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Saturday, July 25, 2015

स्मार्टफ़ोन दे रहे ई-कॉमर्स को रफ़्तार

वैश्वीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी की प्रगति से चली डिजिटल क्रांति की बयार में भारत का डिजिटल कॉमर्स भी तेजी से विकसित हो रहा है | ये प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किये गए डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूती देगा | पिछले दो दशकों में इंटरनेट और मोबाइल फोन की क्रांति ने देश में डिजिटल कॉमर्स के लिए दरवाज़े खोल दिए है | ई-कॉमर्स ने दुनिया भर में अपनी मजबूत स्थिति बना ली है और हाल के वर्षों में भारत में भी इसका तेज़ी से प्रसार हुआ है |  भारत के इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन और इंटरनेट मोबाइल रिसर्च ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में भारत में ई-कामर्स क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है | इस रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2014 के अंत में भारतीय डिजिटल कॉमर्स बाज़ार में 53% की दर से वृद्धि, 81,525 करोड़ रूपए पर दर्ज की गई और अनुमान लगाया गया की 2015 के अंत तक 33% की दर से वृद्धि होगी जो लगभग एक लाख करोड़ रुपए के आकड़ें को पार कर जायेगा |  वर्तमान में भारत चीन के ई-कॉमर्स बाज़ार से काफी पीछे है लेकिन जिस तेज़ी से भारत में डिजिटल कॉमर्स विकसित हो रहा है ऐसा प्रतीत होता है भारत में डिजिटल कॉमर्स का भविष्य सुनेहरा है |
भारत में तेजी से बढ़ रहे स्मार्ट फ़ोन उपभोगताओं ने डिजिटल कॉमर्स कंपनियों को अपना बाज़ार फ़ैलाने की राह दे दी है | नेटवर्किंग समाधान की दिग्गज कंपनी सिस्को की रिपोर्ट बताती है की आज भारत, विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार बन गया है |  और आने वाले चार साल में स्मार्ट फ़ोन उपभोगताओं की संख्या में कई गुना वृद्धि होने की उम्मीद की गयी है | साथ ही भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला इंटरनेट बाजार भी बन गया है | अमेरिका के फर्म विजुअल नेटवर्किंग इंडेक्स के वैश्विक मोबाइल डेटा यातायात पूर्वानुमान के अनुसार  भारत में 2019 तक 18 लाख से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे | भारत में बढ़ते स्मार्टफ़ोन और टेबलेट उपभोक्ताओं ने, ई-कॉमर्स बाज़ार के विकास में विशेष योगदान दिया है | 2013 में, केवल 10% मोबाइल उपयोगकर्ता स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल करते थे और केवल 5% लोग मोबाइल का प्रयोग लेन-देन करने के लिए करते थे | भारत में 2014 में लगभग 41% लोगों ने ई-कॉमर्स के लिए मोबाइल फ़ोन का प्रयोग किया | आज स्मार्टफ़ोन, टेबलेट तेजी से डिजिटल कॉमर्स के लिए पीसी की जगह ले रहा है | स्नैपडील पर लगभग 75% आर्डर और फ्लिपकार्ट पर लगभग 70% आर्डर मोबाइल के माध्यम से किया जा रहा है | विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनिया मोबाइल पर उनके एप्लीकेशन डाउनलोड करके उससे खरीदारी करने पर छूट दे रही है |
