समाज में सुरक्षित रखने में असफल होते प्रतीत होते है | आए दिन हमारे समाज में महिलाओं के साथ हिंसा की खबरें आती रहती हैं | जहां एक ओर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सरकार प्रयासरत है वही दूसरी ओर आये दिन उनके साथ हो रही वारदातों हर कोशिश पर पानी फेरती नज़र आती है |
भारतीय संविधान ने महिलाओं कि सुरक्षा के लिए कई क़ानून बनाये है, चाहे घेरलू हिंसा का मामला हो या सेक्शुअल हैरेसमेंट, छेड़छाड़ या फिर रेप जैसे वारदातों का सभी के लिए देश में सख्त कानून व्यवस्था  हैं। महिलाओं के खिलाफ इस तरह के घिनौने अपराध करने वालों को सख्त सजा दिए जाने के लिए भी प्रावधान बनाये गए है | देश में पिछले दस वर्षों में महिलाओं के लिए कई कानून बनाये गए तथा संशोधित भी किये गए | 16 दिसंबर 2012 की गैंग रेप की घटना के बाद सरकार ने वर्मा कमिशन की सिफारिश पर ऐंटि-रेप लॉ बनाया जिसके  तहत रेप की परिभाषा में परिवर्तन किया गया और अब आईपीसी की धारा-375 के तहत रेप के दायरे में प्राइवेट पार्ट या फिर ओरल सेक्स दोनों को भी रेप ही माना गया है। आईपीसी कि धारा 376   बलात्कार तथा आईपीसी कि धारा 376/511 में बलात्कार करने के  प्रयास सम्बन्धी प्रावधान है | आईपीसी कि धारा 363,364, 364 ए, 366 महिलाओं के अपहरण तथा आईपीसी कि धारा 354 ए यौन उत्पीड़न सम्बंधित कानून को बताती है | इसके अतरिक्त भी देश में कई ऐसी कानून व्यवस्था है जो देश में महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए बनायीं गयी है |
इसी कड़ी में वर्ष 2013 में केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कार्यस्थल: रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम- 2013 लागू किया गया | इसे ऐतिहासिक कानून कहा जा सकता है क्‍योंकि देश में इससे पहले कार्यस्‍थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए ऐसा कोई कानून नहीं था | इस विनियमन के अंतर्गत यौन शोषण के संदर्भ में जारी की गयी “विशाखा गॉइडलाइन”  के दिशा-निर्देश के तहत महिला उत्पीड़न से सम्बंधित समस्यों की कारवाई करना नियोक्ता कंपनी की ज़िम्मेदारी बताया गया है । सुरक्षा को कामकाजी महिलाओं का मौलिक अधिकार मानते हुए इस निर्देश में शिकायत के संदर्भ में हर कंपनी में महिला-कमेटी बनाना अनिवार्य किया गया है, इस अधिनियम में सभी महिलाएं शामिल होंगी तथा इसके अंतर्गत महिलाओं को सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों में यौन उत्‍पीड़न से बचाना है | लेकिन फिर वही सवाल उठता है की ये ज़मीनी रूप से लागू होने में कितना सफल होगा, और ये महिलाओं की सुरक्षा करने में कितना कारगर होगा | दरसल आये दिन औरतों के साथ हो रही घटनाएं, बलात्कार, छेड़खानी और उनके चेहरे पर तेज़ाब फेंकने की घटना ने भारत में महिलाओं की सुरक्षा एवं अस्मिता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। पिछले दशक में महिला उत्पीड़न जैसे मामलो में भारत में आश्चर्यजनक एवं शर्मनाक वृद्धि ने सरकार की सभी कोशिशों को असफल किया है | भारतीय संविधान में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई विशेष कानून वर्णित है, संविधान महिलाओं को समानता का अधिकार देता है पर संविधान में इन तमाम प्रावधानों के बावजूद जमीनी हकीकत अलग कहानी बयान करती है। ये समाज में कायम बदनीयती ही है की महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है | विकसित और मार्डन होते भारत में महिलाओं की स्थिति वाकई बहुत ख़राब है | | लगातार बढ़ रहा महिलाओं के खिलाफ आपराध, संविधान में वर्णित महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए बनाये गए सभी अधिनियमों का एक प्रकार से मख़ौल ही उड़ा रहा है | महिला और बाल विकास मंत्रालय के कार्यस्थल रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम- 2013 महिलाओं को सुरक्षित करने में कितना सफल होगा इसका उत्तर आने वाला वक़्त ही देगा |

Monday, March 20, 2017

वो खलिश भी है , वो रज़ा भी है ...

