Dr Pallavi Mishra is working as an Associate Professor. NET/JRF qualified.Founder of PAcademi.com

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Saturday, February 6, 2016

अब जातिगत जालों से रिहा होते हम भारतीय


फेसबुक पर बीबीसी के कलम से निकली याशिका दत्त की कहानी वायरल हो चुकी है. जब अपनी कहानी के द्वारा याशिका ने भारत में फैले जाति के जालों में उलझी अपनी ज़िन्दगी के अनुभवों को बताया तो वाकई  लगा की हम भारतीयों की मानसिकता शायद रोग ग्रषित है. देश में सर उठा के जीने के लिए याशिका दत्त को अपनी दलित पहचान छुपानी पड़ी लेकिन ये देश तुमहारा भी उतना ही है जितना किसी अन्य जाति धर्म या समुदाय के लोगों का. हाँ माना कि भारत में जाति के जालों को हटाने में  में वक्त काफी लगा लेकिन काफी हद तक ये साफ़ हो चूका है और अब भारत में बहुजन लोग अपनी पहचान नहीं छुपाते. हालांकि ये याशिका का निजी फैसला था लेकिन तुम्हे तो फक्र होना चाहिए की तुम देश की सबसे ख़ास जाति से सम्बन्ध रखती हो. तुम देश की सबसे मेहनतकश बिरादरी से सम्बन्ध रखती हो. तुमहारी ये कहानी मुझे बार बार ये सोचने पर मजबूर कर रही है की देश के उन अपराधियों और निठल्ले लोगों को शर्म क्यों नहीं आती जो देश की सफलता में रोड़ा का काम कर रहे है. अभी तुम न्यूयॉर्क में स्वतंत्र पत्रकार हो और देश का नाम रोशन कर रही हम भारतियों को तुमपे गर्व है.
 