घर बैठे मोबाइल रिचार्ज करना हो या यात्रा के लिए टिकेट बुक करना, दूर बैठे किसी अपने को गिफ्ट देना हो या मूवी टिकेट बुक करना आज डिजिटल कॉमर्स ने ज़िन्दगी बहुत आसान कर दी है | घंटों कतार में खड़े होकर टिकेट बुक करने की तकलीफ से छुटकारा दिलाया है | आज एक क्लिक पर कहीं से भी कुछ भी मंगाया जा सकता है | अगर आप पढने के बहुत शौक़ीन है तो घर बैठे बस एक क्लिक पर अपनी पसंदीदा किताब माँगा सकते है | पहले घंटों एक दूकान से दुसरे दूकान पर जाकर देखना पड़ता था की कहाँ क्या अच्छा और सबसे सस्ता मिल रहा है पर आज एक क्लिक करके सारी जानकारी हासिल की जा सकती है  | ई-कॉमर्स एक डिजिटल बाज़ार का जाल है जो अपने अंतर्गत बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध कराता है, इस कारण लोग इसकी तरफ आकर्षित हुए है | डिजिटल कॉमर्स के अंतर्गत बढ़ता ऑनलाइन बाजार ट्रेवल्स, टिकेट बुकिंग सेवा, होटल आरक्षण, वैवाहिक सेवा, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, फैशन से सम्बंधित सामान या कोई अन्य सामान या सेवा, ग्राहकों को सब आसानी से उपलब्ध करा रहा है | जस्ट डायल नामक डिजिटल कंपनी लोगों को घर बैठे हर तरह की जानकारी उपलब्ध कराता है, अगर आप नए शहर में है तो आपको इससे आसानी से पता चल जायेगा कहाँ क्या उपलब्ध होगा | आज की भागती दौड़ती ज़िन्दगी को डिजिटल कॉमर्स आसान कर रही है | भारत में बहुत सारी ई-कॉमर्स कंपनीयों जैसे फ्लिपकार्ट, स्नैपडीलपेटीएम्, कुइककर, इनमोबी, बुक माय शो, ओलाकैब, मेय्न्त्रा, जबोंग, ओएलएक्स, अमेज़न आदि ने लोगों को प्रभावित किया और ये करोड़ों रूपए कमाने में कामयाब भी हुए है | ई-कॉमर्स की डिलवरी पर नकदी की सुविधा भारत के लोगों की सबसे पसंदीदा भुगतान विधि है, इस कारण भारत में लगभग 75% लोग ऐसे ही भुगतान करते है | वर्तमान में ई-कॉमर्स कंपनियां भारत में मैन्यूफैक्चरिंग की वास्तविक लागत से भी कम कीमत पर वस्तुओं की बिक्री कर रही हैं, लोगों का डिजिटल कॉमर्स के प्रति बढ़ते उत्साह का ये भी एक महतवपूर्ण कारण हो सकता है |  
हाल के वर्षों में संचार और व्यापार की दुनिया में हुए उल्लेखनीय परिवर्तन से हुए डिजिटल कॉमर्स का विकास भारत के लिए काफी अनोखा है। भारत में बड़े पैमाने पर मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्ट फोन के प्रवेश से, तेजी से फैल रहा ई-कॉमर्स इस डिजिटल दुनिया में अत्याधुनिकता की सफलता का प्रतिनिधित्व कर रहा है | विश्व बैंक के अनुसार 2017 तक भारत की जीडीपी में 8 फीसदी की दर से विकास होगा | और इससे आगे आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार होगा और विश्व बाजार में भारत प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा । भारत में तेजी से विकास की ओर अग्रसर ई-कॉमर्स भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है | आज भारत में बड़ी कंपनी हो या छोटी दुकानें सभी डिजिटल कॉमर्स की दुनिया में कदम रख रहे है ताकि अपना ग्लोबल बाज़ार बना सके | आज स्मार्टफ़ोन और टेबलेट ने डिजिटल कॉमर्स की राह भारत में  आसान कर दी है | ये डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने नयी दिशा और भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा |







Tuesday, July 7, 2015

भारत में निरासजनक है मजदूरों की दशा

भारत में निरासजनक है मजदूरों की दशा




हजारों मजदूर जिन्होंने ना जाने कितनों के आशियाने बनाये उनके पास खुद की छत नहीं है और जो ना जाने कितनो के अन्नदाता है उनकी ज़िन्दगी कितनी कठिन है, इसका अंदाज़ा हाल ही में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए आज़ाद भारत की आर्थिक, सामाजिक और जाति आधारित जनगणना से लगाया जा सकता है | आज़ादी के 67 साल बाद भी भारत में मजदूरों की दशा में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो पाया है | अन्य देश की तुलना में भारत में मजदूरों की दिशा असंगठित है, इस कारण उनकी मासिक आय बहुत कम है | भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर है, आकड़ों के अनुसार गाँव में निवास करने वाले लोगों में से केवल 10 प्रतिशत ही वेतनभोगी है | इस जनगणना ने साफ़ कर दिया है की मजदूरों की माली हालत बहुत खराब है | आज भी हमारे देश के मजदूरों के पास पक्के मकान नहीं है उन्हें रात खुले आकाश के नीचे या कच्चे झोपोड़ों में ही बितानी पड़ती है और इसलिए मौसम की बेरुखी इन्हें हमेशा सताती रहती है | देश के 10.69 करोड़ लोग अभावग्रस्त है इस निराशाजनक जनगणना से ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर प्रतीत होती है | भारत में अगर न्यूनतम मजदूरी की बात की जाए तो यहां न्यूनतम मजदूरी की दर अलग- अलग प्रदेशों में अलग अलग है । मनरेगा योजना के तहत यूपीए सरकार ने मजदूरों को सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से सौ दिन के काम का प्रावधान रखा है । 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी राज्यों को न्यूनतम तय मजदूरी देने का निर्देश दिया गया था और तब तत्कालीन केंद्र सरकार ने 119 रुपए देना तय किया था | मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी की दर 156 से 236 रुपए है | दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत की न्यूनतम मजदूरी की दर बहुत कम है | संविधान बनने से पहले का है, जो अभी भी लागू है। संविधान बनने से पूर्व भारत में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 लागू किया गया था जिसमें कोई सुधार नहीं हुए हैं | इस अधिनियम के तहत भी हर राज्य की न्यूनतम मजदूरी की दर अलग-अलग है | भारत में मजदूरों की दशा विचारनीय है जिसका सुधार बहुत जरूरी है |इस जनगणना रिपोर्ट ने कुछ अच्छी बातें भी सामने लायी है जो दर्शाती है की गांवो में महिलाओं की स्थिति काफी हद तक सुधरी है, लगभग 68.96 लाख परिवारों में मुखिया महिलाएं है जिनकी मासिक आय 10 हज़ार है | और ग्रामीण भारत में 68.35 परिवार ऐसे है जिनके पास मोबाइल फ़ोन है, जो प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का भारत को डिजिटल इंडिया बनाने की सोच को मजबूती देगी | 1932 के बाद जब 80 साल बाद ये जनगणना हुई तो देश की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में हुए बदलाव खुलकर सामने आये | और पता लगा की भारत के विकास की राह में अभी बहुत से पत्थर है, देश की प्रगति के लिए जिनको हटाना बहुत आवश्यक होगा | सरकार इसके लिए प्रयासरत है और इसके तहत कई योजनायें भी बनायीं जा रही है जिनमें से 2020 तक सभी को रहने के लिए आवास उपलब्ध करना अहम् है जो इन गांवो की तस्वीर बदलने में सहायक साबित हो सकती है | लेकिन इसके लिए आवश्यक है की लोग सरकार की इन योजनाओं के प्रति जागरूक रहे और इनका लाभ ले सके | प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का भारत के सुनेहरा भविष्य का सपना चुनौतीयों भरा है जब तक इन मजदूरों की आर्थिक और सामाजिक दशा में सुधार नहीं होगा भारत का पूर्ण विकास संभव नहीं होगा |

