दुनिया की नवीनतम संस्कृति में शुमार हो चुकी
नैनो तकनीकी विश्व की अद्भुत तकनीकी के रूप में उभरी है | आज हमारी दुनिया नैनो
तकनीकी के इर्द गिर्द घूम रही है | कंप्यूटर से लैपटॉप और लैपटॉप से स्मार्ट फ़ोन
की नैनो तकनिकी से हम सभी परिचित है | स्मार्ट फोन तो नैनो तकनीकी का सबसे उत्तम
रूप है, जिसमें अनेकों सुविधाएं उपलब्ध है | पुराने ज़माने के लकड़ी के बक्सेनुमा
कैमरे की जगह आज छोटे डिजिटल मोबाइल कैमरे हमारे जीवन का हिस्सा बन गए है | मीडिया
के तो सभी क्षेत्र नैनो तकनीकी से प्रभावित है | बरहाल जहां मीडिया का क्षेत्र
पूरी तरह नैनो तकनीकी से प्रभावित हो चुका है | वही चिकित्सा में भी नैनो तकनीकी
से गंभीर रोगों का निदान किया जा सकता हैं | चिकित्सकों का मानना है की नैनो सेंसर
के द्वारा बीमारी की जांच करना बहुत ही सरल हो रहा है और ये निश्चित रूप से
चिकित्सा उपचार को आसान और सस्ता कर रही है | मेडिकल में नैनो तकनीकी तो बड़े
पैमाने पर आनुवंशिक चिकित्सा देने तथा स्वास्थ्य सुधार करने में भी सक्षम है | नैनो
तकनीक से हमारे शरीर के अन्दर उपस्थित ब्लड सैल में कोई भी छोटी चिप ट्रान्सफर की
जा सकती है, जो
कैंसर जैसी बीमारियों से निपटने में भी कारगर है। चाहे साइंटिफिक हो या इंजीनियरिंग
नैनो तकनीकी का असर सभी क्षेत्रों में है | यहाँ तक की सिनेमा जगत पर भी नैनो
तकनीकी का असर देखा जा रहा है | पुराने ज़माने की तीन से चार घंटे की लम्बी फिल्मों
की तुलना में आज की फिल्मे छोटी हो गयी है | नैनो तकनीकी ने नैनो कल्चर को जनम दे
दिया है जिसने कहीं ना कहीं हमारे भाषा पर भी असर डाला है | मोबाइल सन्देश आदान
प्रदान की कला ने हमें बड़े बड़े वाक्यों को कम शब्दों में तथा शब्दों को भी उनके
संकुचित रूप में बयान करने का चलन तो अब आम
हो चुका है | नैनो तकनीकी एक ऐसी तकनीकी है जो वर्तमान समय की भारी भरकम तकनीक से
आगे बढ़कर हल्के रूप में विज्ञान के हर अविष्कार को नियंत्रित कर रही है |
वैज्ञानिकों का मानना है की आगे आने वाले समय में नैनो तकनीक विश्व का भाग्य
विधाता होगा। यह सच भी है, क्योंकि बड़ी से बड़ी चीजों को समेटकर एक छोटी एवं शक्तिशाली तकनीकी
की डिवाइस विज्ञान के हर प्रयोग और आविष्कार को सम्भव बना रही है। यह तकनीकी आगामी
दिनों में विकास की नयी परिभाषा लिखेगी जिसके बिना आम आदमी के जीवन का विकास संभव
नहीं होगा ।
Dr Pallavi Mishra is working as an Associate Professor. NET/JRF qualified.Founder of PAcademi.com
- Dr Pallavi Mishra
- This is Dr Pallavi Mishra, working as an Associate Professor
Monday, December 8, 2014
Monday, July 7, 2014
ऐसा देश है मेरा.....http://roobaruduniya.com/?p=1331
मंजुल है तस्वीर यहाँ की
पुण्य भूमि, पुण्य आत्मा
एक आँचल के फूल हैं हम,
एक उपवन के सुमन
भिन्न है बोली, भिन्न है भाषा
भिन्न हैं रीति रिवाज़
बे नज़ीर हैं हर रंग
भिन्न परम्पराएं रहती हैं संग
एक डोर से बंधी है भारत की संस्कृति
भावनात्मक एकता की है प्रकृति
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
हर ओर दीखते रूप नए, नए हैं ढंग
विशिष्ट तस्वीर करती विभक्त
पर होता है एक ही आत्मा से मिलन
झूमती धरती, गाता आकाश
नृत्य है यहाँ के इतने ख़ास
वो कथक का है रूप अनोखा
भरतनाट्यम कुचिपुड़ी, गरबा, घुम्मर
भांगरा का मिलन है चोखा
सदियों से फैला है यहाँ संगीत का इतिहास
मुग्ध मोहित कर देती शास्त्रीय संगीत की मिठास
लोक गीत, भजन, गजल, कवाल्ली,
फिल्मी गाने, रीमिक्स गीत, फ्यूजन
है यहाँ की संस्कृति की शान
वो दिवाली की रौनक, होली के रंग,
ईद-उल-फ़ित्र, पोंगल, रक्षाबंधन, ओणम
हर त्यौहार में है ख़ास उमंग
लफ़्ज़ों में ना होगी बयान
इस भारत संस्कृति की दास्तान
मेरे देश की संस्कृति महान
रहेंगे सदा इसके निशाँ………!!