Tuesday, January 26, 2016

गणतंत्र दिवस पर आतंकी साया- तैयार हैं हम

देश जहां अपने राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस को मनाने की तैयारी कर रहा है वही सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी की गयी चेतावनी दी है कि इस्लामी राज्य भारत में सात समन्वित हमले करने की फ़िराक में है. गणतंत्र दिवस से ठीक पहले संयुक्त राज्य अमेरिका के केंद्रीय जांच एजेंसी की मदद से भारतीय खुफिया एजेंसियों ने देश भर से 20 आईएसआईएस गुर्गों को गिरफ्तार किया है.
केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने 20 इस्लामी राज्य समर्थकों के ऑनलाइन संवाद को उनके आईपी पतों द्वारा ट्रेस करके रोका और आईएसआईएस गुर्गों द्वारा फेसबुक पर हो रही बातचीत में सीआईए द्वारा एक कोड “सात कलश रख दो” को डीकोड कर भारत में 7 स्थानों पर आतंकी हमले की बात सामने लायी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सीआईए की सहायता से,  हरिद्वार से अखलाक उर रहमान नामक शख्स को गिरफ्तार किया. बीते शुक्रवार को कर्नाटक, हैदराबाद, मुंबई, लखनऊ  बेंगलुरू, तुमकुर और मंगलौर में इन शहरों में 12 स्थानों पर एक साथ छापे मारकर कई आईएसआईएस गुर्गे गिरफ्तारी किए गए. अबू अनस नाम का संदिग्ध  हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया, ये किसी सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता है. ये गिरफ्तारी हैदराबाद के टोली चौकी  क्षेत्र में हुई जहां इसके पास से जिहादी साहित्य, वीडियो और दो किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट तथा कुछ आपत्तिजनक लेख को हिरासत में ले लिया गया. जांच एजेंसियों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किए गए लोगों में से कुछ छात्र हैं और कुछ विभिन्न कंपनियों में कर्मचारी हैं.
दिल्ली पुलिस ने आईएसआईएस के साथ कथित संबंध होने की आशंका से राज्य से चार लोगों को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किए गया और उनसे मिली जानकारी के बाद उत्तराखंड में रुड़की से एक संदिग्ध आतंकवादी को हिरासत में लिया गया. ख़ुफ़िया एजेंसियों के अनुसार आईएसआईएस भारत में भी वैसे ही आतंकी हमले को अंजाम देने की फ़िराक में है जैसे बीते वर्ष नवंबर में पेरिस पर हमला किया था और जिसमें 130 लोगों की मौत हो गई थी.
भारत की इस राष्ट्रीय पर्व में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे इस कारण देश को और अधिक अलर्ट होने की आवश्यकता है. भारत के 67 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आतंकी खतरे को देखते हुए भारत को हाई अलर्ट कर दिया गया है. यही नहीं देश में लगातार हो रही संदेहजनक घटनाएं आतंकी हमले की ओर इशारा कर रही है. बीते दिनों देश में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के एक आईजी रैंक के अधिकारी (आईटीबीपी) की ब्लू बीकन वाहन चोरी हो गयी और फिर बीते रविवार को लोदी गार्डन से एक कर्नल की आर्मी स्टीकर लगी कार चोरी हो गयी, पुलिस के अनुसार ये कार डॉक्टर शैलेन्द्र सिंह की है. पठानकोट के हमलों के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है की आतंकवादी बत्ती और स्टीकर लगी गाड़ियों को चोरी कर गणतंत्र दिवस के खुशनुमा माहौल को ख़राब कर सकते है. और पिछले दिनों नोएडा से आईजी की नीली बत्ती लगी कार की चोरी का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है.
लखनऊ शहर में भी ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा प्राप्त जानकारी से जब एटीएस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो ज्ञात हुआ की फेसबुक पर चार्ली ब्वॉय के नाम से अकाउंट चला रहे बीस वर्षीय अलीम आतंकी संगठन आईएस के संपर्क में था. अलीम और हैदराबाद से आये दो आतंकी युवकों ने प्रधानमन्त्री के लखनऊ दौड़े से ठीक पहले लखनऊ के कई इलाकों की रेकी की थी. गणतंत्र दिवस से पहले देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. राजधानी दिल्ली में चप्पे चप्पे पर तैनात कमांडर, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स, 165 रेसोलुशन वाले 17000 सीसीटीवी कैमरे लगे है. राजपथ पर एंटी एयर क्राफ्ट गन लगाया गया है. गणतंत्र दिवस को खतरों से महफूज़ रखने के लिए देश में कड़े इन्तेजाम किये गए है. 26 जनवरी को होने वाली परेड की सुरक्षा और कड़ी कर दी गयी है. देश आतंकी हमले के प्रति अलर्ट है और सुरक्षा में कोई कसर न छूटे इसके लिए प्रयासरत है.