 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
                          
वो परियों का ख्वाब है ...
ज़िन्दगी में बिखेरती खुशबू का एहसास है ...
वो कड़कड़ाती ठण्ड में गुलाबी धुप है ...
उसकी सूरत में एक माँ एक बहन एक पत्नी एक बेटी का रूप है ..
वो पथरीले रास्तों में कोमल चादर है ..    
वो जून कि गर्मी में बरसता बादल है ..
वो खलिश भी है ...वो रज़ा भी है ...
वो चेहरे पर लाती मुस्कान कि वजह भी है ..
नारी तो प्यार का नगमा है ..
वो खूबसूरत आइना भी है ..
वो मंदिर में रखी मूरत है ..
उसके आँचल में ममता कि सूरत है ..
उसके होने से ज़िन्दगी खूबसूरत है ...
हर दुआ हर उपवास में उसके ही निशाँ है ..
नारी वो अक्षर है जिससे बनता पूरा जहां है ..
वो काली रातों में चमकती चांदनी है ..
वो संगीत में रस घोलती रागनी है ..
वो तितली सी नाज़ुक भी है.... 
पर चट्टान से मजबूत उसके इरादे भी है ..                   
मन पर लगे तालों के बीच ..
वो खिड़की से झांकती परछाई है ..
कभी उसकी सांस कोख में रोक दी जाती है ..
कभी खुले आसमान में उड़ने को तरस जाती है ..
कभी अश्कों में डूबी उसकी तन्हाई है ...
कभी लहरों में उठते समंदर कि गहराई है ..
उसके होने से चहकता घर का आँगन है ..
वो कुर्बत का दामन है ..
फिर भी कभी ..
भीड़ में उसका तिरस्कार हो जाता है  ..
कभी तन्हाई में दिल तोड़ा जाता है ..
उससे ही रोशन घर का हर कोना है ..
वो उदासी कि दवा..
होठों पर रहती दुआ है ..
वो हौसलों को लेकर चलती है ..
ज़िन्दगी के रंग में ढलती है ..
वो हर शायर कि ग़ज़ल है ..
फिर भी उसकी ज़िन्दगी दरारों का महल है ..
उसके आँचल में प्रेम का सागर है ..
फिर भी प्रेम को तरस जाती है ..
नारी वो रोशिनी है जो अँधेरे को मिटाती है ..
और खुद अँधेरे में डूब जाती है ..
उसके होने से मुकम्मल ज़िन्दगी का सफ़र है ..
पर मुश्किल उसकी ज़िन्दगी की डगर है ..





Wednesday, August 3, 2016

भारत में ऑनलाइन बाज़ार का बढ़ता वर्चस्व

असीमित क्षमताओं और संभावनाओं से युक्त -कॉमर्स ने हाल के वर्षों में भारतीय बाज़ार में उल्लेखनीय जगह बना ली है. पिछले दो दशकों में इंटरनेट और मोबाइल फोन की क्रांति से संचार और व्यापार की दुनिया में हुए परिवर्तन ने डिजिटल कॉमर्स की राह आसान कर दी है. देश में मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्ट फोन, -कॉमर्स की सफलता का प्रतिनिधित्व कर रहा है. भारतीय -कॉमर्स बाजार तेजी से विकसित हो रहा है और त्योहारों के मौसम के दौरान इसकी वृद्धि और अधिक स्पष्ट हो जाती है. एसोचैम (भारत के वाणिज्य एवं उद्योग एसोसिएटेड चैम्बर्स) के ताजा अध्ययन के अनुसार आकर्षक ऑफर के कारण ये उपभोगताओं को आकर्षित करने में सफल हो रहे है. त्योहार के मौसम के दौरान ऑनलाइन शॉपिंग मार्ट में 40-45 फीसदी से अधिक दर से बढ़ोतरी देखी जाती है. भारतीय संस्कृति के अनुसार त्योहारों के मौसम को खरीदने के लिए शुभ माना जाता है फिर चाहे रक्षा बंधन हो या कोई अन्य पर्व -कॉमर्स बाज़ार उपभोगताओं को लुभाने की हर कोशिश करता है. देश के राष्ट्रीय पर्व स्वत्रंता दिवस पर भी ऑनलाइन शौपिंग साइट्स उपभोगताओं को आकर्षित करने के लिए कई नए ऑफर लाती है. एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में त्योहारी सीजन में भारतीय ऑनलाइन खुदरा बिक्री में ब्रांडेड परिधान, सामान, आभूषण, उपहार और जूते के बड़ी बिक्री से -कॉमर्स के राजस्व में पांच गुना वृद्धि हुई थी. एसोचैम के अध्ययन के मुताबिक इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में -कॉमर्स पर पांच गुना से अधिक वृद्धि होने की संभावना है. फेस्टिव सीजन के दौडान ऑनलाइन शौपिंग साइट्स पर उम्मीद से अधिक सेल होने के कारण इस वर्ष -कंपनिया पहले से ही बेहतर तरीके से तैयार है. भारत के इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन और इंटरनेट मोबाइल रिसर्च ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में भारत में -कामर्स क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2014 के अंत में भारतीय डिजिटल कॉमर्स बाज़ार में 53% की दर से वृद्धि, 81,525 करोड़ रूपए पर दर्ज की गई और वही 2015 के अंत तक 33% की दर से वृद्धि हुयी जो लगभग एक लाख करोड़ रुपए के आकड़ें को पार कर गयी.  एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में ऑनलाइन शॉपिंग में 78% की वृद्धि होने की बात कही गयी है.