- पल्लवी मिश्रा
शोधार्थी, गीतकार, फ्रीलांसर
Monday, June 23, 2014
जीने दो अब मुझे
नगर में संचालित एक बंद के सदस्यों द्वारा अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस
पर गीतों द्वारा सामाजिक मुद्दों को उठाकर जनता को जागरूक किया जा रहा है | वर्तमान
बैंड के सदस्य अंकित जैसवाल, पल्लवी मिश्रा और मयंक तिवारी इसी दिशा में कार्य कर
रहे है | अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इनकी टीम ने कन्या भ्रूण हत्या जैसे संवेदनशील
मुद्दे पर एक खूबसूरत गीत
बनाया जिसका शीर्षक है “जीने दो अब मुझे”, जो समाज में हो रहे कन्या भ्रूण हत्या
के मामले पर सोचने को विवश करता है | इससे पूर्व भी इनकी टीम ने “ज़िन्दगी कुछ खफा
हो गयी” गीत बनाया है जिसके द्वारा बलात्कार से होने वाले दर्द की दास्ता बयान
करने की कोशिश की गयी है | इनकी टीम द्वारा बनाये गए ये गीत “ज़िन्दगी कुछ खफा हो
गयी”, “जीने दो अब मुझे” दिल को छू जाते है और सोचने पर विवश कर
देते है | इन गीतों को अपनी खूबसूरत आवाज़ देने वाले अंकित जैसवाल ने बताया की गाने
हमेशा दिल को छू जाते है इस कारण हम गीतों के ज़रिये अपनी बातों को लोगों तक
पहुचाने की कोशिश करते है | वही गीत लेखिका पल्लवी मिश्रा कहती है की हम युवा ही
देश का भविष्य है इस कारण हम लोगों को अपने गीतों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर
जागरूक करने का प्रसास कर रहे है | संगीतकार मयंक तिवारी ने बताया की हम सोशल
मीडिया पर भी अपने गीतों के माध्यम से लोगों से जुड़ कर उनको प्रभावित करने कोशिश
कर रहे है | इनकी ये मुहीम काबिले तारीफ़ है जहां ये लोगों को अपने गीतों द्वारा भावविभोर कर, इन सामाजिक मुद्दों पर
सोचने पर विवश कर रहे है |
Saturday, May 31, 2014
नैनो तकनीकी में सिमटती दुनिया
दुनिया की नवीनतम संस्कृति में शुमार हो चुकी
नैनो तकनीकी विश्व की अद्भुत तकनीकी के रूप में उभरी है | आज हमारी दुनिया नैनो
तकनीकी के इर्द गिर्द घूम रही है | कंप्यूटर से लैपटॉप और लैपटॉप से स्मार्ट फ़ोन
की नैनो तकनिकी से हम सभी परिचित है | स्मार्ट फोन तो नैनो तकनीकी का सबसे उत्तम
रूप है, जिसमें अनेकों सुविधाएं उपलब्ध है | पुराने ज़माने के लकड़ी के बक्सेनुमा
कैमरे की जगह आज छोटे डिजिटल मोबाइल कैमरे हमारे जीवन का हिस्सा बन गए है | मीडिया
के तो सभी क्षेत्र नैनो तकनीकी से प्रभावित है | बरहाल जहां मीडिया का क्षेत्र
पूरी तरह नैनो तकनीकी से प्रभावित हो चुका है | वही चिकित्सा में भी नैनो तकनीकी
से गंभीर रोगों का निदान किया जा सकता हैं | चिकित्सकों का मानना है की नैनो सेंसर
के द्वारा बीमारी की जांच करना बहुत ही सरल हो रहा है और ये निश्चित रूप से
चिकित्सा उपचार को आसान और सस्ता कर रही है | मेडिकल में नैनो तकनीकी तो बड़े
पैमाने पर आनुवंशिक चिकित्सा देने तथा स्वास्थ्य सुधार करने में भी सक्षम है | नैनो
तकनीक से हमारे शरीर के अन्दर उपस्थित ब्लड सैल में कोई भी छोटी चिप ट्रान्सफर की
जा सकती है, जो
कैंसर जैसी बीमारियों से निपटने में भी कारगर है। चाहे साइंटिफिक हो या इंजीनियरिंग
नैनो तकनीकी का असर सभी क्षेत्रों में है | यहाँ तक की सिनेमा जगत पर भी नैनो
तकनीकी का असर देखा जा रहा है | पुराने ज़माने की तीन से चार घंटे की लम्बी फिल्मों
की तुलना में आज की फिल्मे छोटी हो गयी है | नैनो तकनीकी ने नैनो कल्चर को जनम दे
दिया है जिसने कहीं ना कहीं हमारे भाषा पर भी असर डाला है | मोबाइल सन्देश आदान
प्रदान की कला ने हमें बड़े बड़े वाक्यों को कम शब्दों में तथा शब्दों को भी उनके