Tuesday, December 8, 2015

ज़मीनी हकीकत की पृष्ठभूमि से दूर होता हिंदी सिनेमा

http://glsmedia.in/archives/627

भारतीय सिनेमा जगत ने सफलता पूर्वक अपने सौ साल से ज्यादा पूरे कर लिए है और पिछले सौ सालों में सिनेमा में बहुत सारे परिवर्तन हुए है | आज सिनेमा की स्क्रिप्ट, प्रस्तुतीकरण, शूटिंग की लोकेशन सब कुछ बदल चूका है | आज साल में एक दो सामाजिक सन्देश देती हुई फिल्में जरूर रिलीज़ होती है पर ज़मीनी हकीकत से जुडी फिल्में देखने को नहीं मिलती है | ग्रामीण भारत की दशा आज भी निराशाजनक बनी हुई है पर अब इसे सिल्वर स्क्रीन पर देखने का मौका बहुत कम मिल रहा है | जबकि भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए आज़ाद भारत की आर्थिक, सामाजिक और जाति आधारित जनगणना के ताज़े आकड़ों ने साफ़ कर दिया है भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर है | ताजा आकड़ों के अनुसार गाँव में निवास करने वाले लोगों में से केवल 10 प्रतिशत ही वेतनभोगी है | बेशक 1991 के बाद हुए उदारीकरण ने आर्थिक सामाजिक व्यवस्था में बदलाव किये और भारतीय शहर की तस्वीर बदली लेकिन आज भी हमारे देश के मजदूरों के पास पक्के मकान नहीं है उन्हें रात खुले आकाश के नीचे या कच्चे झोपोड़ों में ही बितानी पड़ती है और इसलिए मौसम की बेरुखी इन्हें हमेशा सताती रहती है | देश के 10.69 करोड़ लोग अभावग्रस्त है हाल में सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए इस निराशाजनक जनगणना से ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर प्रतीत होती है | पिछले कुछ सालों के पन्ने पलटें तो मज़दूरों पर आधारित मुख्य धारा की फिल्में लगभग ना के बराबर हो गई है, पुरानी ज़मीनी हकीकत से जुड़ीं फिल्मों की जगह आज की मसाला फिल्मों ने ले ली है | भारत में आज भी मजदूर और किसान का जीवन संघर्षमय बना हुआ है लेकिन अब गरीब मजदूर और किसान की ज़िन्दगी पर आधारित फिल्में बहुत कम देखने को मिलती है |
भारतीय सिनेमा जगत ने शुरुआती दौड़ में सामाजिक विषय को लेकर कई सारी फिल्में बनायीं गयी है | इसमें कुछ फिल्में गरीब मजबूर किसान के जीवन पर केन्द्रित थी तो कुछ बेबस मजदूर के जीवन के इर्द गिर्द घुमती हुई थी और कुछ अन्य निम्न श्रेणी के पेशे वालों के संघर्ष को जीवंत करती हुई | कई फिल्म निर्माताओं ने गरीब किसानो और मजदूरों तथा अन्य निम्न श्रेणी के पेशे वालों के जीवन के दैनिक संघर्ष और उनकी सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष की कहानी को इतनी खूबसूरती एवं भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया की ये दुनिया भर के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गयी | कुछ फिल्मों को उस ज़माने का ट्रेंड सेटर भी माना जाता था | 1953 में बिमल रॉय द्वारा निर्देशित फिल्म दो बीघा ज़मीन”  ने गरीब किसान की मजबूरियों को बड़ी ही खूबी से दिखाया गया है | फिल्म एक छोटे किसान शम्भू  (बलराज साहनी) के जीवन के इर्द गिर्द घुमती है जिसके पास पूरे परिवार का पेट पालने के लिए सिर्फ़ दो बीघा ज़मीन ही है और कई सालों से उसके गाँव में लगातार सूखा पड़ रहा है जिससे शम्भू और उसका परिवार बदहाली का शिकार हो जाता हैं | इसी क्रम में 1957 में महबूब खान द्वारा निर्देशित फिल्म मदर इंडियाभारतीय किसान नारी के संघर्ष की मार्मिक कथावस्तु है, यह ग्रामीण साहूकार सभ्यता की क्रूरता और अत्याचार से लड़ती हुई नारी की हृदयवेदक कहानी है। हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित नमक हराममें प्रबंधन बनाम मजदूरों की कहानी दिखाई गयी है | इसमें सोमू (राजेश खन्ना) और विक्की (अमिताभ बच्चन) की गहरी और स्थायी दोस्ती होने के बावजूद वर्ग विभाजन की वजह से दोनों