Thursday, May 15, 2014

सत्ता को लेकर सटटा

सत्ता को लेकर सटटा




बढ़ते पारे के साथ चुनाव परिणाम में भी गर्मी बढती जा रही है | जहां एक ओर हर एक न्यूज़ चैनल एग्जिट पोल पर लगातार चर्चा कर रहा है वही दूसरी ओर सट्टा बाजार में भी चुनाव परिणाम को लेकर माहौल बहुत गरम होता जा रहा है | अभी आईपीएल का नशा सट्टा कारोबार पर चढ़ा ही था की सट्टे बाज़ार में चुनाव नतीजों को लेकर भी हलचलें बढ़ गयीं हैं। हालाकि चुनाव परिणाम आने का काउंटडाउन शुरू हो चूका है और आईपीएल अभी चल ही रहा है इसलिए खिलाड़ी आईपीएल पर ज्यादा भाव लगा रहे हैं। बरहाल चुनाव नतीजों को लेकर सट्टा बाज़ार में काफी जोश दिख रहा है । इस समय सट्टे बाज़ार में कांग्रेस या बीजेपी किसकी सरकार बनेगी ये सट्टे का अहम् विषय है | हालाकि सटोरी इस चुनाव में भाजपा का जीतना तय मान रहे है और ऐसे में सबसे ज्यादा सट्टे का खेल इस बात पर लगा है कि किसको कितनी सीटें मिलेंगी | केवल इस मुद्दे पर करीब डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये का सट्टा लगाया जा रहा है | सट्टेबाजों का मानना है की इस बार मोदी की लहर है इसलिए भाजपा की जीत पर ही सट्टा लगाना समझदारी होगी । ऐसे में सट्टा बाजार आम चुनाव में भाजपा को ही बड़ा दल मानकर चल रहा है। साथ ही जनपद की तीनों सीटों से भी भाजपा की जीत की उम्मीद जताई जा रही है | यही वजह है कि सट्टा बाजार में भाजपा प्रत्याशियों की जीत का भाव मात्र आठ पैसे से अधिक नहीं है | जहां एक ओर भारत के चुनाव नतीजों का बेसब्री से इंतज़ार कर रही दुनिया और देश की जनता सभी के चर्चा का विषय “इस बार किसकी सरकार” इसी मुद्दे के इर्द गिर्द घूम रही है वही सट्टेबाज़ भी इस चुनाव परिणाम से अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की जुगत में लगे हुए है | मतगणना को लेकर प्रशासनिक तैयारियां चरम सीमा पर है और सट्टे कारोबार में भी रौनक बढती जा रही है | सटोरियों का मानना है कि इस बार भाजपा को 250 से अधिक सीटें मिलेंगी और कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी पार करने की स्थिति में नहीं हैं | उसे विपक्ष में बैठने के लिए भी अलायंस का सहारा लेना पड़ेगा | लोकसभा चुनाव के नतीजे भले ही 16 मई को घोषित होंगे पर सट्टा बाजार ने एक फैसला पहले ही सुना दिया है | प्रदेश के सटोरियों के मुताबिक नरेंद्र मोदी ही देश के अगले पीएम होंगे | वहीं राहुल गांधी को इस पद के लिए सटोरियों ने भी सिरे से खारिज कर दिया गया है | यहां तक कि सटोरियों ने अब राहुल के नाम पर बोली लगाना भी बंद कर दिया है |















Wednesday, February 19, 2014

अप्रतक्ष्य है सलामी हमला


भारत में इंटरनेट सेवा प्रयोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, इन्टरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत में इंटरनेट यूजर की संख्या दस करोड़ को पार कर गई है । बरहाल जहां इन्टरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है वही साइबर अपराध की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। यह एक ग्लोबल समस्या बन कर उभरा है और हर गुजरते दिन के साथ साइबर स्पेस पर हमले और हैकिंग की मामले बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में साइबर संबंधी अपराधों की घटनाओं में करीब 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हर साल हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में पिछले साल तक यह दूसरा सबसे कॉमन अपराध बन कर उभरा है | भारत में साइबर हमले का मामला खासा जटिल होता जा रहा है और आये दिन हो रहे साइबर वित्तीय अपराध के मामले सामने आ रहे है, लेकिन साइबर क्राइम के तहत होने वाले सलामी हमले में वित्तीय धोखाधड़ी से लोग बेखबर रहते है | दरसल सलामी हमले में  होने वाला वित्तीय परिवर्तन इतना महत्वहीन होता है की किसी को इसकी भनक भी नहीं लगती | एक सलामी हमले में गुप्त रूप से डिजिटल डाटा का दुष्प्रयोग कर वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम दिया जाता है | आमतौर पर अपराधी इसमें एक प्रणाली द्वारा वित्तीय खातों से एक समय में पैसे या संसाधनों की एक छोटी चोरी करता है | इस मामले में गुपचुप तरीके से आर्थिक अपराध को अंजाम दिया जाता है और इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग या इलेक्ट्रॉनिक डाटा का अनुरेखण करके गुप्त रूप से वित्तीय अपराध होता है | दरसल सलामी हमला मामूली हमलों की एक श्रृंखला है जिसमें संपत्ति की एक छोटी राशि, लगभग सारहीन मात्रा को व्यवस्थित ढंग से चोरी की जाती है | ये इतना अप्रतक्ष्य होता है की शायद ही कोई खाता धारक इस अनधिकृत डेबिट को नोटिस करता है | सामान्यता इस तरह के सलामी हमले में खाता धारक के खाते से 2 से 5  रुपये की एक अल्प राशि काट ली जाती है और इस तरह की छोटी राशि पर खाता धारक कभी ध्यान नहीं देता है | इसमें ट्रोजन हॉर्स तकनीक का प्रयोग करके स्वचालित रूप से वित्तीय डाटा का दुरूपयोग किया जाता है | आमतौर परहर बार चोरी की राशि इतनी कम होती है कि सलामी धोखाधड़ी का पीड़ित इसे कभी भी नोटिस नहीं करता है और इस तरह  अलग-अलग खाते से ये अल्प राशि की चोरी से एक विशाल रकम पैदा की जाती है | भारत में तीन चौथाई इंटरनेट उपभोक्ता किसी न किसी तरह साइबर अपराध का शिकार होते हैं और इस कारण देश साइबर क्राइम से बुरी तरह प्रभावित माना जा सकता है |