भारत में बहुत सारी -कॉमर्स कंपनीया जैसे फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, पेटीएम्, कुइककर, इनमोबी, बुक माय शो, ओलाकैब, मेय्न्त्रा, जबोंग, ओएलएक्स, अमेज़न आदि ने लोगों को प्रभावित किया और ये करोड़ों रूपए कमाने में कामयाब भी हुए है. -कॉमर्स की डिलवरी पर नकदी की सुविधा भारत के लोगों की सबसे पसंदीदा भुगतान विधि है. कुछ समय पहले तक भारतीय उपभोक्ता की छवि एक पारंपरिक ग्राहक के ढर्रे से बंधी थी, परंतु -कॉमर्स की सुविधा के आगमन के साथ ही गत कुछ वर्षों से भारतीय उपभोक्ता एक नई दिशा की ओर चल पड़ा है. ऑनलाइन शौपिंग साइट्स पर मिल रहे ऑफर और सुविधा के साथ अब वह घर बैठे ही चीजें खरीदना पसंद कर रहा है हालांकि इस बात में संदेह नहीं है की पारंपरिक तरीके से खरीदारी की ओर ग्राहकों का रुझान कम नहीं हुआ है लेकिन देश में -कॉमर्स या ऑनलाइन शॉपिंग की अभूतपूर्व सफलता ने अलग ही इतिहास रचा है. हाल में जब ऑनलाइन सुपरस्टोर फ्लिपकार्ट के संस्थापकों द्वारा 1 अरब डॉलर्स की राशि का निवेश करने की खबर सुर्खियों में आयी तो उसके तुरंत बाद एक अन्य वैश्विक सुपरस्टोर अमेजन ने देश में -कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए अपने स्तर पर 2 अरब डॉलर्स के निवेश की घोषणा कर दी. इससे ये साफ हो जाता है की इतने भारी-भरकम निवेश की प्रतिस्पर्धा तभी फलीभूत होती है जब उससे मिलने वाले रिटर्न्स काफी अधिक लाभ देने की संभावना रखता हो.
हाल के वर्षों में संचार और व्यापार की दुनिया में हुए उल्लेखनीय परिवर्तन से हुए डिजिटल कॉमर्स का विकास भारत के लिए काफी अनोखा है. विश्व बैंक के अनुसार 2017 तक भारत की जीडीपी में 8 फीसदी की दर से विकास होगा. और इससे आगे आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार होगा तथा विश्व बाजार में भारत प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा. भारत में तेजी से विकास की ओर अग्रसर -कॉमर्स भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है. आज भारत में बड़ी कंपनी हो या छोटी दुकानें सभी डिजिटल कॉमर्स की दुनिया में कदम रख रही है ताकि अपना ग्लोबल बाज़ार बना सके. ये डिजिटल इंडिया के सपने को नयी दिशा देने तथा भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सहायक साबित हो सकता है. भारत में बढ़ते स्मार्टफ़ोन, टेबलेट और इन्टरनेट उपभोक्ताओं के कारण टियर टू और टियर थ्री शहरों में भी -कॉमर्स बाज़ार के लिए अपार अवसर है. ऑनलाइन रिटेल वेब साइट्स ने छोटे शहरों से अधिक डिमांड के कारण तथाकथित टियर टू और टियर थ्री शहरों की ओर रुख किया है. अग्रणी ऑनलाइन शौपिंग साइट्स फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, ईबे, शॉपक्लूज, ओएलएक्स के अनुसार उनकी बिक्री का लगभग आधा आर्डर टियर और टियर शहरों से आता है. ईबे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इसके कारोबार का 50 फीसदी आर्डर टियर टू और टियर थ्री शहरों से ही आता हैं. इससे साफ़ स्पष्ट हो रहा है कि भारत का -कॉमर्स छोटे शहरों में भी अपना सुनेहरा भविष्य देख रहा है.




विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व

 https://pratipakshsamvad.com/women-dominate-the-science-technology-engineering-and-mathematics-stem-areas/  (अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस)  डॉ ...