की राह अलग होते हुए दिखाया गया है । वही यश चोप्रा द्वारा निर्देशित फिल्म काला पत्थरमें निर्देशक की सहानुभूति कोयले की खान के कार्यकर्ताओं के साथ स्पष्ट रूप से दिखाई देती है | गरीबों के दशा को दिलीप कुमार ने भी बड़े परदे पर जीवंत किया है, उनकी फिल्म मजदूरमें उस दौड़ के मजदूर की परेशानियों से दर्शको से रूबरू कराया गया है | दो बीघा ज़मीन के बाद 1959 में पुनः बलराज सहनी क्रिशन चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म हीरा-मोतीमें गरीब किसान की भूमिका में नज़र आये | “हीरा-मोतीविक्रमपुर गाँव में रह रहे धुरी (बलराज सहनी) और उसकी पत्नी रजिया (निरुपमा रॉय) और एक बहन चंपा (शुभ्हा खोटे) के गरीब जीवन शैली की कथावस्तु है | धुरी एक किसान है जिसके पास छोटा सा खेत और दो बैल, हीरा और मोती है। हीरा मोतीफिल्म जमींदारी व्यवस्था की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसका नायक शोषण के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित करता है । इसी क्रम में मनमोहन देसाइ द्वारा निर्देशित फिल्म कूलीमें इकबाल (अमिताभ बच्चन) मुंबई रेलवे स्टेशन पर एक कुली है और कुली के अधिकारों के लिए लड़ने की प्रतिज्ञा लेता है | हिंदी सिनेमा में हर वर्ग चाहे किसान हो, मजदूर हो या कोई अन्य गरीब तबका, बड़े परदे पर उनके जीवन के संघर्ष की कहानी को मनमोहक रूप से पिरोने की सफल कोशिश की गयी | मजदूर के अधिकारों की पृष्ठभूमि पर आधारित कथावस्तु हो या आमतौर पर अपने गांव से शहर की ओर पलायन करने के लिए मजबूर ग्रामीण की कहानी हो, ज़मीनी हकीकत से जुड़े समाजवादी विषय को उठाने की कोशिश की गयी | वर्ष 2001 में आशुतोष गवारीकर निर्देशित लगानमें आमिर खान ने जब पहली बार ग्रामीण भारत को चित्रित किया तो दर्शकों ने बाहें फैला कर इसका स्वागत किया | इसमें ब्रिटिश राज द्वारा निर्धारित करके लिए गरीब भारतीय समुदाय पर अत्याचार किया जाता है और ये कहानी एक नाटकीय मोड़ तब ले लेती है जब लगान बचाने के लिए भारतीय ब्रिटिश अधिकारियों के साथ क्रिकेट का खेल खेलते है और उन्हें हरा कर, ब्रिटिश राज द्वारा लगाये गए करोंसे 3 साल के लिए मुक्त हो जाते है | वही 2010 में आमिर खान निर्मित पीपली लाइवगरीब नत्था के जीवन के इर्द गिर्द घुमती कथावस्तु है जिसकी जमीन बैंक हडपने वाली है क्योंकि वह लोन चुकाने में नाकामयाब रहा है, उसके पास पैसे नहीं है। जब वह एक नेता से मदद लेने पहुचता है तो उसे सुझाव दिया जाता है की  जीते जी तो सरकार उसकी मदद नहीं कर सकती, लेकिन अगर वह आत्महत्या कर ले तो उसे मुआवजे के रूप में उसे एक लाख रुपए मिल सकते हैं और यहाँ से उसके जीवन के संघर्ष की शुरुवात होती है | पिछले वर्ष 2014 में रिलीज़ हुई हंसल मेहता की फिल्म सिटी लाइट्सएक प्रवासी गरीब की कथानक पर आधारित है जो बेहतर जिंदगी की आस में मुम्बई आ जाता है जहा उसके संघर्ष के सफ़र की शुरुवात होती है, जिसे बड़े ही भावनात्मक ढंग से दिखाया गया है लेकिन उसे दर्शकों का ख़ासा प्यार नहीं मिला | ऐसी अनगिनत फिल्में है जिसके माध्यम से दर्शकों ने यथार्थवादी पृष्ठभूमि पर आधारित कहानियों को देखा और उनकी मनभावन अभिव्यक्तियों से प्रभावित भी हुए है |
भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गए आज़ाद भारत की आर्थिक, सामाजिक और जाति आधारित जनगणना के ताज़ा आकड़ों से ज्ञात होता है की आज भी ग्रामीण भारत की दशा में ख़ासा परिवर्तन नहीं हुआ है भारत में गरीबी और आर्थिक तंगी के चलते आज भी बड़े पैमाने पर किसान और गरीब आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाते है, लेकिन अब फिल्में इस तरह की ज़मीनी हकीकत की पृष्ठभूमि पर कम ही बनती है, आज का दौड़ मसाला फिल्मों का दौड़ है |