संकुचित रूप में बयान करने का चलन तो अब आम
हो चुका है | नैनो तकनीकी एक ऐसी तकनीकी है जो वर्तमान समय की भारी भरकम तकनीक से
आगे बढ़कर हल्के रूप में विज्ञान के हर अविष्कार को नियंत्रित कर रही है |
वैज्ञानिकों का मानना है की आगे आने वाले समय में नैनो तकनीक विश्व का भाग्य
विधाता होगा। यह सच भी है, क्योंकि बड़ी से बड़ी चीजों को समेटकर एक छोटी एवं शक्तिशाली तकनीकी
की डिवाइस विज्ञान के हर प्रयोग और आविष्कार को सम्भव बना रही है। यह तकनीकी आगामी
दिनों में विकास की नयी परिभाषा लिखेगी जिसके बिना आम आदमी के जीवन का विकास संभव
नहीं होगा ।
Thursday, May 15, 2014
सत्ता को लेकर सटटा
सत्ता को लेकर सटटा
बढ़ते पारे के साथ चुनाव परिणाम में भी गर्मी बढती जा रही है | जहां एक ओर हर एक न्यूज़ चैनल एग्जिट पोल पर लगातार चर्चा कर रहा है वही दूसरी ओर सट्टा बाजार में भी चुनाव परिणाम को लेकर माहौल बहुत गरम होता जा रहा है | अभी आईपीएल का नशा सट्टा कारोबार पर चढ़ा ही था की सट्टे बाज़ार में चुनाव नतीजों को लेकर भी हलचलें बढ़ गयीं हैं। हालाकि चुनाव परिणाम आने का काउंटडाउन शुरू हो चूका है और आईपीएल अभी चल ही रहा है इसलिए खिलाड़ी आईपीएल पर ज्यादा भाव लगा रहे हैं। बरहाल चुनाव नतीजों को लेकर सट्टा बाज़ार में काफी जोश दिख रहा है । इस समय सट्टे बाज़ार में कांग्रेस या बीजेपी किसकी सरकार बनेगी ये सट्टे का अहम् विषय है | हालाकि सटोरी इस चुनाव में भाजपा का जीतना तय मान रहे है और ऐसे में सबसे ज्यादा सट्टे का खेल इस बात पर लगा है कि किसको कितनी सीटें मिलेंगी | केवल इस मुद्दे पर करीब डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये का सट्टा लगाया जा रहा है | सट्टेबाजों का मानना है की इस बार मोदी की लहर है इसलिए भाजपा की जीत पर ही सट्टा लगाना समझदारी होगी । ऐसे में सट्टा बाजार आम चुनाव में भाजपा को ही बड़ा दल मानकर चल रहा है। साथ ही जनपद की तीनों सीटों से भी भाजपा की जीत की उम्मीद जताई जा रही है | यही वजह है कि सट्टा बाजार में भाजपा प्रत्याशियों की जीत का भाव मात्र आठ पैसे से अधिक नहीं है | जहां एक ओर भारत के चुनाव नतीजों का बेसब्री से इंतज़ार कर रही दुनिया और देश की जनता सभी के चर्चा का विषय “इस बार किसकी सरकार” इसी मुद्दे के इर्द गिर्द घूम रही है वही सट्टेबाज़ भी इस चुनाव परिणाम से अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की जुगत में लगे हुए है | मतगणना को लेकर प्रशासनिक तैयारियां चरम सीमा पर है और सट्टे कारोबार में भी रौनक बढती जा रही है | सटोरियों का मानना है कि इस बार भाजपा को 250 से अधिक सीटें मिलेंगी और कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी पार करने की स्थिति में नहीं हैं | उसे विपक्ष में बैठने के लिए भी अलायंस का सहारा लेना पड़ेगा | लोकसभा चुनाव के नतीजे भले ही 16 मई को घोषित होंगे पर सट्टा बाजार ने एक फैसला पहले ही सुना दिया है | प्रदेश के सटोरियों के मुताबिक नरेंद्र मोदी ही देश के अगले पीएम होंगे | वहीं राहुल गांधी को इस पद के लिए सटोरियों ने भी सिरे से खारिज कर दिया गया है | यहां तक कि सटोरियों ने अब राहुल के नाम पर बोली लगाना भी बंद कर दिया है |
Sunday, May 4, 2014
क्या संभव है ऑनलाइन वोटिंग
अपने देश में मतदान की प्रक्रिया जारी है और इस बार मतदाताओं में भी जोश
दिख रहा है | पिछली बार की तुलना में इस बार सभी जगह पर वोट देने वाले मतदाताओं के प्रतिशत
में बढ़त दिखाई दे रही है | लेकिन प्रवासी भारतीयों को अपने मताधिकार का प्रयोग