Wednesday, February 5, 2014

कितना कारगर होगा विशाखा दिशा निर्देश



                                     
pallavimishra34@gmail.com

कितना कारगर होगा विशाखा दिशा निर्देश
देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिए भले ही सरकार हरसंभव कदम उठाने की कोशिश कर लें पर आये दिन हो रहे महिला उत्पीड़न के मामले सारी कोशिशें निष्फल किये दे रहे हैं | बीते वर्ष केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कार्यस्थल: रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम- 2013 लागू किया गया | इसे ऐतिहासिक कानून कहा जा सकता है क्‍योंकि देश में इससे पहले कार्यस्‍थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए ऐसा कोई कानून नहीं था | इस विनियमन के अंतर्गत यौन शोषण के संदर्भ में जारी की गयी “विशाखा गॉइडलाइन”  के दिशा-निर्देश के तहत महिला उत्पीड़न से सम्बंधित समस्यों की कारवाई करना नियोक्ता कंपनी की ज़िम्मेदारी बताया गया है । सुरक्षा को कामकाजी महिलाओं का मौलिक अधिकार मानते हुए इस निर्देश में शिकायत के संदर्भ में हर कंपनी में महिला-कमेटी बनाना अनिवार्य किया गया है, इस अधिनियम में सभी महिलाएं शामिल होंगी तथा इसके अंतर्गत महिलाओं को सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों में यौन उत्‍पीड़न से बचाना है | लेकिन फिर वही सवाल उठता है की ये ज़मीनी रूप से लागू होने में कितना सफल होगा, और ये महिलाओं की सुरक्षा करने में कितना कारगर होगा | दरसल आये दिन औरतों के साथ हो रही घटनाएं, बलात्कार, छेड़खानी और उनके चेहरे पर तेज़ाब फेंकने की घटना ने भारत में महिलाओं की सुरक्षा एवं अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। पिछले दशक में महिला उत्पीड़न जैसे मामलो में भारत में आश्चर्यजनक एवं शर्मनाक वृद्धि ने सरकार की सभी कोशिशों को असफल किया है | भारतीय संविधान में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई विशेष कानून वर्णित है, संविधान महिलाओं को समानता का अधिकार देता है पर संविधान में इन तमाम प्रावधानों के बावजूद जमीनी हकीकत अलग कहानी बयान करती है। भारत सरकार के नारी अधिकार  विभाग के अनुसार वर्ष 2012 – 2013 के बीच बलात्कार तथा महिला उत्पीडन मामलो में करीब 30 फीसदी वृद्धि के संकेत मिलते है | ये समाज में कायम बदनीयती ही है की महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है | विकसित और मार्डन होते भारत में महिलाओं की स्थिति वाकई बहुत ख़राब है | राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक, 1971 में पूरे देश में बलात्कार के करीब ढाई हजार मामले दर्ज किए गए, वहीं 2011 तक आते-आते बलात्कार की घटनाओं का आंकड़ा 24 हजार को पार कर गया। सबसे बड़ी चिंताजनक बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों में 2012 की तुलना में 2013 में पांच गुना बढोतरी दर्ज की गई है  | लगातार बढ़ रहा महिलाओं के खिलाफ आपराध, संविधान में वर्णित महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए बनाये गए सभी अधिनियमों का  एक प्रकार से मख़ौल ही उड़ा रहा है | महिला और बाल विकास मंत्रालय के कार्यस्थल: रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम- 2013 महिलाओं को सुरक्षित करने में कितना सफल होगा इसका उत्तर आने वाला वक़्त ही देगा |