बीते ज़माने के हीरो और आज के हीरो की परिभाषा बदल गयी है | आज के हीरो के पास सारी सुख सुविधाएं होती है | उसके पास बड़ी गाड़ी, ब्रांडेड कपडे, जूते, गॉगल्स, हाई-टेक्नोलॉजी के गैजेट्स सारी सुविधा होती है क्योंकि आज के दर्शक अपने हीरो को उसी रूप में देखना चाहते है और दर्शक अपने हीरो का अनुसरण भी करते है | आज शायद ही कुछ ख़ास वर्ग के दर्शक होंगे जो गरीबी और ज़मीनी सच्चाई पर आधारित कथावस्तु को देखना पसंद करते हो | आज का दौड़ सौ करोड़ क्लबका दौड़ है और शायद बॉक्स ऑफिस पर सौ करोड़ क्लबका लक्ष्य होने के कारण भी निर्माता निर्देशक ऐसे कथावस्तु पर फिल्म बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है |

Saturday, September 5, 2015

वक़्त से बड़ा गुरु कहाँ


ज़िन्दगी में जब कभी मुश्किल वक़्त आया,
पल थोड़े परेशान हो गए,
दर्द मिला ज़िन्दगी से तो हैरान हो गए
परिस्थितियां विपरीत हुई
वक़्त आजमाने लगा तो क्यूँ नादान हो गए,
मुश्किल वक़्त तो ज़िन्दगी की हकीकत है
दर्द भरे पल तो हिस्सा है राहों का,
ऐसे तो ज़िन्दगी का संसार रचा है,
ये तो वो मित्र है जो बहुत कुछ सिखा के जाता है
अच्छे शिक्षक की भूमिका निभाकर हमें अधिक ऊर्जावान बना जाता है
कुछ नए अनुभव और ज्ञान से रूबरू करा कर
हर उलझन को सुलझाने के काबिल बना जाता है,
ढलती है उम्र की शाम,
तो दर्द भरे पल भी गुज़र जाते है
और ज़िन्दगी के हर रूप से परिचित कराकर
अधिक सुदृढ़ बना जाते है...