करने के लिए एक ही विकल्प है, भारत आकर अपने मताधिकार का प्रयोग करना | भारत में ऑनलाइन
वोटिंग की सुविधा अभी उपलब्ध नहीं है| ऑनलाइन वोटिंग नई संभावनाओं को खोलता है और
मतदान प्रक्रिया के लिए एक अनूठा अनुभव देता है | ऑनलाइन मतदान, मतदाता को भौगोलिक सीमा से परे मतदान
करने की सुविधा उपलब्ध कराता है | ई–वोटिंग
इलेक्ट्रॉनिक वोट कास्टिंग में सहायक है | इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में मूल रूप से
ऑप्टिकल स्कैन मतदान प्रणाली, पंच कार्ड या विशेष मतदान कियोस्क का प्रयोग होता है | इसमें टेलीफोन के जरिये,
निजी कंप्यूटर नेटवर्क या इन्टरनेट के द्वारा भी वोटिंग किया जा सकता है | इंटरनेट वोटिंग सिस्टम आज कई देशों में
लोकप्रियता हासिल कर चुका है | यूनाइटेड किंगडम, एस्टोनिया स्विट्जरलैंड के चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम
को शामिल किया गया | साथ ही कनाडा में नगर निगम के चुनावों और संयुक्त राज्य
अमेरिका और फ्रांस में पार्टी के प्राथमिक चुनावों में भी ई- वोटिंग प्रक्रिया का
इस्तेमाल किया गया | बरहाल वर्तमान में, प्रवासी भारतीय केवल अपने निर्वाचन क्षेत्रों
में ही मतदान कर सकते हैं | भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव में ई-वोटिंग की व्यवस्था अभी नहीं है जिस कारण
भारतीय प्रवासी जो विदेश में है उन्हें भारत आकर ही अपने मताधिकार का प्रयोग करना
होगा | भारत में अभी इन्टरनेट वोटिंग की संभावना प्रतीत नहीं हो रही है | ऐसा माना
जा रहा है की मतदान को उच्च
तकनीकी से करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को असुरक्षित कर सकता है | लेकिन चुनाव आयोग इस मुद्दे पर विचार कर रहा है
और ऐसी संभावना की तलाश कर रहा है जिसके द्वारा भविष्य में आने वाले चुनावों में प्रवासी भारतीयों को विदेश में इन्टरनेट
के माध्यम से आम चुनावों में मतदान करने का मौका मिल सके | चुनाव आयोग प्रवासी भारतीय
को विदेशों से अपने वोट कास्ट करने के विभिन्न विकल्पों की भी जांच कर रहा है |
चुनाव आयोग का दुनिया में कहीं भी रह रहे भारतीयों को उनका मताधिकार प्रदान करने
का ये विचार वाकई प्रशंशनीय है | लेकिन ऑनलाइन
वोटिंग में वोटिंग की प्रक्रिया इन्टरनेट द्वारा होती है इस कारण इसके सकारात्मक
तथा नकारात्मक दोनों ही पक्ष होंगे | तो
चुनाव आयोग के लिए ऐसी व्यवस्था लाना वाकई एक चुनौतीपूर्ण काम होगा | ऑनलाइन
वोटिंग व्यवस्था प्रवासी मतदाताओं को अपना मताधिकार प्रयोग करने में ज़रूर ही सहायक
हो सकती है | पर क्या भारत के चुनावों में सुरक्षित ऑनलाइन वोटिंग व्यवस्था संभव
हो पायेगी ये कहना अभी मुश्किल है | इसका उत्तर तो आने वाला वक़्त ही देगा |
Friday, April 18, 2014
बहुत कुछ कहता है आपका मतदान
http://inextepaper.jagran.com/259105/INEXT-LUCKNOW/18.04.14#page/4/1
बहुत कुछ कहता है आपका मतदान
बहुत कुछ कहता है आपका मतदान
कभी आपने सोचा है की अगर हमारा ये अंगूठा ना होता तो हमारा जीवन कैसा
होता | नहीं ना, लेकिन सच में अंगूठे का हमारी
ज़िन्दगी में बहुत अधिक महत्व है | आप को याद होगा कि अर्जुन की अलौकिक प्रतिष्ठा की सुरक्षा के लिए गुरूदेव द्रोणाचार्य
को अपने एकलव्य नामक शिष्य से गुरूदक्षिणा में मानसिक शक्ति का प्रेरक तथा इच्छा, विचार तीनों के प्रतीक अंगूठे को
मांगना पड़ा था | ये बात वास्तव में अंगूठे की हमारी ज़िन्दगी में महत्व
को दर्शाती है | हमारी ज़िन्दगी में इसकी
भूमिका काफी अहम् है, अनपढ़ इसका प्रयोग दस्खत करने के लिए तो पढ़े-लिखे कलम पकड़ के