Saturday, January 11, 2014

ई सिगरेट भी उड़ाती है धुएं में ज़िन्दगी

स्मोकिंग की लत समाज को खोखला करती जा रही है, ध्रूमपान उन्मूलन के लिए वैज्ञानिक लगातार कई विशेष प्रयोग कर रहे है | ई सिगरेट भी इन्ही शोधों का एक परिणाम है, होन लिक नाम के चीनी फार्मासिस्ट ने 2003 में इसका ईजाद किया था, लेकिन ध्रूमपान से मुक्ति दिलाने में ये कितना कारगर है ये कह पाना अभी संभव नहीं है | दरअसल ई सिगरेट बैटरी से चलने वाली ऐसी सिगरेट होती है जिसमें निकोटीन की कुछ मात्रा होती है। यह उपकरण वास्तविक सिगरेट जैसा दिखता है लेकिन इसमें तम्बाकू का इस्तेमाल नहीं होता है। ई-सिगरेट के प्रत्येक कश के साथ निकोटीन की बहुत थोड़ी मात्रा ही शरीर में पहुँचती है। इसमें निकोटीन का प्रयोग बहुत कम होता है या इसकी जगह गैर-निकोटीन का वैपोराइज लिक्‍विड प्रयोग किया जाता है जो सिगरेट जैसा स्‍वाद देता है और इसकी लम्‍बाई थोड़ी ज्‍यादा होती है। ई सिगरेट में उक कार्टेंज लगी होती है जिसमें निकोटीन और प्रॉपेलिन ग्‍लाइकोल का तरल पदार्थ होता है बीच के हिस्‍से में एटमाइजर होता है और सफेद वाले हिस्‍से में बैटरी लगी होती है जब कोई ई सिगरेट प्रयोग करता है तो सैंसर में हवा का प्रभाव पड़ते ही एटमाइज़र निकोटीन और प्रॉपलीन ग्‍लाइकोल को छोटी-छोटी बूंदो को हवा में फेंक देता है जो वाष्प का धुंआ तैयार कर देता है जिसे व्‍यक्ति बाद में निकाल देता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि जब कोई सिगरेट की 15 कश लेता है तो उसके अंदर 1 से 2 मिलीग्राम निकोटिन जमा होता है, जबकि ई-सिगरेट में 16 मिलीग्राम निकोटिन वाले कार्टेज का इस्तेमाल करने से इतनी ही कश लेने पर 0.15 मिलीग्राम निकोटिन जमा होता है । स्वास्थ के लिहाज से यह तरीका भी सही नहीं है क्योंकि इसके जरिए भी निकोटिन तो शरीर में जाता ही है। बस ई सिगरेट में तम्‍बाकू से तैयार होने वाला हानिकारक तत्‍व नहीं बनता | दुनिया भर के छियासठ प्रतिशत पुरुष और चालीस प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू सेवन में लिप्त पाए जाते है और दुनिया में लगभग चौवन लाख लोग साल भर में और भारत में नौ लाख लोग की तम्बाकू सेवन के कारण समय से पहले सासें थम जाती है | तम्बाकू का जहर तकरीबन पूरे भारत में फैला हुआ है और इसका इस्तेमाल करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है | वर्तमान समय में बढ़ता जा रहा मानसिक तनाव तम्बाकू सेवन का एक कारण माना जाता है, वही कुछ युवा इसे आधुनिकता की निशानी मानते है | ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार भारत में दस प्रतिशत लड़कियों ने सिगरेट पीने की बात स्वीकारी, भारतीय बाजार में ई सिगरेट ने 2011 में प्रवेश किया था लेकिन ये तम्बाकू युक्त ध्रूमपान रोकने या कम करने में प्रभावी है या इसका स्वास्थ्य पर अनुकूल असर होता है ये मानना सही नहीं होगा | भारत सरकार को इस वर्ष तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज पर लगभग चालीस हजार करोड़ रूपये खर्च करने पड़े हैं | बरहाल यूरोपीय संघ और ब्रिटेन दोनों दवाइयों की तरह ही ई सिगरेट के नियमन के उपायों पर काम कर रहे हैं |










विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व

 https://pratipakshsamvad.com/women-dominate-the-science-technology-engineering-and-mathematics-stem-areas/  (अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस)  डॉ ...