Tuesday, August 18, 2015

बेहतर संचार से सुधेरेंगे हालात








भारतीय स्वास्थय नीति और स्वास्थय संचार ने देश में पनप रहे रोगों के बोझ को कम करने में विशेष भूमिका निभायी है | बेशक पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य के नज़रिए से  भारत की स्थिति में काफी सुधार हुआ है लेकिन अभी भी भारत के विकास में स्वास्थय की स्थिति तनाव बनाए हुए है | स्वास्थ्य के नजरिए से वर्ष, 2015  भारत के लिए बहुत  महत्वपूर्ण है । राष्ट्रीय स्तर पर, भारत सरकार नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में प्रगति के लिए प्रयासरत है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (एमडीजी) के लिहाज़ से अंतिम वर्ष है, इस कारण भारत को स्वास्थय के प्रति ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए भारत के स्वास्थय संचार को अधिक मजबूत एवं प्राभावी बनाने जरूरी है | 
आज दुनिया के तमाम विकसित देश अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थय संचार के अंतर्गत कई कार्यक्रम और विज्ञापन कराते है | जन स्वास्थ्य संचार विशेषज्ञ अच्छी तरह जानते हैं कि प्रभावी संचार में लोगों की धारणाओं, विश्वास एवं आदतों को बदलने की ताकत होती है | आजादी के बाद से ही भारत में स्वास्थ्य संचार की प्रक्रिया जारी है, अखबार, रेडियो, टीवी, नुक्कड़ नाटक, पत्र- पत्रिकाओं, विज्ञापन आदि के माध्यम से साक्षरता को बढाने की कोशिश की गयी है | जानकार मानते है की भारत में हेल्थ कम्युनिकेशन की स्वास्थय सुधार में अहम् भूमिका रही है | भारत से पोलियो के उन्मूलन की सफलता हासिल करने में हेल्थ कम्युनिकेशन का प्रयास प्रशंसनीय रहा है | स्वास्थय संचार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के सुधार में देश के लोगों के जीवन को ख़ासा प्रभावित किया है | आज सरकार अपनी तरफ से स्वास्थय संचार को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है और इस डिजिटल युग में मोबाइल संदेशों, ब्लॉग्स, सोशल नैटवर्किंग वैबसाइट्स आदि नवीनतम विधियों से लोगों तक स्वस्थ्य सम्बन्धी जानकारी दी जा रही है | 
भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी स्वास्थ्य बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा अन्य स्वास्थय सम्बन्धी जानकारीयों को नागरिकों तक प्रसार करना बहुत ही महतवपूर्ण है ताकि देश के नागरिक सरकार की इन सुविधाओं का लाभ ले सके | आजादी के बाद से मलेरिया, टीबी, कुष्ठ रोग, उच्च मातृ एवं शिशु मृत्यु दर और  मानव इम्यूनो वायरस (एचआईवी) के प्रति लोगो को जानकारी देने की सरकार की कोशिश सराहनीय रही है लेकिन ताजे आकड़ों के अनुसार आज भी मातृ एवं शिशु मृत्यु दर, एचआईवी  महामारी, स्वाइन फ्लू और अन्य संक्रामक रोग भारत की स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी तनाव बनाये हुए है | अभी हाल ही में “सेव द चिल्ड्रेन” 2015 की रिपोर्ट से सामने आये तथ्य ने भारत की स्थिति अच्छी नहीं है | भारत 170 देशों की सूची में 140 वें स्थान पर है |
देश में लगातार प्रसारित हो रही मजबूत चेतावनियों के बावजूद भारत की  2012 में 123 की रैंकिंग में गिरावट आयी है | इस रिपोर्ट ने साफ़ कर दिया है की स्वास्थ्य के प्रति भारतीय नागरिक कितने बेपरवाह है | अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण परियोजना की रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू नियंत्रण पर वैश्विक संधि के होने के बावजूद  और  कई तंबाकू और धूम्रपान विरोधी कानून होने के बाद भी, देश लोगों को नशे की लत और ख़राब स्वास्थ्य की चपेट में आने से रोक पाने में विफल हो रहा है |  हालांकि  सरकार कई पुनर्वासन संस्थान भी चला रही है, लेकिन सुचारू स्वास्थय संचार न होने के कारण सरकार लोगों को तम्बाकू सेवन के प्रति रोकने में सक्षम नहीं हो पा रही है | बरहाल सरकार ने तम्बाकू, सिगरेट के सार्वजनिक स्थानों पर विज्ञापन करने पर रोक लगा रखी है और नाबालिगों को इन उत्पादों की बिक्री भी प्रतिबंधित कर रखी है | दुनिया भर के कई देशों की तुलना में, भारत  2003 के बाद से तंबाकू नियंत्रण कानून को प्रस्तुत करने में सक्रिय हुआ है | लेकिन भारत दुनिया का सबसे कमजोर तंबाकू चेतावनी शासनों में से एक माना जाता है | अन्य दूसरी जानलेवा बिमारियों जैसे स्वाइन फ्लू या इबोला के बारे में भी सुचारू हेल्थ कम्युनिकेशन करना बहुत आवश्यक है | 
आकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ी है | इसलिए देश के ग्रामीण तथा शहरी दोनों ही नागरिकों को स्वस्थ्य जीवन और आवश्यक पोषण के प्रति जानकारी देना जरूरी है | सरकार हेल्थ कम्युनिकेशन के द्वारा समाज को स्वास्थय के प्रति सूचना और ज्ञान उपलब्ध कराने के साथ-साथ सामूहिक रूप से स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए भी महतवपूर्ण है | नागरिकों को अपने स्वास्थय के प्रति सचेत रहने के लिए सही पोषण, साफ़ पेयजल, आस पास साफ-सफाई रखना तथा अन्य सामाजिक निर्धारकों को भी समझना ज़रूरी है | भारत की बढती जनसंख्या ने साफ़ कर दिया है देश को स्वास्थय संचार द्वारा जनसंख्या स्थिरीकरण, लिंग भेद की मानसिकता के प्रति उनकी सोच बदलना बहुत आवश्यक है | बरहाल भारत सरकार के स्वास्थय संचार ने बेशक देश के नागरिकों को जागरूक किया है लेकिन लोगों का रोगों के प्रति लापरवाह रेवैये के कारण भारत सरकार के सामने स्वास्थ्य प्रणालियों से सम्बंधित चुनौतियां कम नहीं है| इसलिए हेल्थ कम्युनिकेशन को एक नियोजित ढांचागत व्यवस्था का रूप देकर नागरिकों तक स्वास्थय सम्बन्धी सन्देश को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करना जरूरी है | जैसा अन्य विकासशील देश कर रहे है, ताकि देश का प्रत्येक नागरिक अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो सके |
