अपनी पहचान बनाने के लिए करते है | तो आप चाहे पढ़े लिखे हो या ना हो, देश के भविष्य में आपके मत का महत्त्वपूर्ण
योगदान होगा | जिस तरह आपके हाथ की उँगलियों में अंगूठे सबसे ख़ास होता है जिसके
सहियोग के बिना आप अधिकतर कार्य नहीं कर सकते होंगे, शायद लिख भी ना सकते हो | उसी
तरह आपका वोट बहुत ख़ास है इसलिए अपना अनमोल वोट ज़रूर दें और देश के प्रति अपने
कर्त्तव्य को निभाएं | पहले लोग अंगूठे का प्रयोग ठेंगा दिखने के लिए करते थे तो
जो उम्मीदवार आपको बेहतर नही लगता है उसे ठेंगा दिखाए | और आज अंगूठे का चिन्ह फेसबुक
पर “लाईक” देने का काम कर रहा है तो जो प्रत्याशी सही लगता है उसे अपना वोट दे |
और हाँ अगर कोई भी प्रत्याशी सही नहीं लगता है तब भी अपने अधिकार का प्रयोग जरूर करें
और “नोटा” का बटन दबाये, पर वोट ज़रूर डाले क्योंकि वोट देना हमारी ज़िम्मेदारी है |
Sunday, April 13, 2014
मतदाताओं में दिख रहा जोश
मतदाताओं में दिख रहा जोश
सोलहवी लोकसभा चुनाव के मतदान का सिलसिला प्रारंभ हो चुका है | विभिन्न राज्यों में वोट डालने की प्रक्रिया
जारी है |
पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है, नौ चरण के मतदान की प्रक्रिया 16 मई को
मतगणना के साथ संपन्न हो जायेगी और उस दिन मालूम होगा कि कौन सी पार्टी केंद्र की
सत्ता पर काबिज होती है | बरहाल जहां देश के भविष्य के फैसले के लिए अभी इन्तेजार
करना होगा वही पिछले बार की तुलना में वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या में
वृद्धि, मतदाताओं के अपने कर्त्तव्य की ओर सकारात्मक सोच को दर्शाती दिखाई दे रही
है | देश में पहली बार 65 प्रतिशत मतदाता 35 साल से कम उम्र के है जो देश को नयी दिशा और दशा दे सकते है | बढे
हुए वोट प्रतिशत के आकड़ें इस बात का प्रमाण दे रहे है की भारत के लोग जाग चुके है
| ये माना जा रहा है की आज के मतदाता बहुत स्मार्ट हो चुके है और उन्हें पता है की
देश के भविष्य हमें ही को तय करना है | इसलिए बाद में पछताने से उत्तम है की अपने
अधिकार का प्रयोग करें | और देश के इस राष्ट्रीय पर्व को इमानदारी से मनाया जायेगा
तभी हम एक सुनहरे भविष्य की कामना कर सकते है | यही नहीं इस बार फ़िल्मी जगत के कई
बड़े सितारों ने भी अपने व्यस्त दिनचर्या से वक्त निकालकर अपना वोट डाला है | जिसने
उनके फैन को देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने सन्देश देने का काम किया है | आज
पूरी दुनिया की नज़रें हमारे देश के भविष्य पर टिकी हुई है | दुनिया ग्लोबल हो चुकी
है इस कारण इस लोकसभा चुनाव के नतीजे पर पूरी दुनिया नज़र गराए बैठी है, ऐसे में मतदाताओं
का जोश और पिछले चुनाव की तुलना में इस बार उनकी संख्या में वृद्धि, दुनिया के
समक्ष देश की अच्छी छवि बना रही है | लेकिन अभी भी जहां मतदान नहीं हुआ है वहां के
सभी मतदाताओं को अपना मत देने की कोशिश करनी चाहिए ताकि परिणाम एक के नहीं वरण सभी
के हित के अनुसार हो | महिला वोटरों में भी इस बार काफी उत्साह दिखाई दे रहा है |
शहर एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्र में महिला मतदाताओं की भी संख्या में वृद्धि
देखी जा रही है |
Saturday, April 5, 2014
pallavimedia.com: चुनावी सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट
pallavimedia.com: चुनावी सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट: चुनावी सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट सोशल मीडिया पे चुनाव का बुखार छाया हुआ है | फेसबुक पोस्ट हो, ट्विटर पर ट्वीट या ब्लॉग का अपडेट हर जग...