Saturday, July 25, 2015

स्मार्टफ़ोन दे रहे ई-कॉमर्स को रफ़्तार

वैश्वीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी की प्रगति से चली डिजिटल क्रांति की बयार में भारत का डिजिटल कॉमर्स भी तेजी से विकसित हो रहा है | ये प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किये गए डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूती देगा | पिछले दो दशकों में इंटरनेट और मोबाइल फोन की क्रांति ने देश में डिजिटल कॉमर्स के लिए दरवाज़े खोल दिए है | ई-कॉमर्स ने दुनिया भर में अपनी मजबूत स्थिति बना ली है और हाल के वर्षों में भारत में भी इसका तेज़ी से प्रसार हुआ है |  भारत के इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन और इंटरनेट मोबाइल रिसर्च ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में भारत में ई-कामर्स क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है | इस रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2014 के अंत में भारतीय डिजिटल कॉमर्स बाज़ार में 53% की दर से वृद्धि, 81,525 करोड़ रूपए पर दर्ज की गई और अनुमान लगाया गया की 2015 के अंत तक 33% की दर से वृद्धि होगी जो लगभग एक लाख करोड़ रुपए के आकड़ें को पार कर जायेगा |  वर्तमान में भारत चीन के ई-कॉमर्स बाज़ार से काफी पीछे है लेकिन जिस तेज़ी से भारत में डिजिटल कॉमर्स विकसित हो रहा है ऐसा प्रतीत होता है भारत में डिजिटल कॉमर्स का भविष्य सुनेहरा है |
भारत में तेजी से बढ़ रहे स्मार्ट फ़ोन उपभोगताओं ने डिजिटल कॉमर्स कंपनियों को अपना बाज़ार फ़ैलाने की राह दे दी है | नेटवर्किंग समाधान की दिग्गज कंपनी सिस्को की रिपोर्ट बताती है की आज भारत, विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार बन गया है |  और आने वाले चार साल में स्मार्ट फ़ोन उपभोगताओं की संख्या में कई गुना वृद्धि होने की उम्मीद की गयी है | साथ ही भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला इंटरनेट बाजार भी बन गया है | अमेरिका के फर्म विजुअल नेटवर्किंग इंडेक्स के वैश्विक मोबाइल डेटा यातायात पूर्वानुमान के अनुसार  भारत में 2019 तक 18 लाख से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे | भारत में बढ़ते स्मार्टफ़ोन और टेबलेट उपभोक्ताओं ने, ई-कॉमर्स बाज़ार के विकास में विशेष योगदान दिया है | 2013 में, केवल 10% मोबाइल उपयोगकर्ता स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल करते थे और केवल 5% लोग मोबाइल का प्रयोग लेन-देन करने के लिए करते थे | भारत में 2014 में लगभग 41% लोगों ने ई-कॉमर्स के लिए मोबाइल फ़ोन का प्रयोग किया | आज स्मार्टफ़ोन, टेबलेट तेजी से डिजिटल कॉमर्स के लिए पीसी की जगह ले रहा है | स्नैपडील पर लगभग 75% आर्डर और फ्लिपकार्ट पर लगभग 70% आर्डर मोबाइल के माध्यम से किया जा रहा है | विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनिया मोबाइल पर उनके एप्लीकेशन डाउनलोड करके उससे खरीदारी करने पर छूट दे रही है |
घर बैठे मोबाइल रिचार्ज करना हो या यात्रा के लिए टिकेट बुक करना, दूर बैठे किसी अपने को गिफ्ट देना हो या मूवी टिकेट बुक करना आज डिजिटल कॉमर्स ने ज़िन्दगी बहुत आसान कर दी है | घंटों कतार में खड़े होकर टिकेट बुक करने की तकलीफ से छुटकारा दिलाया है | आज एक क्लिक पर कहीं से भी कुछ भी मंगाया जा सकता है | अगर आप पढने के बहुत शौक़ीन है तो घर बैठे बस एक क्लिक पर अपनी पसंदीदा किताब माँगा सकते है | पहले घंटों एक दूकान से दुसरे दूकान पर जाकर देखना पड़ता था की कहाँ क्या अच्छा और सबसे सस्ता मिल रहा है पर आज एक क्लिक करके सारी