चुनावी सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट
सोशल मीडिया पे चुनाव का बुखार छाया हुआ है | फेसबुक पोस्ट हो, ट्विटर
पर ट्वीट या ब्लॉग
का अपडेट हर जगह चुनाव विज्ञापन की
बयार चल रही है | जहां एक ओर कांग्रेस का “हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की” के पोस्ट
अपडेट हो रहे है तो वहीं भाजपा के फेसबुक चुनाव विज्ञापन का स्लोगन “अबकी बार मोदी
सरकार” के पोस्ट लगातार शेयर किये जा रहे है | वही आम आदमी पार्टी का “झाड़ू चलाओं
बेईमानी भगाओ” का स्लोगन भी सोशल मीडिया की दुनिया में छाया हुआ है | और अब तो
सोशल मीडिया यूजर पर भी लोकसभा चुनाव के प्रचार का खुमार पूरी तरह छा गया है | लोगों
का फेसबुक ट्विटर अपडेट भी कांग्रेस, भाजपा या “आप” के इर्द गिर्द ही घूम रहा है |
भाजपा के स्लोगन पर तो नए-नए स्लोगन बनाकर स्टेटस अपडेट किया जा रहे है | जैसे “ना
रात को चैन है ना दिन को करार अबकी बार मोदी सरकार” या “दो एकं दो दो दुनी चार
अबकी बार मोदी सरकार” इस तरह के पोस्ट तो फेसबुक पर आम हो चले है | इस तरह जहां एक
ओर लोग पार्टियों के स्लोगन के साथ अपना सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट कर रहे है, वही
दूसरी ओर इस बार कौन सी सरकार बनेगी इस बात पर भी बहस छिड़ी हुई है | सोशल मीडिया
पर कई पोस्ट ऐसे भी है जो लोगों का ओपिनियन पोल मांग रहे है की “बताइए इस बार कौन
सी सरकार बनेगी”, इस तरह के स्टेटस भी लगातार शेयर किये जा रहे है | इस तरह सीजन
के फ्लेवर चुनाव के नशे में सोशल मीडिया यूजर पूरी तरह डूबे हुए है|
क्या “नोटा” लाएगा कोई नया बदलाव
क्या “नोटा” लाएगा कोई नया बदलाव
सोलहवी लोकसभा चुनाव से पूर्व कई बदलाव देखे जा
रहे है | इस बार जहां एक ओर दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक नयी पार्टी “आप” सियासत
के अखाड़े में आई वही आगामी चुनाव में 100 फीसदी मतदान सुनिश्चित करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राप्त हुए
“राईट टू रिजेक्ट” के अधिकार ने जनता को भ्रष्ट और अनैतिक चरित्र के उम्मीदवार को अस्वीकार
करने का अधिकार भी दिया | अब ये देखना है की मतदाताओं को चुनाव में उम्मीदवार को
नकारने का ये अधिकार कितना कारगर होता है | पिछले चुनावों में ये पाया गया है की
मतदाताओं के अनुसार नैतिक उमीदवार ना होने के कारण वो मतदान देने से परहेज़ करते
थे | पर इस बार चुनाव में उम्मीदवार ना समझ आने पर मताधिकार “नोटा” का बटन दबाकर
अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते है | जो मतदाता ये कहते थे की “सभी तो एक जैसे है
तो हमारे लिए किसी को भी चुनना मुश्किल है” ऐसे मतदाता क्या इस बार अपने अधिकार का
प्रयोग करेंगे ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा | फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र के
मतदाताओं को अभी इस अधिकार के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं है और यहाँ तक की शहर
में निवास कर रहे लोगों में भी इस अधिकार की जागरूकता कम है | वही निरक्षर मतदाता
जो सिर्फ चुनाव चिन्ह देखकर वोट देते है उन्हें भी अभी इस अधिकार की कोई ख़ास
जानकारी नहीं है | वैसे सरकार द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए ‘राईट टू
रिजेक्ट’ के अधिकार का विज्ञापन किया जा रहा है और ईवीएम मशीन पर उपलब्ध “नोटा” के
विकल्प के बारे में भी जानकारी दी जा रही है | और कई एनजीओ भी नोटा के बारे में
जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे है | बरहाल ये देखना है की कितने प्रतिशत लोग बैलट मशीन में नोटा यानी 'इनमें से कोई नहीं' का बटन दबाकर अपने मताधिकार का प्रयोग
करते है | लेकिन “नोटा” वाकई कोई नया बदलाव लाने में कितना सक्षम होगा ये तो चुनाव
के बाद ही पता चलेगा |
Friday, April 4, 2014
मेरा वोट ही मेरी आवाज़ है
देश का सबसे बड़ा
उत्सव आया
चुनाव का मौसम लाया
ईद, दिवाली, होली
तो मनाते है हर साल
चुनाव जो है देश का
सबसे बड़ा पर्व
आता है पांच साल में
एक बार
हर ओर गूंज रहा
चुनाव का साज़ है
कहीं भाषण में, कहीं
विज्ञापन में
हर ओर चुनाव का ही
राग है
अब देश की जानता को
देना अपना जवाब है
और उसका वोट ही उसकी
आवाज़ है
तो इस उत्सव में तभी
जमेगा रंग
जब हर नागरिक का होगा
संग
देश के हर व्यसक का
है ये अधिकार
तो देकर अपना वोट
मनाये ये त्यौहार ...
Thursday, March 27, 2014
सियासत का ऑनलाइन कैंपेन संग्राम
सोलहवी लोकसभा चुनाव का संग्राम अब ऑनलाइन
भी शुरू हो गया है | चुनाव के इस मौसम में जीत हासिल करने के लिए राजनितिक
पार्टियां ऑनलाइन कैंपेन से भी वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती| भारत
में तेजी से बढ़ते इन्टरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या ने राजनितिक पार्टियों को
मतदाताओं से सीधे संपर्क स्थापित करने का अवसर प्रदान किया है | आज देश में 65
फीसदी वोटर 35 साल से कम उम्र के हैं। ऐसा पहली बार होगा की मतदान करने वाले
मतदाताओं की संख्या इस चुनाव में बड़ी होगी । फेसबुक, ट्विटर जैसी साइटों के अलावा
गूगल ऑपरेटेड तमाम और वेबसाइटों पर भी पार्टी के संदेश लगातार अपडेट किये जा रहे
हैं। लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ईमेल कैंपेन आज एक आम टूल बन गया है जिसके
तहत यूजर्स के इनबॉक्स में भी सन्देश भेजे जा रहे है । सभी पार्टियां सियासी बिसात
पर अपना सिक्का ज़माने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। बीजेपी ने 15 सदस्यों का
एक आईटी सेल बनाया है। ये सदस्य 24 घंटे पार्टी की वेबसाइट और सोशल नेटवर्किंग
साइट्स को अपडेट करने का काम कर रहे हैं जहां लगातार पार्टी की ई- कैम्पेनिंग की
जा रही है | पार्टी की तकरीबन 150 वेबसाइट्स इन दिनों एक्टिव हैं। वही कांग्रेस भी
अपनी पार्टी को युवाओं से जोड़ने के लिए अलग अलग सोशल नेटवर्किंग साइट्स का सहारा
ले रही है । और कांग्रेस तो अपने कैंपेन के लिए एसएमएस को भी तरजीह दे रहा है | आम
आदमी पार्टी भी स्वयं को दोनों पुरानी पार्टियों से बेहतर साबित करने के लिए
ऑनलाइन कैंपेन करने में कोई असर नहीं छोड़ना चाहती | भारत में 15 करोड़ इन्टरनेट उपभोक्ता है और चुनाव आयोग के आकड़ों के अनुसार करीब 78
करोड़ मतदाता है | युवाओं और मध्यम आयु वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचने
के लिए फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर ऑनलाइन कैंपेन
प्रोग्राम तैयार किया गया है | इससे सीधे इस वर्ग को प्रभावित करने के लिए सम्पर्क
स्थापित किया जा रहा है | राजनितिक पार्टियां ई-कम्यूनिकेशन के लिए पी2पी (पाटी टू
पार्टी) पी2वी (पार्टी टू वोटर्स) और पी2एफ (पार्टी टू फ्रेंड्स) की रणनीति पर भी विचार
कर रही हैं। इंटरनेट एंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक,
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स देश की 543 लोकसभा सीटों में से 160 पर
असर डाल सकती हैं। नेताओं ने अपनी पार्टी के ई-कैंपेन के लिए तो सोशल मीडिया
विशेषज्ञों से भी मदद लेनी शुरू कर दी है | फेसबुक और ट्विटर यूजर्स देश में नए
वोटबैंक के रूप में सामने आए हैं और अब राजनेताओं को भी इस बात का एहसास हो गया है
|
Sunday, March 23, 2014
यौन हिंसा
सूनसान हूँ मैं
कितनी
डरावनी, भयानक, काली
मालूम हुआ आज
क्यों कहते है मुझे
रात
बस अँधेरे के हूँ
मैं साथ
अक्सर गुनगुनाती
हवाएं
भी आज उदास है
उन्हें भी यौन हिंसा
कि
पीड़ा का हुआ, एहसास
है
मेरा अन्धकार बेबस
लाचार
थरथरा उठा देख यौन
हिंसा का अत्याचार
संवेदनहीनता के
कुरूप चेहरे से
ये ज़मीन, ये आसमान
अशांत है
रोने लगी हर आरज़ू,
हर आरमान है
मन में उठता एक ही
सवाल है
क्यों मानव ने हैवानियत
का नकाब ओढ लिया
क्यों मानव बन गए है
दानव
यौन हिंसा के दर्द
से
कभी मासूम कुमारी
हुई मजबूर
कभी नादान बच्चे का कोमल
हृदय हुआ चूर
ये क्षणिक कुकृत्य
कर देता है जीवन को विकृत्य
भोग तृष्णा की अंधी
अभिलाषा से
टूटी ना जाने कितनी
खूबसूरत तस्वीर
दो पल की अशिष्टता
ने
रुसवा की है ज़िन्दगी
बिन भूल मिली
शर्मिंदगी
दिया शारीरिक एवं
मानसिक ज़ख्म
जिसकी
टीस से है पलके नम
मैं रात, भयभीत हूँ
देखकर ये घिनोनी
तस्वीर
सोचती हूँ
क्या, मानवता नहीं
होती भयभीत सोचकर इसकी तासीर
ऐ खुदा तू क्यों रूठ
गया
कि इंसानों का
इंसानियत से नाता ही
टूट गया....