जानकारी हासिल की जा सकती है  | ई-कॉमर्स एक डिजिटल बाज़ार का जाल है जो अपने अंतर्गत बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध कराता है, इस कारण लोग इसकी तरफ आकर्षित हुए है | डिजिटल कॉमर्स के अंतर्गत बढ़ता ऑनलाइन बाजार ट्रेवल्स, टिकेट बुकिंग सेवा, होटल आरक्षण, वैवाहिक सेवा, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, फैशन से सम्बंधित सामान या कोई अन्य सामान या सेवा, ग्राहकों को सब आसानी से उपलब्ध करा रहा है | जस्ट डायल नामक डिजिटल कंपनी लोगों को घर बैठे हर तरह की जानकारी उपलब्ध कराता है, अगर आप नए शहर में है तो आपको इससे आसानी से पता चल जायेगा कहाँ क्या उपलब्ध होगा | आज की भागती दौड़ती ज़िन्दगी को डिजिटल कॉमर्स आसान कर रही है | भारत में बहुत सारी ई-कॉमर्स कंपनीयों जैसे फ्लिपकार्ट, स्नैपडीलपेटीएम्, कुइककर, इनमोबी, बुक माय शो, ओलाकैब, मेय्न्त्रा, जबोंग, ओएलएक्स, अमेज़न आदि ने लोगों को प्रभावित किया और ये करोड़ों रूपए कमाने में कामयाब भी हुए है | ई-कॉमर्स की डिलवरी पर नकदी की सुविधा भारत के लोगों की सबसे पसंदीदा भुगतान विधि है, इस कारण भारत में लगभग 75% लोग ऐसे ही भुगतान करते है | वर्तमान में ई-कॉमर्स कंपनियां भारत में मैन्यूफैक्चरिंग की वास्तविक लागत से भी कम कीमत पर वस्तुओं की बिक्री कर रही हैं, लोगों का डिजिटल कॉमर्स के प्रति बढ़ते उत्साह का ये भी एक महतवपूर्ण कारण हो सकता है |  
हाल के वर्षों में संचार और व्यापार की दुनिया में हुए उल्लेखनीय परिवर्तन से हुए डिजिटल कॉमर्स का विकास भारत के लिए काफी अनोखा है। भारत में बड़े पैमाने पर मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्ट फोन के प्रवेश से, तेजी से फैल रहा ई-कॉमर्स इस डिजिटल दुनिया में अत्याधुनिकता की सफलता का प्रतिनिधित्व कर रहा है | विश्व बैंक के अनुसार 2017 तक भारत की जीडीपी में 8 फीसदी की दर से विकास होगा | और इससे आगे आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार होगा और विश्व बाजार में भारत प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा । भारत में तेजी से विकास की ओर अग्रसर ई-कॉमर्स भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है | आज भारत में बड़ी कंपनी हो या छोटी दुकानें सभी डिजिटल कॉमर्स की दुनिया में कदम रख रहे है ताकि अपना ग्लोबल बाज़ार बना सके | आज स्मार्टफ़ोन और टेबलेट ने डिजिटल कॉमर्स की राह भारत में  आसान कर दी है | ये डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने नयी दिशा और भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा |







Wednesday, July 22, 2015

कुछ यूँ ही ...




  

ज़िन्दगी तेरी नौकरी ने ऐसा थकाया ..

जैसे बंधुवा मजदूर हो बनाया ..

तूने गुलामी के फंदों में ऐसे जकरा ..

ये रूह, आत्मा थकी थकी लगने लगी   ..

तेरी बंदिशों में घुटन सी महसूस होती है ...

हर फैसले लेती तू  ..

हम सोचते कुछ और कहीं और मोड़ देती तू ..

तेरी मर्ज़ी पर चले जा रहे है ..

अपने अस्तित्व की तलाश में ..

तेरी राहों में खो गए इतना...

भूल गए अभी बाकी बहुत काम है  ...

करनी खुद की पहचान है ...

तलाशना एक मुकाम है ...

करनी है तुझसे दोस्ती इतनी गहरी ...

की तेरे दिए ज़ख्म भी मुस्कुराए ...

और हम फिर हंसकर  ...

ज़िन्दगी के शतरंज का खेल खेल जाए ..


विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व

 https://pratipakshsamvad.com/women-dominate-the-science-technology-engineering-and-mathematics-stem-areas/  (अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस)  डॉ ...