Saturday, March 8, 2014
“जीने
दो” गीत का विमोचन
अन्तराष्ट्रीय महिला
दिवस पर “जीने दो” गीत का विमोचन प्रोफेसर निशि पाण्डेय, डॉ. मुकुल श्रीवास्तव
एवं सुश्री अर्शाना अजमत द्वारा किया गया | गीत के बोल पल्लवी मिश्रा
द्वारा लिखा गया है जिसको अंकित जैसवाल ने अपनी खूबसूरत आवाज़ दी है और मयंक
तिवारी ने अपने मनोरम
संगीत से सजाया है |
Saturday, March 1, 2014
सोशल मीडिया पर एडवरटाइजिंग पॉलिटिक्स
सोलहवी लोकसभा के
लिए बीछी सियासी बिसात पर अपना सिक्का ज़माने के लिए सभी पार्टियां पुरजोर कोशिश कर
रही है| सभी पार्टियां स्वयं को काबिज़ कराने के लिए
इलेक्शन कैंपेन और पार्टी एडवरटाइजिंग में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है | सूचना प्रद्योगिकी के इस युग में चुनाव प्रचार
लगातार हाईटेक होता जा रहा है और पहली बार लोकसभा चुनाव की एडवरटाइजिंग सोशल मीडिया पर की जा रही है | दरसल भारत में इंटरनेट सेवा प्रयोक्ताओं की
संख्या लगातार बढ़ रही है,
इन्टरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की
रिपोर्ट के अनुसार भारत में इंटरनेट यूजर की संख्या दस करोड़ को पार कर गई है और
इस कारण इस बार चुनाव प्रचार का असली रंग सोशल मीडिया पर दिख रहा है। लगभग
सभी पार्टियां युवा पीढ़ी और कामकाजी लोगों से जुड़ने के लिए तथा अपनी पार्टी को
बेहतर साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर एडवरटाइजिंग पॉलिटिक्स कर रही हैं । इस
तरीके ने प्रचार का खर्च तो कम किया ही है, साथ ही
प्रत्याशियों और मतदाताओं के बीच पारस्परिक संवाद की राह भी खोल दी है। जहां बीजेपी सोशल मीडिया चुनावी कैंपेन के लिए
ऐडवर्टाइजिंग प्रफेशनल की एक क्रीम टीम से सोशल मीडिया विज्ञापन करा रही है वही कांग्रेस भी कई बड़ी पब्लिक रिलेशन कंपनियों को
अपने चुनावी प्रचार की ज़िम्मेदारी सौप रही है | आम आदमी
पार्टी भी सोशल मीडिया से लोगों को प्रभावित करने की जुगत में तत्पर्य है | फेसबुक, ट्विटर, ई-मेल, एसएमएस, व्हाट्स एप, बीबीएम, यू-ट्यूब जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से सभी
राजनैतिक दल स्वयं को सरलता से लोगों से जोड़ रहे है । ऐसे में सभी पार्टियों
ने सोशल मीडिया सेल बनाया है ताकि जनता को लुभाया जा सके और ज्यादा से
ज्यादा लोगों से वोट डालने की अपील भी की जा सके |
यही नहीं, कम
पैसों में चुनाव लड़ने के मकसद से भी इन ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल किया जा रहा
है। फेसबुक और ट्विटर पर भी लोगों से समर्थन की अपील की जा रही है। प्रत्याशियों
का प्रोफाइल बनाकर उनकी तस्वीर समेत तमाम जानकारियां दी जा रही हैं। ये बताने की
कोशिश की जा रही है कि उनकी पार्टी दूसरे पार्टियों से कैसे अलग हैं। जनता के
सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं और घोषणा पत्र बनाने में लोगों के सुझाव भी मांगे
जा रहे हैं। दरअसल पार्टियों के सामने युवा पीढ़ी या फिर कामकाजी
लोगों से संवाद का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं है। जाहिर है, सोशल मीडिया ने एक माध्यम के तौर पर अपनी
उपयोगिता साबित कर दी है और जिस तरह से सोशल मीडिया का प्रभाव बढा है, उसने राजनैतिक दलों को लोगों से जुड़ना आसान कर
दिया है। इसने लोगों को अपने नेताओं के बारे में बेहतर समझने का मौका भी दिया है।
बाजार में सस्ते स्मार्टफोन आने के बाद सोशल मीडिया के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी है
और एक सर्वे के मुताबिक इस वर्ष देश में इसकी संख्या 10 करोड़ को पार कर गयी है ।
दरसल स्मार्टफोन उपयोग करने वाले अधिकतर युवा हैं और राजनीतिक पार्टियां इन युवा
उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने के लिए मोबाइल एप का सहारा लिया जा रहा हैं। भाजपा ने तो
मोदी रन के बाद इंडिया 272+ नाम से एप भी लांच किया है, जिसके जरिये पार्टी अधिक से अधिक स्मार्टफोन यूजर
तक पहुंच सके | कांग्रेस भी मतदाता को पार्टी से जोड़ने के लिए
सोशल मीडिया का सहारा ले रही है और इस माध्यम से हर वर्ग के मतदाता तक अपनी बात, नीति, सोच, विचारधारा, कार्यक्रम, वायदे आदि पहुंचाने की कोशिश की जा रही है | देश के चुनावों में ऐसा पहली बार हो रहा है।
दरअसल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के आने के बाद हमारे बीच
एक बहुत बड़ा बदलाव आया है। जिसका नतीजा ये है कि आज विभिन्न पार्टियां लोगों से सीधे
सवाल पूछ रहे हैं और उनसे उनके सुझाव मांग रहे है | हाल ये
है कि जनसभा करने के बजाए उम्मीदवार मतदाताओं को घर बैठे इंटरनेट के जरिए संबोधित
कर रहे हैं। जाहिर है कि प्रचार का तरीका पूरा बदल चुका है और ये माना जा रहा है
की पिछले दस साल में एक बड़ा बदलाव है |
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